एनडीए सरकार --लोकतंत्र के महासमर में सभी दलों की चुनावी तखड़ी में दिखाई दी तालमेल की पांसग
Lok Sabha Elections Result 2024
धर्म की कलम,मैं वक्त हूं ,बात वक्त की में आज बात होने जा रही है हरियाणा में लोकसभा चुनाव में विभिन्न दलों को मिली सीटों की--नए मंत्रिमंडल में हरियाणा का रूतबा बरकरार।
चंडीगढ़ 10 जून : Lok Sabha Elections Result 2024: 18वीं लोकसभा के तहत चुनाव सुचारू रूप से सम्पन्न हो गए है। बीजेपी ने करनाल,कुरूक्षेत्र,फरीदाबाद,गुरूग्राम तथा भिवानी-महेन्द्रगढ़ की सीटें जीती जबकि कांग्रेस ने जीरो से उछलकर पांच सीटों पर जीत का पंरचम लहराया,जिनमें रोहतक,अंबाला,सोनीपत,हिसार और सिरसा लोकसभा की सीटें शामिल है। कुरूक्षेत्र से कांग्रेस और आप पार्टी के सांझे उम्मीदवार सुशील गुप्ता चुनाव हार गए। आप और कांग्रेस का समझौता केवल लोकसभा चुनाव के लिए ही था। यह आप के नेताओं का ही कथन है। चुनावी तखड़ी में तालमेल के संतुलन की पासंग साफ नजर आई लेकिन मोदी ने एनडीए की कैबिनेट में तालमेल की पासंग नजर नही आने दी। उन्होंने कुशल नेता का परिचय देते हुए तालमेल की पासंग बाधकर बेहतरीन संतुलन बिठाया और एक सफल मंत्रिमंडल का गठन किया।
लोकसभा चुनाव में बात हरियाणा की करें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों की मुख्य पार्टियों में तालमेल की पासंग साफ दिखाई दी। बीजेपी में दिग्गज पूर्व गृह मंत्री अनिल विज अपने विधानसभा क्षेत्र अंबाला कैंट तक ही सीमित रहे। हालांकि वह अपने विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी की उम्मीदवार बंतो कटारिया को जिताने में सफल रहे। लेकिन विज ने अन्य किसी क्षेत्रों में प्रचार नहीं किया या फिर उनसे करवाया ही नहीं गया। कुछ भी हो पार्टी के चुनावी तालमेल में पासंग नजर आई। इसे राजनीति कहे या फिर हाशिया चूंकि वरिष्ठ बीजेपी नेता ओपी धनखड़,रामबिलास शर्मा,अभिमन्यू सिंह और करनाल के पूर्व एमपी संजय भाटिया भी कही खास नजर नही आए। कुलदीप बिश्नोई भी अधिकतर अपने ही क्षेत्र तक सीमित रहे। कहा जा रहा है कि इसलिए बीजेपी की सीटें कम हो गई।
अब बात कांग्रेस की भी कर लेते है। यहां तो तालमेल की पांसग काफी दिनों से नजर आ रही है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान सिंह का कांग्रेस में दबदबा है। कुमारी शैलजा एक बहुत ही सीनियर लीडर है लेकिन हुड्डा गुट के साथ उनका जुड़ाव कतई नजर नहीं आता। उन्होंने सिरसा लोकसभा से अपने और अपने कार्यकर्ताओं के दम पर अच्छे मतों से जीत हासिल की। आपसी रिश्तों की बात करने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता चौ बीरेंद्र सिंह की भूमिका कई क्षेत्रों में अच्छे सहयोग वाली रही लेकिन सीमित क्षेत्रों में। वे भी पूरी तरह से तालमेल की पासंग का संतुलन नहीं बना पाए। राजनीति के जानकारों का कहना है कि चुनाव में तालमेल की पासंग सभी जगह नजर आई। शायद किसी ने भी संतुलन की गिटटी बांधने का प्रयास नहीं किया।
