Man government'

Editorial: पंजाब में नशे पर लगाम के लिए मान सरकार के प्रयास सही

Edit2

Man government'

Man government's efforts to curb drug menace in Punjab are correct: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह कहना सर्वथा उचित है कि नशा तस्करों पर अब कड़ा प्रहार किया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से इस पर कार्रवाई के लिए लगातार काम किया जा रहा है और अब मोहाली में एएनटीएफ यानी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के नए कार्यालय का मुख्यमंत्री मान ने खुद उद्घाटन करके यह बता दिया है कि वे नशे के खिलाफ जंग के लिए किस प्रकार तैयार हैं। सरकार ने एएनटीएफ के मौजूदा करीब 400 कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।

इस नए सेंटर  में विभिन्न आधुनिक संसाधन और उपकरण लगाए गए हैं। निश्चित रूप से अवैध नशा ऐसा जुर्म है, जिसमें न जाने कितने लोग संलिप्त हैं और सबसे बढक़र इसकी जड़ें राजनीति तक फैली हुई हैं। पुलिस और प्रशासन को भी इस धंधे में शामिल लोगों के दबाव में रहकर काम करना पड़ता है और यही सच है। हालांकि आम आदमी पार्टी के शासनकाल में राज्य में पुलिसिंग के हालात बदले हैं और अब जहां कर्मचारियों की संख्या बढ़ी है, वहीं प्रशासनिक स्तर पर भी ऐसे उपाय किए गए हैं कि लोग अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं। यह अपने आप में उल्लेखनीय है।

राज्य की मान सरकार ने नशे के सौदागरों की कमर तोड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाए हैं, लेकिन इसके बावजूद आज की तारीख में यह जरूरी हो गया है कि नशे के खिलाफ अंतिम युद्ध शुरू हो। इस दिशा में सरकारी अधिकारियों को इसके निर्देश भी दिए गए हैं कि नशा बेचने वालों की संपत्ति जब्त करें। मुख्यमंत्री का पुलिस कर्मचारियों से भी यह आह्वान बेहद गंभीर है कि वे यारियों और रिश्तेदारियों से दूर होकर काम करें। इसके अलावा जिन पुलिस मुलाजिमों की नशा तस्करी में या फिर नशा बेचने में संलिप्तता मिलेगी, उन्हें तुरंत बर्खास्त कर दिया जाएगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मान ने खुद स्वीकार किया है कि पुलिस मुलाजिमों के नशा तस्करों के साथ संबंध हैं। पंजाब में और देशभर में सभी को इसका ज्ञान है कि पंजाब में नशा बिकने के पीछे अगर कोई ताकत काम कर रही है तो पुलिस के ही मुलाजिम हैं। नीचे के लेवल से लेकर ऊपर तक अनेक बार ऐसे पुलिस अधिकारियों की पहचान हो चुकी है, जोकि सीधे तौर पर नशा तस्करी में संलिप्त रहे हैं या फिर उन्होंने नशा तस्करों को संरक्षण दिया है। इसके अलावा राजनीतिक संरक्षण भी इन आरोपियों को हासिल है।  राज्य सरकार की ओर से नशे के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई शुरू की गई थी, इसके तहत तस्करों को सलाखों के पीछे डाला जा रहा था। लेकिन यह मुहिम लगातार जारी रखने की जरूरत है। यह अच्छा ही है कि सरकार ने नए सिरे से इसकी जरूरत को समझा है और अब फिर सरकार एक्शन में है।

दरअसल, पंजाब के लिए नशाखोरी अभिशाप बन चुकी है और रोजाना ऐसी रपट दिल दहला देती हैं, जब परिजनों को अपने युवा बच्चों का अंतिम संस्कार करते हुए देखा जाता है। नशे  की वजह से उनकी जान जा रही है और यह सिलसिला बंद होने का नाम नहीं ले रहा। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य अब मादक पदार्थों के उपयोग और तस्करी के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है।  रिपोर्ट से पता चला कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज 10,432 एफआईआर के साथ उत्तर प्रदेश अब शीर्ष स्थान पर है, इसके बाद महाराष्ट्र (10,078) और पंजाब (9,972) का स्थान है।

चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की एक रिपोर्ट बताती है कि 30 लाख से अधिक लोग या लगभग पंजाब की 15.4 फीसदी आबादी इस समय नशीले पदार्थों का सेवन कर रही है। ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि पंजाब में हर साल करीब 7,500 करोड़ रुपये का ड्रग्स का कारोबार होने का अनुमान है। वास्तव में सरकार अपने तौर पर तमाम काम कर रही है, लेकिन यह अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक कि जनता का इसमें सहयोग न मिले। पंजाब में बीते कुछ वर्षों के दौरान जिस प्रकार से नशाखोरी ने अपने पैर पसारे हैं, उससे समाज, संस्कृति और व्यवस्था सभी प्रभावित हुए हैं। जिस राज्य को प्रगति पथ पर बढ़ते हुए सभी क्षेत्रों में सिरमौर होना चाहिए, उसकी जवानी नशे के जाल में फंस कर छटपटा रही है और अपनी जान गंवा रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि सरकार नशे के खिलाफ पूरी ताकत से काम करे। 

यह भी पढ़ें:

Editorial: पश्चिम बंगाल को अराजकता की आग में जलने से बचाओ

Editorial:जम्मू-कश्मीर की जनता के निर्णय पर रहेगी पूरे देश की नजरें

Editorial: किसान आंदोलनकारियों को अपनी आलोचना भी सुननी होगी