एनडीए सरकार ने पंजाब के किसानों, सरकार और कृषि विशेषज्ञों को एम.एस.पी कमेटी से बाहर रखकर राज्य के साथ भेदभाव किया: बीबा हरसिमरत कौर बादल
एनडीए सरकार ने पंजाब के किसानों, सरकार और कृषि विशेषज्ञों को एम.एस.पी कमेटी से बाहर रखकर राज्य के सा
संसद में बोलते हुए बीबा बादल ने यह भी सवाल किया कि एमएसपी के किसानों के अधिकार को वैध बनाने के लिए कमेटी का मकसद क्यों बदल गया
चंडीगढ़/21जुलाई: बठिंडा की सांसद बीबा हरसिमरत कौर बादल ने आज कहा है कि एनडीए सरकार ने अपने किसानों , सरकार और कृषि सलाहकारों को न्यूनतम समर्थन कमेटी से बाहर रखकर पंजाब के साथ भेदभाव किया है और यहां तक कि कमेटी के उददेश्य और इरादों को भी बदल दिया जिसके कारण असंतोष और संघर्ष पैदा होगा।
संसद में एमएसपी कमेटी पर बनी कमेटी के बारे में बोलते हुए बठिंडा की सांसद ने कहा कि जिस तरह से पंजाब के प्रतिनिधियों और कृषि विशेषज्ञों को कमेटी से बाहर रखा गया है, उस तरीके का विरोध किया। उन्होने कहा कि पंजाबी किसान आंदोलन में सबसे आगे थे और उन्होने ही सरकार को खेती कानून को वापिस लेने को मजबूर किया था।
बीबा हरसिमरत कौर बादल ने यह भी सवाल किया कि कमेटी का मकसद कैसे बदल दिया, जबकि केंद्र सरकार ने खेती कानूनों को वापिस लेते समय एक लिखित आश्वासन दिया था कि आगामी कमेटी एमएसपी के किसानों के अधिकारों को वैध करेगी। उन्होने कहा, ‘‘ 12 जुलाई को गठित कमेटी ने हालांकि इस क्लॉज को पूरी तरह से हटा दिया तथा एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए इसे बदल दिया था’’।
बीबा बादल ने कमेटी के गठन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पूर्व कृषि सचिव, जो पूर्ववर्ती काले कानूनों के निर्माता थे, को इसका अध्यक्ष बनाया गया था और नीति आयोग का सदस्य (कृषि) जिन्होने रदद किए गए खेती कानूनों का बड़ी दृढ़ता से बचाव किया था, इसका सदस्य बनाया गया हैं। उन्होने कहा कि इसके अलावा कमेटी में शामिल सभी किसान प्रतिनिधि पूर्ववर्ती काले कानूनों के समर्थक थे। उन्होने बताया कि कैसे जम्मू और जबलपुर से कृषि विशेषज्ञों को शामिल किया गया और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और सिक्किम की सरकारों को प्रतिनिधित्व दिया गया , लेकिन पंजाब को नजरअंदाज कर दिया गया । उन्होने कहा, ‘‘ यह इस तथ्य के बावजूद किया गया कि पंजाब ने देश के अन्न भंडार के रूप में काम किया है और पिछले सत्तर सालों में राष्ट्रीय अन्न भंडार में सबसे अधिकतम योगदान दिया है’’।
बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बीबा बादल ने कमेटी के पुनगर्ठन की मांग की और इस बात पर दुख व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कमेटी से बाहर किए जाने पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए कुछ भी नही किया है। उन्होने कहा कि जहां पंजाब के आप पार्टी के सांसदों ने पहले अपने हाईकमान के आदेश का पालन किया था और इसके संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर में जाने की अनुमति देने में देरी के विरोध में संसद में ‘‘ धरना’ दिया था, वहीं पंजाब के कांग्रेस सांसद अब प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है’’। उन्होेने कहा, ‘‘ आप पार्टी और कांग्रेस दोनों सांसद पंजाबियों के हितों की रक्षा करने और संसद में उनकी परेशानियों को व्यक्त करने में विफल रहे हैं’’।