Memorable performance of Indian players in Paris Olympics

Editorial: पेरिस ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का यादगार प्रदर्शन

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Memorable performance of Indian players in Paris Olympics

Memorable performance of Indian players in Paris Olympics: पेरिस ओलंपिक में भारत की मौजूदगी को दुनिया देख रही है। टोक्यो ओलंपिक में 7 पदक जीतने वाले भारतीय  खिलाड़ियों  से इस बार उम्मीद की जा रही है कि वे यह रिकॉर्ड तोड़ेंगे। हालांकि उनका सफर सफल भी हुआ है और नहीं भी। 140 करोड़ से ज्यादा लोगों के एक देश का अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धा में तीसरे नंबर पर आना या फिर खेल से ही बाहर हो जाना हैरान करता है। कहते हैं, आधे खाली गिलास को मत देखो, अपितु आधे भरे हुए गिलास को देखो। बेशक, यह अच्छी कहावत है, हालांकि दूसरे देश भी ऐसा ही करते होंगे, इस पर आशंका है।

बहरहाल, भारत ने शूटिंग में दो मैडल अपने नाम किए हैं और अन्य में इसकी संभावना जाहिर की जा रही है। सबसे बढक़र यह कि शूटिंग में हरियाणा से गईं मनु भाकर ने एकल मुकाबले में ब्रॉन्ज और संयुक्त तौर पर भी ब्रॉन्ज जीतकर जहां देश का मान बढ़ाया है, वहीं तीसरे मुकाबले में वे खेल से बाहर हो गईं। पेरिस ओलंपिक में हरियाणा और पंजाब के खिलाड़ी ही छाए रहे हैं। पंजाब के सरबजोत सिंह 10 मीटर की शूटिंग स्पर्धा में मनु भाकर के साथ खेले थे। निश्चित रूप से यह दोनों खिलाडिय़ों के लिए बड़ी उपलब्धि है।

मनु भाकर ने अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग में जिस प्रकार नाम कमाया है, वह देश एवं हरियाणा प्रांत के लिए भी उल्लेखनीय है। मनु भाकर ऐसी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने एक ही ओलंपिक में दो पदक जीते हैं। ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ था। वास्तव में यह उपलब्धि देश के उन करोड़ों युवाओं के लिए भी प्रेरक है जोकि खेलों में अपना नाम बनाने के लिए प्रयासरत हैं। भाकर का यह सफर काफी मुश्किल पगडंडियों से होकर गुजरा है और उन्होंने काफी निराशा का सामना किया है। टोक्यो ओलंपिक में उन्हें सफलता नहीं मिली थी लेकिन फिर भी उनका जोश कायम रहा और पेरिस ओलंपिक में दो बार पदक जीतकर उन्होंने अपने आलोचकों को करारा जवाब दे दिया।

इस उपलब्धि के लिए पूरे देश ने उन्हें बधाई दी है। पंजाब के शूटर सरबजोत सिंह भी इस उपलब्धि के लिए बराबर के भागीदार हैं। वे संभवत: पहली बार ओलंपिक में उतरे थे और उन्होंने यह कामयाबी हासिल की। पंजाब में खेलों का माहौल आजकल काफी निराशाजनक है, राज्य में नशाखोरी ही खबर बनती रहती है। सरबजोत सिंह एवं हॉकी खिलाड़ियों   ने जिन्होंने 52 साल आस्ट्रेलिया पर 3-2 से जीत हासिल की है, ने यह उम्मीद जताई है कि पंजाब के हालात सुधर रहे हैं और यहां युवा फिर से खेलों की तरफ अग्रसर हो रहे हैं।

गौरतलब है कि मनु भाकर ने ब्रॉन्ज मेडल जीत कर एक साथ कई कीर्तमान स्थापित कर दिए हैं। वे ओलिंपिक मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला शूटर हो गई हैं। इससे पहले इस ऑल बॉयज क्लब में राज्यवर्धन सिंह राठौर, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग और विजय कुमार ही थे। यही नहीं, मनु पिछले 20 साल में किसी एकल इवेंट में ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला भी बनीं। 10 मीटर एयर पिस्टल मुकाबले में तो आज तक कोई महिला शूटर ओलंपिक फाइनल में भी नहीं पहुंची थी। यानी मनु भाकर की उपलब्धि इतनी भर नहीं है कि उन्होंने एक पदक जीत लिया अपितु उन्होंने दूसरे मामलों में भी कीर्तिमान रचा है। हरियाणा में एक समय कन्याओं के जन्म को शुभ नहीं माना जाता था, हालांकि अब उसी प्रदेश में हालात बदल चुके हैं और बेटियों के जन्म पर जहां खुशियां मनाई जाती हैं, वहीं उन्हें पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाया जाता है। मनु भाकर इसका उदाहरण हैं कि समाज की सोच अब बदल चुकी है और बेटियां भी आगे बढ़ रही हैं।

दरअसल, पेरिस ओलंपिक में हॉकी में भारतीय खिलाडिय़ों ने बगैर पदक जीते जो इतिहास रचा है, उसका भी बहुत सम्मान होना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया ने बीते दशकों में भारत की टीम को तमाम मुकाबलों में परास्त किया है लेकिन पेरिस में भारत के लडक़ों ने आस्ट्रेलिया को हरा कर उन सभी हारों का बदला ले लिया, जोकि अभी तक चुभ रही थी। साल 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के बाद अब जाकर यह शुभ घड़ी आई है।

हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, लेकिन इस खेल को इतना पसंद नहीं किया जाता जितना कि क्रिकेट जैसे आरामपसंद खेल को। हालांकि हॉकी जैसे खेलों में 52 साल बाद भी जब जीत मिलती है तो देश इस पर खुशी नहीं मनाता, तब भी पदक का इंतजार किया जाता है, लेकिन यही जीत देश के लिए पदक है। बेशक, भारत को अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों के लिए अपने खिलाडिय़ों को और ज्यादा पारंगत करने की जरूरत है। यह देश इतने भर से सब्र नहीं कर सकता, हमें हमारी क्षमताओं को बढ़ाना होगा। पदक तालिका में सर्वोच्च स्थान पर आना भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए। 

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