Bihar news

नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री अपनी अंतिम पारी खेल रहे हैं, आखिर बिहार में क्यों है इसकी चर्चा?

Nitish kumar

बिहार के सीएम इस बार केंद्र की राजनीति करेंगे या प्रदेश की, यह भी सवाल

Latest Bihar News : पटना : देश की राजनीति उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति से तय होती है। बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन की सरकार है और सरकार के मुखिया और (#CM Nitish kumar) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए विपक्षी दलों को (Lok Sabha Election 2024) एकजुट करने में लगने वाले हैं। उनकी यह जद्दोजहद कितनी सफल हो रही है, उसका अंदाजा कांग्रेस नेताओं के बयानों से लग जाता है, जिसमें वे अपने अपने बगैर विपक्षी एकता संभव नहीं होनेे की बात कह रहे हैं। ऐसे में जब जदयू जहां नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का सबसे योग्य उम्मीदवार बता रही है, वहीं बिहार में महागठबंधन में भी मुख्यमंत्री को लेकर दावेदारी प्रारंभ हो गई है। महागठबंधन में नेता मुखर होकर मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी कर रहे हैं, जिससे जदयू को भी जवाब देते नहीं सूझ रहा है। यानी नीतीश कुमार अगर केंद्र की राजनीति के लिए दिल्ली आते हैं तो उनकी जगह बिहार में कौन लेगा, इस पर माथापच्ची तेज हो गई है।
 

राष्ट्रीय लोक जनता दल बना चुके कुशवाहा

गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं जेडीयू में वरिष्ठ नेता रहे उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए नई पार्टी के गठन की घोषणा कर चुके हैं। उनकी नई पार्टी का नाम राष्ट्रीय लाेक जनता दल है।  उनके जेडीयू से जाने के बाद से बिहार में नए मुख्यमंत्री पद के दावेदार के लिए चर्चा शुरू हो चुकी है। कुशवाहा को लेकर सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म था। पार्टी छोड़ने से पहले उन्हाेंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह को फोन किया था। अब इसे जनता दल यू में पहला विद्राेह समझा जा रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री एवं जद यू सुप्रीमो नीतीश कुमार की तेजस्वी यादव के 2025 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन का नेतृत्व करने के बयान से उपेंद्र कुशवाहा नाराज थे। साल 2009 के बाद यह तीसरी बार है, जब उन्होंने जदयू को छोड़ा है। 

 

तो 2025 में तेजस्वी करेंगे महागठबंधन का नेतृत्व

बिहार में हाल के दिनों में महागठबंधन जितना विपक्ष से परेशान नहीं है, उतना अपने ही घटक दलों में हो रही बयानबाजी से हैरान और परेशान नजर आ रहा है, इस समय सबके निशाने पर या तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं या (#Deputy CM Tejasvi yadav) उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव। उपेंद्र कुशवाहा के जदयू छोड़ने के पीछे भी ऐसे ही बयानों की महिमा है। वैसे, यह भी गौर करने वाली बात है कि अगले लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के घटक दल एकजुट होने का दावा करते हैं। राज्य में लोगों का मानना भी है कि नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री अंतिम पाली खेल रहे हैं। ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को लेकर संशय की स्थिति में मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर चर्चा गर्म है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई मौके पर तेजस्वी के नेतृत्व की सार्वजनिक बात कह चुके हैं। सार्वजनिक मंच से वे कह चुके हैं कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे।

भाजपा ले रही महागठबंधन में उठापटक का आनंद

भाजपा के प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं कि इसमें कोई नई बात नहीं है। जब महागठबंधन बना था तभी यह तय था कि कि यह 'रारबंधन' है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि घटक दलों में शामिल दलों की उत्पत्ति ही विरोध में हुई है। वे कहते हैं कि कांग्रेस के विरोध में राजद की उत्पति हुई थी और राजद के विरोध में जदयू की उत्पति हुई है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए सभी लोग एक साथ हैं, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान मुख्यमंत्री को हुआ है। ऐसी स्थिति में बिहार तो 'डिरेल' हो ही गया, नीतीश की राजनीति भी 'डिरेल' हो गई। नीतीश कुमार राजद नेता तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर उनके नेतृत्व को भले ही स्वीकार करने के संकेत दे दिए हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी और गठबंधन में तेजस्वी के नाम को लेकर उभरे विवाद से नीतीश की नैया मझधार में फंस गई है। गौरतलब है कि ऐसे कयास हैं कि उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के साथ आ सकते हैं। उनके जदयू छोड़ने के बाद भाजपा की यह रणनीति भी कामयाब होती नजर आती है कि जदयू अस्थिर रहे, ताकि न राज्य में वह फिर सत्ता में लौट सके और न ही केंद्र में सफल हो।

 

अब उपेंद्र कुशवाहा और संतोष कुमार भी सीएम पद की दौड़ में 

राज्य में अभी तक तेजस्वी का नाम ही मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए जाना जा रहा था, लेकिन हाल के दिनों में (#Upendra Kushwaha) उपेंद्र कुशवाहा और मंत्री (#Santosh kumar Suman) संतोष कुमार सुमन का भी नाम लिया जाने लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा जनता दल यू को अलविदा कह चुके हैं।  हाल ही में कुशवाहा ने एक साक्षात्कार में मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई थी। कुशवाहा ने आशंका जताते हुए कहा है कि तेजस्वी मुख्यमंत्री बने तो फिर जंगलराज वापस आएगा। राजनीति में लोग संघर्ष करते हैं और उनमें सत्ता हासिल करने की आकांक्षा भी होती है। उन्होंने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कहा कि अगर कोई प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है तो मैं मुख्यमंत्री क्यों नहीं?

 

जीतन राम मांझी भी चला रहे बेटे को सीएम बनाने की मुहिम

इधर, महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी इन दिनों गरीब संपर्क यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने बिना तेजस्वी के नाम लिए ही अपने पुत्र और बिहार के मंत्री संतोष कुमार सुमन को मुख्यमंत्री के योग्य बता दिया। मांझी ने कहा कि संतोष पढ़ा-लिखा है। उसे मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। मुख्यमंत्री के लिए बहुतों का नाम आता है, वैसे लोगों को पढ़ा सकता है। वह प्रोफेसर है। सब कुछ है। सिर्फ यही है कि वह भुइयां जाति से आता है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जो दलित हैं, गरीब तबके के लोग हैं जिसकी आबादी 90 प्रतिशत है, उसका नेतृत्व नहीं होगा क्या?
इधर, जदयू के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार कहते है कि मुख्यमंत्री किसी के कहने से नहीं बनता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जनता बनाती है। जनता जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बना सकती है।

 

तो बिहार की राजनीति में अभी बाकी है बहुत सस्पेंस

बहरहाल, बिहार में महागठबंधन में सरकार चल रही है, लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की संख्या बढ़ी है, उससे तय है कि इस महागठबंधन में गांठ पड़ चुकी है। उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के बाद इसकी पुष्टि भी हो गई है। हालांकि चुनाव आते-आते पार्टी में और भी टूट-फूट हो सकती है। सवाल यह भी जदयू का भविष्य क्या होगा, क्या नीतीश कुमार जदयू को राजद के सहारे चलाएंगे? अगर ऐसा हुआ तो यह हथियार डालना ही कहा जाएगा। बहरहाल, बिहार की राजनीति में अभी बहुत सस्पेंस बाकी है। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मैदान तैयार होने लगा है। यह चुनाव अनेक महारथियों के लिए अंतिम चुनाव साबित होने वाला है। 


 

 

-समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