Modi Ukraine visit increased India's diplomatic influence

Editorial:मोदी की यूक्रेन यात्रा ने बढ़ाया भारत का कूटनीतिक प्रभाव  

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Modi Ukraine visit increased India's diplomatic influence

Modi Ukraine visit increased India's diplomatic influence: एक माह के अंतराल में दो युद्धग्रस्त देशों की यात्रा करने का साहस संभव है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने वैश्विक राजनीति में भारत का जो प्रभाव बढ़ाया है, वह कूटनीति और भारत की वैश्विक पहचान को बल प्रदान कर रहा है।  एक माह पहले रूस की यात्रा पर गए मोदी ने अब यूक्रेन की यात्रा करके यह जता दिया है कि भारत वैश्विक समाज में तटस्थ नहीं अपितु दोनों और सभी पक्षों से गहरा सरोकार रखता है। ताज्जुब की बात यह है कि रूस की यात्रा के दौरान अमेरिका एवं अन्य पश्चिम देशों ने जिस प्रकार से इस यात्रा की आलोचना की थी, उन्हीं देशों ने मोदी की अब यूक्रेन यात्रा के दौरान चुप्पी साध ली। पश्चिमी देशों की अपनी जरूरत के मुताबिक यह कूटनीति ही अभी तक भारत जैसे विकासशील देशों के लिए मुसीबत बनती आ रही है।

हालांकि भारत में मौजूदा सरकार ने विश्व को इसका अहसास दिलाया है कि अब पंचशील जैसी नीति भारत में इतिहास बन चुकी है और भारत भी अपनी जरूरत और सहूलियत के मुताबिक उन देशों से वास्ता रखेगा एवं उसे मजबूती प्रदान करेगा जोकि उसके लिए फायदेमंद हैं। मोदी सरकार का यह प्रयास कितना अद्भुत है कि जो देश आपस में बीते दो साल से युद्धरत हों और जहां निरंतर मासूमों की जान जा रही हो, जोकि अपनी-अपनी जिद पर अड़े हों। उन देशों में बारी-बारी से जाकर प्रधानमंत्री मोदी शांति का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने रूस की यात्रा के दौरान वहां राष्ट्रपति पुतिन से इसका आह्वान किया था कि शांति की स्थापना के लिए कदम बढ़ाएं। हालांकि अब यूक्रेन की यात्रा के दौरान भी उन्होंने इसकी जरूरत पर बल दिया।

यूक्रेन वह देश है, जिसकी स्थापना के बाद पहली बार भारत से प्रधानमंत्री वहां की यात्रा पर गए हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी का यूक्रेन ने जिस प्रकार गरिमापूर्ण स्वागत और सम्मान किया, वह यह बताता है कि यूक्रेन इसकी जरूरत समझता है कि भारत की भूमिका मौजूदा विश्व में कितनी बढ़ चुकी है। मोदी की रूस यात्रा पर यूक्रेन की ओर से आलोचनात्मक टिप्पणी आई थी लेकिन अब मोदी ने जब यूक्रेन की यात्रा की है तो राष्ट्रपति जेलेंस्की एवं उनकी सरकार ने भारत और उसके प्रधानमंत्री की यात्रा को ऐतिहासिक बना दिया। यह भी गौरतलब है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति को भारत आने का न्योता दिया गया है। अब दिलचस्प यह भी है कि रूस की ओर से इस यात्रा पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं आई है।

ऐसा इसलिए भी संभव हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले रूस जाकर इसके संकेत दे दिए थे कि वे आगामी दिनों में यूक्रेन की यात्रा भी करेंगे। निश्चित रूप से रूस और भारत की दोस्ती अनमोल है। यह दोनों देशों के राजनयिकों के बीच का समन्वय है कि वे विपरीत हालात में भी इस बात की जरूरत को समझते हैं कि आखिर रूस और भारत की एकता का मतलब क्या है। दुनिया के देशों की ओर से कहा गया है कि भारत, रूस को यह युद्ध करने से रोकता क्यों नहीं है। निश्चित रूप से यह गंभीर सवाल है। लेकिन प्रत्येक देश की अपनी संप्रभुता है और यह उसे देखना है कि उसके लिए क्या उचित है। भारत ने रूस को युद्ध से रोकने के लिए बयान नहीं दिए हैं, लेकिन इसकी आवश्यकता जरूर बताई है कि युद्ध की बजाय शांति अहम है और दोनों देशों को इसके लिए काम करना चाहिए। निश्चित रूप से भारत की जरूरत रूस और यूक्रेन दोनों देश हैं और वैश्विक छवि के मुताबिक भारत अपनी उदारता को किसी एक देश का पक्ष लेकर कलंकित नहीं होने देगा। यही उसकी महानता भी है।

यह वह समय है, जब युद्ध कोई नहीं चाह रहा है। हालांकि कुछ ऐसा है, जिसमें पश्चिमी देशों की कूटनीति उन्हें इस प्रकार के हथकंडे अपनाने को विवश कर रही है, जिसमें वे यूक्रेन और इजरायल जैसे देेशों की मदद के बहाने अपने हथियारों के बाजार को और रोशन कर सकें। इस पूरे परिदृश्य में भारत की भूमिका कभी अपने यहां निर्मित हथियारों को बेचने की नहीं है। वास्तव में भारत सबका साथ और सबका विकास की अवधारणा पर आगे बढ़ रहा है और यही बात दुनिया के सभी देशों को प्रेरित कर रही है।

वैसे, यह बेहद जरूरी है कि भारत सरकार अपने कूटनीतिक प्रयासों को और तीव्र करे और वैश्विक शांति सिर्फ शब्दों नहीं अपितु वास्तविकता में लेकर आए। भारत आतंकवाद और युद्धों की तपिश झेल चुका है, इसलिए उसकी ओर से शांति के प्रयासों की कीमत को बखूबी समझा जा सकता है। रूस और यूक्रेन अगर भारत के आग्रह के बाद एक मंच पर आकर युद्ध खत्म कर देते हैं तो यह भारत की विश्व गुरु की छवि को और प्रभावी बनाएगा एवं मानवता का कल्याण होगा। 

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