अब बदलते परिदृश्य में पासिंधा या पासंग के महत्व को समझना भी जरूरी है। कुछ साथी या पाठक सोच रहे होंगे कि यह पासंग होती क्या है। अब में समझाने का प्रयास करता हूं कि तखड़ी यानी तराजू में जब एक पलड़ा या पल्ला ऊंचा-नीचा या कह लीजिए छोटा बड़ा हो जाता है तो रोड़ी, पत्थर का टुकडा या गिटटी बांधकर तखड़ी या तराजू का संतुलन बनाया जाता है। पासंग ठीक करने में गिट्टी एक सहयोग का काम करती है और तखड़ी का संतुलन सही हो जाता है। इससे तराजू पर भी कम तोलने का आरोप नही लगता और सामने वाला भी संतुष्ट हो जाता है। बदलते परिवेश में लोग पांसग के महत्व को भूलते जा रहे है। लेखक द्वारा इस शब्द का उपयोग इसलिए भी किया ताकि लोग पासंग के महत्व को समझते हुए सामाजिक ताने बाने और तालमेल को भी बरकरार रख सके। तराजू की डंडी बराबर करने के लिए उठे हुए सिरे पर रखा जाने वाला पत्थर ,बोझ या गिटटी को पासंग सा पासंधा कहा जाता है जो कि तखड़ी में संतुलन बनाने का काम करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी प्रकार के तर्क को संतुलित करने का काम करता है पासंग या पासंधा।
--तालमेल के साथ संतुलन की पासंग को कैसे फिट किया मोदी नै।
रविवार को 18वीं लोकसभा के लिए मंत्रिमंडल का गठन हुआ। अकेली बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के चलते सहयोगियों को भी साथ लिया गया। वैसे तो पहले भी सहयोगी साथ ही रहते आए है। सरकार की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए नरेंद्र मोदी ने शपथ लेने के दृष्टिगत तालमेल और संतुलन की पासंग सही करने का काम किया। इसलिए सभी सहयोगी दलों को उनके नंबर अनुसार मंत्रीपद मिले ताकि तालमेल और संतुलन सही रहे। मोदी ने एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह सब कुछ साधने का काम किया और विपक्ष देखता रह गया। इसे कहते है तालमेल के साथ संतुलन का पासंग फिट करना। बदलते परिवेश में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का दबदबा पुरे शिखर पर है। इस प्रकार के संतुलन में देश का रूतबा और बेहतर होगा।
रविवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में गजब का संतुलन देखने को मिला। एनडीए सरकार की नई कैबिनेट में 31 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया,जिनमें 26 भाजपा के तथा पांच घटक दलों से आए नाम शामिल है। स्वतंत्र कार्यभार की बात करें तो तीन बीजेपी तथा दो घटक दलों के है। इसी प्रकार 36 राज्यमंत्री भी बनाए गए है,जिनमें से 32 भाजपा से व 4 सहयोगी दलों से है। इस प्रकार मोदी की नई सरकार में 72 मंत्री बनाए गए है। कोई सहयोगी नाराज ना हो इसलिए बेहतर संतुलन बनाकर मंत्रीमंडल का गठन किया गया। चीन और पाकिस्तान को छोडक़र लगभग सभी पड़ोसी देशों को शासनाध्यक्ष भी आमंत्रित किए गए थे। वर्ष 2024,2025,2026 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है,ऐसे में उन राज्यों से विधानसभा के चुनाव को आधार बनाकर मंत्रियों को शामिल किया गया । हरियाणा से करनाल से सांसद बने पूर्व सीएम मनोहर लाल को कैबिनेट मंत्री जबकि राव इन्द्रजीत को स्वतंत्र कार्यभार और कृष्णपाल गुर्जर को राज्यमंत्री बनाया गया है। हरियाणा में इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पांच सांसद बने है। हरियाणा में आगामी अक्टूबर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसकी सरकार बनेगी,यह तो वक्त बताएगा। चूंकि कांग्रेस ने भी पांच सीटें जीत कर अच्छा प्रदर्शन किया। आने वाले चुनाव में संतुलन की पासंग का फायदा उठाने वाले दल की ही सरकार बनने वाली है। वैसे नए मंत्रिमंडल में बेहतर संतुलन बना कर मोदी ने प्रेरक शुरुआत तो कर ही दी है,लेकिन कांग्रेस को हल्के में लेना किसी के लिए भी बड़ी भूल साबित हो सकती है।
लेखक-धर्मवीर सिंह डीपीआरओ आर,