धनखड़ को राज्यसभा के सभापति पद से हटा पाएगा विपक्ष? अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर, जानिए क्या कहता है नियम
No-Confidence Motion against Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar
Rajya Sabha No-Confidence Motion: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंप दिया गया है। कुछ देर पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इसके बारे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी दी। जयराम रमेश ने कहा कि, सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
धनखड़ पर विपक्ष का 'अविश्वास प्रस्ताव' क्यों?
दरअसल, विपक्षी इंडिया गठबंधन का आरोप है कि राज्यसभा सदन में सभापति धनखड़ का रवैया पक्षपातपूर्ण है और वह BJP का पक्ष लेते हैं। आरोप है कि धनखड़ सदन में विपक्षी सदस्यों को बोलने नहीं देते हैं। बोलने पर विपक्षी सांसदों का माइक ऑफ कर दिया जाता है। जबकि सत्तापक्ष के सांसदों को सदन में खूब बोलने का मौका दिया जाता है। सत्तापक्ष के सांसदों द्वारा विपक्षी सदस्यों पर बार बार किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने की छूट मिलती है।
सोशल मीडिया पोस्ट में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने लिखा, ''राज्य सभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण INDIA ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। INDIA की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है।''
अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर
जयराम रमेश ने कहा कि, INDIA समूह से जुड़े सभी विपक्षी दलों ने एकजुट होकर, सर्वसम्मति से राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है। राज्यसभा के 72 साल के इतिहास में पहली बार विपक्षी दलों को औपचारिक रूप से सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यह दर्शाता है कि स्थिति कितनी बिगड़ चुकी है।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, "यह कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है। हम माननीय सभापति, बहुत विद्वान सभापति, जाने-माने संवैधानिक वकील, राज्यपाल, बहुत वरिष्ठ व्यक्ति जिनका हम सम्मान करते हैं और जिनके साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध सबसे अच्छे हैं। मगर जिस तरह से जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा को चलाया है, दुर्भाग्य से हमें यह आभास होता है कि वह पक्षपातपूर्ण हैं। हमने सिर्फ विपक्षी नेताओं के अपमान के खिलाफ आवाज उठाई है।
जयराम रमेश ने कहा कि, वह विपक्ष के नेता की बात नहीं सुन रहे हैं। वह सत्ता पक्ष के सांसदों को हमारे सबसे वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ सबसे आपत्तिजनक भाषा में बेबुनियाद आरोप लगाने की अनुमति दे रहे हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जयराम रमेश ने बताया कि, आप, डीएमके, जेएमएम, एनसीपी-एससीपी, एसएस-यूबीटी, टीएमसी, समाजवादी पार्टी समेत सभी विपक्षी दलों के सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। विपक्ष के 60 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
धनखड़ को राज्यसभा के सभापति पद से हटा पाएगा विपक्ष?
फिलहाल, अब सवाल यह है कि क्या विपक्षी इंडिया गठबंधन धनखड़ को राज्यसभा के सभापति पद से हटा पाएगा? राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नियम क्या कहता है? रिपोर्ट्स के अनुसार, तय नियम के मुताबिक विपक्ष अपना ये अविश्वास प्रस्ताव मौजूदा शीतकालीन सत्र में सदन में पेश नहीं कर सकता है। क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के लिए 14 दिन का नोटिस जरूरी है और अब शीतकालीन सत्र में सिर्फ 10 दिन ही बचे हैं। कहा जा रहा है कि मौजूदा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ राजनीतिक स्टंट भर ही है।
राज्यसभा सभापति को हटाने के क्या नियम हैं?
रिपोर्ट्स के अनुसार, संविधान की धारा 67(b) में सभापति को हटाने का अधिकार दिया गया है। राज्यसभा सभापति को हटाने के लिए 50 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ नोटिस देना होता है। इसके लिए कम से कम 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी होता है। इसके बाद राज्यसभा में साधारण बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पास होना चाहिए। यहीं नहीं राज्यसभा के बाद लोकसभा से भी अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिलनी चाहिए।
राज्यसभा में किसके पक्ष में नंबर गेम?
राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं, जिसमें इस समय एनडीए के 108 सदस्य हैं और विपक्ष के 82 सदस्य हैं। वहीं AIADMK, YSRCP, BJD का रुख साफ नहीं दिख रहा है। यानि बहुमत के हिसाब एनडीए का पलड़ा भारी है। बता दें कि, इन दिनों मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में जोरदार हंगामा मचा हुआ है और सदन की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। पक्ष और विपक्ष के लोग दोनों एक-दूसरे पर सदन ने चलने देने का आरोप लगा रहे हैं। फिलहाल दोनों सदनों की कार्यवाही 11 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई है।