खरमास में नहीं किए जाते मांगलिक कार्यक्रम, देखें क्यों लगती है पाबंदी
- By Habib --
- Tuesday, 28 Nov, 2023
Auspicious programs are not performed in Kharmas.
हिंदू धर्म में खरमास के महीने में शुभ कार्य करना वर्जित होता है। खरमास को मलमास भी कहा जाता है। इस समय को अशुभ माना जाता है और इस समय किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। एक साल में दो बार खरमास लगता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो एक महीने के लिए खरमास लग जाता है। आज आपको बताने जा रहे हैं कि साल का आखिरी खरमास कब लग रहा है।
कब से लग रहा खरमास
बता दें कि इस साल का आखिरी खरमास 16 दिसंबर 2023 से लग रहा है। वहीं खरमास का समापन 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति पर होगा। सूर्य दिसंबर माह में धनु राशि में प्रवेश करेंगे और इस दिन धनु संक्रांति मनाई जाती है। इस दौरान सूर्य एक महीने तक धनु राशि में गोचर करेंगे।
खरमास में क्यों नहीं होते शुभ कार्य
धनु बृहस्पति की राशि हैं, धार्मिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार, जब सूर्य देव बृहस्पति की राशि में गोचर करते हैं तो यह गोचर मनुष्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। बताया जाता है कि जब सूर्य बृहस्पति राशि में गोचर करते हैं तो इससे गुरु ग्रह का बल कमजोर होने लगता है। वहीं सूर्य भी अपना तेज कम कर लेते हैं। इस दौरान सूर्य की भी चाल ज्यादा धीमी हो जाती है। जबकि किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यों में सूर्य और गुरु ग्रह का मजबूत होना काफी जरूरी माना जाता है। इस वजह से खरमास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
क्या होता है खरमास
खर संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ गधा होता है। खरमास से संबंधित एक वाक्या कहा जाता है कि एक बार सात घोड़ों के रथ पर सूर्य देव ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। इस दौरान उनको कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं थी। क्योंकि अगर वह रुक जाते तो उस दिन के सारे कार्य और गतिविधियां बंद हो जातीं। लेकिन चलते रहने के कारण और आराम न मिलने पर रथ में जुते घोड़े प्यासे हो गए और थक गए। घोड़ों को थका देखकर सूर्यदेव ने एक नदी के तट पर रथ को रोक दिया। जिससे के घोड़े प्यास बुझा सकें और आराम भी कर सकें।
लेकिन जब सूर्य देव को पता चला कि उनके रथ रोकने पर पृथ्वी की सारी गतिविधियां रुक जाएंगी और परेशानियां बढ़ जाएंगी। तब सूर्य देव ने नदी के तट पर खड़े दो गधों को अपने रथ से जोड़ लिया और घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए छोड़ दिया। इस तरह से गधों की चाल ने रथ की गति को धीमा कर दिया। हांलाकि इस तरह से एक महीने का चक्कर किसी तरह से पूरा हो गया। साथ में घोड़ों ने भी आराम कर लिया। जिसके बाद सूर्य देव ने घोड़ों को फिर से रथ में जोड़ दिया। इस तरह पूरा साल चलता रहा। तभी से हर सौर मास में एक बार खरमास आता है।
खरमास में क्या न करें
यज्ञोपवित संस्कार यानी जनेऊ नहीं किया जाता है।
नए का काम या नई चीजों को शुरूआत न करें।
गृह प्रवेश और भूमि पूजन।
रिश्ते की बातचीत या शादी।
मुंडन और तिलकोत्सव।
खरमास में क्या करें
खरमास के दौरान भगवान श्रीहरि विष्णु और सूर्य देव की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव और भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा से व्यक्ति को सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस दौरान पूजा-दान और जप आदि का बहुत महत्व होता है। बताया जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से दान करता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा इस समय में ब्राह्मण, गाय और संत आदि की सेवा करने का अधिक महत्व होता है।
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