Municipal elections in Haryana today

Editorial: हरियाणा में निकाय चुनाव आज, हर मतदाता समझे जिम्मेदारी

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Municipal elections in Haryana today

Municipal elections in Haryana today, every voter should understand his responsibility: हरियाणा में रविवार को शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे हैं। करीब तीन महीने बाद फिर एकबार वह अवसर आया है, जब प्रदेश की जनता को अपने प्रतिनिधियों का चयन करना है। प्रदेश में बीते कुछ समय के दौरान निकाय चुनावों ने बहुत महत्व हासिल कर लिया है। हालांकि इससे पहले यह सामान्य कवायद समझी जाती थी, लेकिन अब राजनीतिक दल सीधे अपने चुनाव निशान पर इसे लड़ रहे हैं, वहीं पंचायत से लेकर नगर निगम,  नगर परिषद और नगर पालिकाओं में अपना राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने के लिए राजनीतिक दल कमर कस कर मेहनत कर रहे हैं। मालूम हो, प्रदेश में 8 नगर निगम हैं, जिनमें से 7 में रविवार को मतदान होना है, वहीं एक नगर निगम पानीपत में बाद में वोटिंग होगी। इसके अलावा 4 नगर परिषद और 21 नगर पालिकाओं के भी प्रधान एवं पार्षदों का चयन होना है। लोकतंत्र में सत्ता की सीढ़ी चुनाव ही होते हैं।

प्रदेश में बीते वर्ष विधानसभा चुनाव हुए थे। इस दौरान जिस प्रकार के राजनीतिक समीकरण बने हुए थे, वैसी स्थिति निकाय चुनावों में नहीं है। गौरतलब है कि निकाय चुनाव महज दो पार्टियों के बीच ही रस्साकशी बनकर रह गए हैं। निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी, जजपा एवं इनेलो की भूमिका सीमित है। जजपा की ओर से तो इन चुनावों के लिए कोई सक्रियता ही नहीं दिखाई दी है, वहीं इनेलो और आम आदमी पार्टी का रिस्पांस भी शीत है। हालांकि कांग्रेस क्योंकि प्रमुख विपक्षी दल है और हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बहुत कांटे की टक्कर में चुनाव हारा है, इसलिए वह इन चुनावों में पुरजोर तरीके से सत्ताधारी भाजपा को चुनौती दे रही है।

कहा जा सकता है कि इस बार भी सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव को निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के लिए तमाम प्रयास किए गए हैं। गौरतलब है कि इन चुनावों को बैलेट पेपर से कराने की विपक्षी दलों ने मांग की थी, लेकिन इससे आयोग इनकार कर चुका है। कहा यह भी गया था कि जब उत्तराखंड में बैलेट पेपर से चुनाव हो सकते हैं तो फिर हरियाणा में क्यों नहीं हो सकते। हालांकि इस समय ईवीएम का प्रयोग सभी चुनावों में हो रहा है, तब निकाय चुनावों के दौरान बैलेट पेपर का प्रयोग अव्यावहारिक नजर आता है। दरअसल, शहरों को सभ्यता का पालना कहा गया है। बदलते समय के अनुसार शहरों की स्थिति भी बदल रही है, इसलिए शहरों का प्रबंधन कुशलता से किए जाने की जरूरत हो गई है।

हरियाणा में नगर निगमों, परिषदों और पालिकाओं की अपनी ही राजनीति है। लेकिन इस दौरान शहर और संबंधित इलाके के रखरखाव और वहां की जरूरतों को पूरा करने के लिए निकाय संस्था का होना आवश्यक है। बेशक,  अनेक शहरों में राजनीतिक उठापटक की वजह से जनता के काम नहीं होते और ऐसा गतिरोध कायम होता है, जोकि मीडिया की सुर्खियां बन जाता है। जाहिर है, इससे बचे जाने की जरूरत होती है। मालूम हो, इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से तमाम आरोप लगाए गए हैं। रोहतक नगर निगम के संबंध में सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। वहीं शहर में पेयजल, सफाई आदि के मामले भी उठाए हैं।

इस चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री नायब सैनी और मंत्रियों एवं विधायकों ने मोर्चा संभाला है। यह चुनाव मुख्यमंत्री सैनी ने चुनौती की भांति लिए हैं। गौरतलब यह भी है कि दिल्ली में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। इससे उत्साहित भाजपा ने हरियाणा के निकाय चुनावों में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। यह भी कितनी बड़ी बात है कि मुख्यमंत्री ने हर शहर और गली-मोहल्ले में जाकर भाजपा के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया है। निश्चित रूप से शहरों में भाजपा को अपने लिए बहुत संभावनाएं जान पड़ती रही हैं। और यह सच भी है। हालांकि बदलते समय के साथ पार्टी को अब ग्रामीण इलाकों में भी बढ़त हासिल हुई है। वास्तव में शहरों में आज के समय में बहुत काम किए जाने की जरूरत है। अनेक मामले हैं, जोकि शहरों में लंबित हैं। मतदाता के समक्ष सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस आदि के संकल्प पत्र हैं, जिन पर उन्हें विचार करना है।

शहरों में पेयजल, सडक़, सफाई और दूसरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए राज्य सरकार और निकाय प्रतिनिधियों के बीच तारतम्य होना जरूरी है। लोकतंत्र में प्रत्येक राजनीतिक दल का महत्व है, लेकिन मतदाता क्या विचार करता है और वह किसे जीत का आशीर्वाद देता है, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि प्रत्येक मतदाता की चुनाव में हिस्सेदारी जरूरी है।