Modi visit to America

Editorial: मोदी की अमेरिका यात्रा से दोनों देशों की आर्थिकी होगी मजबूत

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Modi visit to America

Modi visit to America प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों में और प्रगाढ़ता लेकर आएगी। मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बुलावे पर वहां गए हैं, इसलिए इस यात्रा को कई मायनों में खास माना जा रहा है। इस समय दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है और इसमें आगे भी अपार संभावनाएं हैं। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि हाल के वर्षों में भारत ने तेजी से आर्थिक विकास किया है।

अमेरिका और भारत की नजदीकी से चीन जैसे देशों की परेशानी बढ़ना तय है। अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करने चाहते हैं, ऐसे में उनके समक्ष भारत स्वाभाविक विकल्प के रूप में सामने आया है। हाल में अमेरिका की कई कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार फैलाया है। अमेरिका की कंपनियों ने भारत में 60 अरब डॉलर का निवेश किया है, जबकि भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 40 अरब डॉलर से अधिक की पूंजी लगाई है। दोनों देशों के बीच व्यापार की अपार संभावनाएं हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को बहुत अहम माना जा रहा है।

मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप को नया आयाम मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों के अनुसार सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन बनाने के बारे में बड़ी घोषणा की जा सकती है। पिछले हफ्ते भारत आए अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जैक सुलीवन ने दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर सेक्टर में बड़ी घोषणा का संकेत दिया था।

यूएस-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड एमर्जिंग टेक्नोलॉजी के लक्ष्यों में सेमीकंडक्टर सेक्टर में पार्टनरशिप सबसे बड़ा लक्ष्य है। मोदी इस दौरान अमेरिका की टॉप 20 कंपनियों के सीईओ से भी मुलाकात करेंगे। इनमें मास्टर कार्ड, एक्सेंचर, कोका-कोला, एडॉब सिस्टम्स और वीजा शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों पक्ष इस पार्टनरशिप को ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप में बदलना चाहते हैं।

गौरतलब है कि इस यात्रा को भारत से कहीं ज्यादा अमेरिका ने अहमियत दी है। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों चैंबर के लीडर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरी बार कांग्रेस के जॉइंट सेशन को संबोधित करने का न्योता दिया है। अब तक दुनिया के कुछ ही नेताओं को यह सम्मान मिला है। इनमें विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला और इजरायल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू और यित्जाक रैबिन शामिल हैं।

इससे पहले मोदी ने 8 जून, 2016 को अमेरिकी संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था। उन्हें दोबारा यह सम्मान दिया जाना यह बताता है कि अमेरिका की नजर में भारत का स्थान कहां है और पूरी दुनिया में भारत ही उसे अपना तारणहार नजर आ रहा है। अभी कुछ दिन पहले मोदी ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था और वहां के प्रधानमंत्री ने उन्हें दुनिया का बॉस करार दिया था। निश्चित रूप से यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ा सम्मान है। मोदी ऐसे समय में अमेरिका की यात्रा कर रहे हैं जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 191 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुका है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। दिलचस्प बात यह है कि इसमें ट्रेड बैलेंस भारत के पक्ष में है।

अमेरिका के लिए भारत उसका नौवां सबसे बड़ा साझेदार देश है। अमेरिकी कंपनियों ने भारत में निर्माण, टेलीकम्युनिकेशंस, कंज्यूमर गुड्स से लेकर एयरोस्पेस में निवेश किया है। भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में आईटी, फार्मा और ग्रीन एनर्जी में इनवेस्ट किया है। भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में कैलिफोर्निया से लेकर जॉर्जिया तक 425,000 लोगों को नौकरी दी है। फरवरी में जब एयर इंडिया ने 200 बोइंग एयरक्राफ्ट खरीदने की घोषणा की थी तो अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने इसे ऐतिहासिक डील बताते हुए कहा था कि इससे 44 राज्यों में दस लाख से अधिक नौकरियों को सपोर्ट मिलेगा। मतलब साफ है कि भारत और अमेरिकी की दोस्ती दोनों देशों के पक्ष में है।

कूटनीतिक रणनीतिकार मानते हैं कि चीन के साथ बढ़ते तनाव से भी अमेरिका ने भारत के साथ दोस्ती बढ़ाई है। कोरोना काल में अमेरिका समेत दुनिया की कंपनियों को इस बात की अहमियत पता चल गई कि वे सप्लाई चेन के लिए एक ही देश पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। यही कारण है कि ये कंपनियां अब विकल्प के तौर पर भारत को देख रही हैं। भारत और अमेरिका अपने रिश्तों को बढ़ाने के लिए कितने गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी विभिन्न स्तरों पर 50 से अधिक द्विपक्षीय डायलॉग मैकेनिज्म चल रहे हैं। बदले दौर में भारत की प्रतिष्ठा और उसकी ताकत लगातार बढ़ रही है, यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी सर्वथा उपयुक्त है। आगामी समय में देश तरक्की के और सोपान हासिल करेगा। 

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