Editorial: हरियाणा में मनोहर सरकार ने गांवों का भविष्य बनाया सुनहरा
- By Habib --
- Wednesday, 15 Nov, 2023
Manohar government
इसमें कोई दोराय नहीं हो सकती कि अगर गांव विकसित होंगे तो राज्य और देश विकास करेंगे। भारत गांवों का देश है, आज शहरों के नाम पर जो चमकीले क्षेत्र नजर आते हैं, वे गांवों के धरातल पर ही खड़े हुए हैं। यह भी सच है कि गांव अब भी गांव ही हैं लेकिन शहर स्मार्ट सिटी में तब्दील होते जा रहे हैं। तब एक राज्य सरकार का यह दायित्व नहीं है कि वह गांवों के विकास के लिए भी जत्न करे और हरियाणा में राज्य सरकार यही कर रही है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश में गांवों के विकास के लिए हर वे कदम उठाए जा रहे हैं जोकि आवश्यक हैं। अब पूरे देश के सामने मॉडल पेश करने वाले हरियाणा में लाल डोरे को खत्म करने की मुहिम रंग ला रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा के पैटर्न पर इस योजना को पूरे देश में ‘स्वामित्व’ के नाम से लागू कर चुके हैं। हरियाणा में अभी तक इस योजना के तहत 6200 के करीब गांवों में 25 लाख 17 हजार लोगों के प्रॉपर्टी कार्ड बनाए जा चुके हैं। इतना ही नहीं, प्रॉपर्टी कार्ड बनने के बाद लोगों की पहली रजिस्ट्री महज 80 रुपये में की जा रही है।
यह अपने आप में अद्भुत बात है कि लाल डोरे के नाम पर किस प्रकार ग्रामीणों को उनकी संपत्ति के अधिकार से वंचित रखा गया। अंग्रेजी काल से चली आ रही इस प्रथा को हरियाणा सरकार ने खत्म करके बेहद सराहनीय कार्य किया है। गांव-देहात में जमीन के कागजात नहीं होते थे, लेकिन मौजूदा सरकार ने स्वामित्व योजना के जरिये ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का अधिकार दिया है। मालूम हो, इस योजना के तहत एक बार रजिस्ट्री होने के बाद अगर जमीन की खरीद-फरोख्त होती है तो फिर सर्कल रेट के हिसाब से जमीन की रजिस्ट्री होगी। गांवों को लाल डोरा मुक्त करने की यह शुरुआत करनाल के सिरसी गांव से की गई थी। सिरसी में पायलट प्रोजेक्ट कामयाब होने के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया। वास्तव मेंमहात्मा गांधी के ग्राम्य विकास के विचार के बगैर स्वराज की कल्पना नहीं की जा सकती। और हरियाणा में राज्य सरकार ने गांवों को विकास की राह पर आगे बढ़ाकर इसी मूलमंत्र पर चलते हुए अभूतपूर्व कार्य किया है।
आज गांवों में विकास की तस्वीर बदल चुकी है, गांवों में बेहतर सडक़ें हैं और पीने के पानी की समस्या का समाधान भी हो रहा है। गांवों में जहां डिस्पेंसरी खोली जा रही हैं, वहीं पशुओं के अस्पताल भी बन रहे हैं। गांवों में तालाबों का सौंदर्यीकरण किया गया है और पंचायत घर एवं अन्य आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके गांवों का पूरा वातावरण ही बदल दिया गया है। अब लाल डोरा खत्म करने के लिए आरंभ की गई स्वामित्व योजना भी लोगों को खूब रास आ रही है। जिन मकानों में लोग वर्षों से रह रहे हैं, लेकिन उनके कभी मालिक नहीं बन पाए, अब वे लोग 80 रुपये में रजिस्ट्री करवा कर मकानों का मालिकाना हक हासिल कर रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस योजना की जब परिकल्पना की थी तो किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना को पूरे देश में लागू करने की घोषणा कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी हरियाणा सरकार की ओर से लागू की जा रही योजनाओं को जहां स्वीकृति प्रदान करते हैं, वहीं वे मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रशंसा भी करते हैं। हरियाणा एक समय सिर्फ कृषि प्रधान ही राज्य कहलाता था, लेकिन अब हरियाणा शिक्षा, चिकित्सा, खेल, उद्योग, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोड, कृषि, आईटी समेत तमाम विषयों में रोल मॉडल बन चुका है। सबसे बढक़र यह कि राज्य में अब सुशासन है और योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए जनता को दफ्तरों की लाइनों में लगने की जरूरत नहीं रह गई है, अपितु वह अपने मोबाइल फोन पर इन सुविधाओं को प्राप्त कर सकती है।
राज्य सरकार ने ग्रामीण अंचल के गतिशील विकास के लिए पंचायती राज संस्थाओं का सशक्तीकरण करते हुए पंचायतों को स्वायत्तता प्रदान की है ताकि वे अपने स्तर पर ही विकास कार्य करवा सकें। इसके लिए पंचायतों को प्रशासनिक व वित्तीय शक्तियां प्रदान की गईं। साथ ही, सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग-ए को 8 प्रतिशत आरक्षण दिया है।
मुख्यमंत्री ने अंतर जिला परिषद का गठन कर पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद को विभिन्न प्रकार के छोटे विकास कार्य करने के लिए अधिकृत किया है। बड़ी परियोजनाएं मुख्यालय स्तर पर सरकार द्वारा की जा रही हैं। अब तक 1856 ग्राम सचिवालय खोले जा चुके हैं। पंचायती राज संस्थानों के जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ ग्रामीण सफाई कर्मचारियों व ग्रामीण चौकीदारों का भी ख्याल रखा है। वास्तव में मनोहर सरकार के प्रयास से अब गांवों में भी रोजगार के साधन विकसित हो रहे हैं। अब पूरा परिदृश्य बदलता नजर आ रहा है, हालांकि यह जरूरी है कि गांव विकसित हों लेकिन उनकी मौलिकता बनी रहे।
यह भी पढ़ें:
Editorial: प्रदूषण रोकने के लिए बातें ही क्यों, सच में उठने चाहिए कदम
Editorial: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मुद्दे कम, आरोप ज्यादा