नारायण मूर्थी ने 70 घंटे के कार्य सप्ताह का समर्थन किया, कहा – "कड़ी मेहनत से ही मिलेगी प्रगति", बना बहस का मुद्दा
- By Arun --
- Tuesday, 17 Dec, 2024

Narayana Murthy Sparks Debate with 70-Hour Workweek Support
Narayana Murthy Sparks Debate: Infosys के सह-संस्थापक नारायण मूर्थी ने 70 घंटे के कार्य सप्ताह का समर्थन करते हुए यह कहा कि अगर हम हमेशा बहाने बनाते रहे तो हम कभी भी गरीबी और गंदगी से बाहर नहीं निकल पाएंगे। कोलकाता में इंडियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स के शताब्दी समारोह में मूर्थी ने देश के आर्थिक हालात पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत में 80 करोड़ लोग मुफ्त राशन पर निर्भर हैं, और इसके लिए हमें कड़ी मेहनत की आवश्यकता है।
उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत
मूर्थी ने यह भी कहा कि एक चीनी श्रमिक भारतीय श्रमिक से 3.5 गुना अधिक उत्पादक है, और यही कारण है कि हमें अपनी उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे केवल कड़ी मेहनत और समर्पण से ही देश को गरीबी से उबार सकते हैं।
उद्यमिता से प्रगति
मूर्थी ने अपने विचारों में बदलाव के बारे में भी बताया, जो उन्होंने पेरिस में 1970 के दशक में देखा। उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों में समृद्धि और कुशलता को देखकर उन्हें यह समझ आया कि केवल रोजगार सृजन और उद्यमिता से ही आर्थिक प्रगति संभव है। मूर्थी ने "संवेदनशील पूंजीवाद" का समर्थन करते हुए कहा कि पूंजीवाद का उद्देश्य केवल धन कमाना नहीं बल्कि देश की प्रगति में योगदान देना भी होना चाहिए।
बहस का मुद्दा
मूर्थी के इस बयान ने देशभर में बहस छेड़ दी है, क्योंकि उनका कहना है कि भारतीयों को अधिक मेहनत और समय देना चाहिए ताकि हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में कड़ी टक्कर दे सकें।
नारायण मूर्थी का यह विचार भारत के आर्थिक विकास में युवा पीढ़ी की भूमिका को स्पष्ट करता है, जहां उनके अनुसार केवल मेहनत और उत्कृष्टता से ही हम अपने राष्ट्र को एक नई दिशा दे सकते हैं।