नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वह भारतीय जिसपर लगे देशद्रोही होने का आरोप फिर भी देश को आज़ाद करवाने में महत्वपूर्ण योगदान

नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वह भारतीय जिसपर लगे देशद्रोही होने का आरोप फिर भी देश को आज़ाद करवाने में महत्वपूर्ण योगदान

सुभाष चंद्र बोस जयंती जिसे पराक्रम दिवस या वीरता दिवस के रूप में भी जाना जाता है

 

Netaji Jayanti: सुभाष चंद्र बोस जयंती जिसे पराक्रम दिवस या वीरता दिवस के रूप में भी जाना जाता है, भारत में प्रतिवर्ष भारत के सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह महत्वपूर्ण अवसर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनके असाधारण प्रयासों और नेतृत्व को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, तथा उनके स्थाई विरासत और इतिहास के चुनौती पूर्ण दौर में उनके द्वारा प्रदर्शित साहस पर भी प्रकाश डालता है।

 

नेताजी पर लगे थे देशद्रोह के आरोप

 

नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक उड़ीसा में हुआ था। वह एक राष्ट्रवादी नेता थे जो 1921 में महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल हो गए थे, और 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। 1940 में जब हिटलर के लोग लंदन पर बम गिरा रहे थे, तब ब्रिटिश सरकार ने अपने सबसे बड़े दुश्मन सुभाष चंद्र बोस को कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में कैद कर रखा था। अंग्रेज सरकार ने बोस को 2 जुलाई 1940 को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था, और 29 नवंबर 1940 को सुभाष चंद्र बोस ने जेल में अपनी गिरफ्तारी के विरोध में भूख हड़ताल शुरू की। अपने भतीजे शिशिर की मदद से नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों की कैद से निकलने में कामयाब हुए और बाहरी देश जाकर उनसे भारत को आजाद करने के लिए मदद मांगी। उन्होंने आजाद हिंद फ़ौज का गठन किया और उनकी ही मदद से भारत के कुछ हिस्सों को आजाद कर दिया था।

 

महत्व और उत्सव

भारतीय स्वतंत्रता बहाल करने में सुभाष चंद्र बोस के प्रयासों के सम्मान में 2021 में सरकार ने घोषणा की की 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 23 जनवरी 2025 का समय उनकी 128वीं जयंती है। नेताजी जयंती देश के नागरिकों विशेषकर युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाने उन्हें उनके बलिदानों की याद दिलाने तथा उन्हें नेताजी की तरह विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए साहस रखने के लिए प्रेरित करने के लिए मनाई जाती है। यह पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा झारखंड, असम और उड़ीसा में एक आधिकारिक अवकाश है, और पूरे भारत में इस दिन सभा ओंपरेड और विशेष समारोहों के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता में नेताजी की भूमिका पर प्रकाश डाला जाता है। आपको बता दें कि इस वर्ष यानी 2025 में नेताजी की जन्मस्थली में उनकी विरासत का सम्मान करते हुए कटक के बाराबाती किले में 23 से 25 जनवरी तक एक भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा और इसका उद्घाटन उड़ीसा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चारण मांझी द्वारा किया जाएगा।