Editorial: मान का बिजली बचाने का फैसला सही कदम
- By Vinod --
- Sunday, 09 Apr, 2023
Mann's decision to save electricity is a right step
Mann's decision to save electricity is a right step- पंजाब में आम आदमी पार्टी की मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार अपने आप में प्रयोगवादी ऐसी सरकार बनती जा रही है, जोकि जनता के हित में नित नये कदम उठाकर उसकी राह को आसान बना रही है। राज्य सरकार ने सुशासन का जैसा स्वरूप राज्य में पेश किया है, वह अपने आप में अनूठा है और दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणादायक है। अब जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है और राज्य में बिजली संकट खड़े होने की आशंका है, उसे देखते हुए राज्य सरकार ने पहले ही तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने निर्देश दिए हैं कि 2 मई से सुबह 7.30 बजे सरकारी कार्यालय खुलेंगे।
यह व्यवस्था आगामी 15 जुलाई तक जारी रहेगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान का मानना है कि ऐसी व्यवस्था विदेश में भी की जाती है, इस तरीके से कर्मचारियों के काम करने के घंटे परिवर्तित करके उससे पहले और बाद के घंटों में बिजली को बचाया जाता है। यह भी प्रशंसनीय है कि मुख्यमंत्री मान ने खुद के कार्यालय आने का समय भी सुबह 7.30 बजे तय कर दिया है। गौरतलब है कि इस समय राज्य में सरकारी कार्यालय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुले रहते हैं। इससे जहां बिजली की बचत होगी वहीं कर्मचारियों में चुस्ती भी आएगी। जो कर्मचारी देरी से उठते थे उनके अन्दर सुबह समय पर कार्यालय पहुंचने को लेकर एक नई ऊर्जा पैदा होगी और सुबह जल्दी उठने से सेहत भी ठीक रहेगी। इसी के साथ दूर-दराज से आए व्यक्ति भी सरकारी कार्यालय में अपना काम करवाकर समय पर घर लौट जाएंगे।
पंजाब वह राज्य है, जहां प्रत्येक वर्ष गर्मियों में बिजली की किल्लत मीडिया की खबरें बनती थी और जनता बिजली के कटों से बेहाल जाती है। इसके बाद दूसरे राज्यों से बिजली की सप्लाई लेनी पड़ती है वहीं थर्मल पावर प्लांट पर निर्भर होना पड़ता है। जाहिर है, बिजली आज के समय में सबसे उपयोगी ऊर्जा उत्पाद है, जिसके बगैर कोई काम नहीं हो सकता। घर, कार्यालय, फैक्टरी, उद्योग, स्कूल, अस्पताल, दुकान आदि हर जगह बिजली की जरूरत पड़ती है। हालांकि उत्पादन की तुलना में अगर खपत ज्यादा होगी तो बिजली संकट पैदा होगा ही। मान सरकार के पद संभालने से पहले राज्य में बिजली की हालत गंभीर थी।
पूर्व की सरकारों के वक्त बिजली की आपूर्ति को लेकर रोजाना सरकार और मंत्रियों के बयान आते थे। हालांकि मुख्यमंत्री मान ने सत्ता में आते ही जहां 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा निभाया है, वहीं बिजली उत्पादन के तरीके बढ़ाने पर भी फोकस किया है। मौजूदा समय में राज्य में बिजली बचाए जाने के लिए हर प्रयास करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि अगर 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली के फार्मूले को समझें तो यह बिजली के अपव्यय को रोकने की दिशा में कारगर सोच है। इतनी यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करके एक उपभोक्ता दूसरों के लिए बिजली बचाता है। बिजली निगम के मुताबिक वर्ष 2022 में गर्मी और धान की रोपाई के सीजन में बिजली की अधिकतम मांग 14311 मेगावाट रिकार्ड की गई थी, इस बार धान के सीजन में बिजली की मांग 15500 से लेकर 16000 मेगावाट के बीच रहने की संभावना है।
मुख्यमंत्री मान ने सरकारी कार्यालयों का समय सुबह 7.30 बजे से 2 बजे करने का निर्णय पावर कार्पोरेशन और सरकारी विभागों के अधिकारियों से बातचीत के बाद लिया है, यानी सभी पक्षों से बातचीत के बाद जांच परख कर इस नतीजे पर पहुंचा गया कि ऐसा करना बिजली बचाने की दिशा में उचित कदम होगा। दरअसल, बिजली निगम के अधिकारियों ने इसका आकलन किया है कि गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग दोपहर एक बजे से शुरू हो जाती है। सरकारी कार्यालयों के दो बजे बंद होने से वहां चलने वाले पंखे, बल्ब, कूलर और एसी बंद हो जाएंगे। इससे बिजली की मांग में प्रतिदिन 300 से 350 मेगावाट तक कमी आएगी।
वास्तव में सुबह 9 से 5 बजे तक कार्यालय का समय रहने से एक कर्मचारी का जीवन उन्हीं घंटों के मुताबिक सेट हो जाता है। सुबह 9 बजे तक कार्यालय पहुंचना और उसके बाद 5 बजे घर पहुंच कर ही वह अन्य कार्यों में समय दे पाता है। हालांकि सुबह डेढ़ घंटे जल्दी कार्यालय के लिए निकल कर एक कर्मचारी करीब साढ़े 8 घंटे काम करने के बाद घर आ जाएगा। इससे कर्मचारियों को भी जल्द काम खत्म करके घर पहुंचने का आराम मिलेगा। निश्चित रूप से कार्यालयों का नया समय तय होने से शुरुआत में कुछ परेशानी हो सकती है, लेकिन फिर सब सामान्य हो जाएगा।
वैसे भी देखने को मिलता है कि सरकारी कार्यालयों में गर्मियों में एसी, पंखे चलते रहते हैं, चाहे कमरे में कोई हो या न हो, एक कर्मचारी के लिए भी यही व्यवस्था रहती है। वहीं सर्दियों में दिनभर हीटर चलाए जाते हैं। यह सब बिजली की खपत को ही बढ़ाते हैं, सरकार को चाहिए कि समय बदलने के अलावा सरकारी कार्यालयों में बिजली के अपव्यय की रोकथाम के लिए भी प्रभावी कदम उठाए। यहां यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बिजली बचाने का जो फैसला लिया है सही समय पर सही लिया गया फैसला है।
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