महाकुंभ से होगी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदला

महाकुंभ से होगी अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव, 4 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था को मिलेगा लाभ

महाकुंभ के विशाल पैमाने का मतलब है कि त्यौहार का हर पहलू आर्थिक गतिविधि में योगदान देता है।

 

MahaKumbha 2025: हर 12 साल में भारत दुनिया के सबसे असाधारण आयोजनों में से एक का केंद्र बन जाता है, जो है महाकुंभ मेला। महाकुंभ 2025 को जो की काफी खास है वह सिर्फ इस सदियों पुरानी परंपरा का आध्यात्मिक महत्व नहीं रखता बल्कि इसका अविश्वसनीय आर्थिक प्रभाव भी है। 1.5 मिलियन विदेशी पर्यटको सहित 400 मिलियन से ज्यादा लोग इस पवित्र भूमि पर एकत्रित होते हैं। यह आयोजन चार लाख करोड़ की चौंका देने वाली आर्थिक पारिस्थितिक तंत्र को भी बढ़ावा देता है।

 

आर्थिक गतिविधि में रखता है महत्वपूर्ण स्थान

 

महाकुंभ के विशाल पैमाने का मतलब है कि त्यौहार का हर पहलू आर्थिक गतिविधि में योगदान देता है। बुनियादी ढांचे से लेकर छोटे पैमाने के विक्रेताओं सभी अर्थव्यवस्था में काफी अच्छा योगदान देते हैं। तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को ठहरने से 40000 करोड रुपए की आय होती है, जिसका लाभ होटल होमस्टे और अस्थाई आश्रम को मिलता है। 400 मिलियन से अधिक लोगों की भूख 20000 करोड रुपए के मूल्य के उद्योग को बढ़ावा देती है, जिसमें स्ट्रीट फूड से लेकर अंतरराष्ट्रीय अंगुटुकों के लिए खान-पान के अनुभव तक सब कुछ शामिल होते हैं। प्रार्थना माला से लेकर आध्यात्मिक पुस्तकों तक धार्मिक वस्तुएं 20000 करोड रुपए का राजस्व उत्पन्न करते हैं, जिससे कार्य छोटे व्यापारियों और स्थानीय बाजारों को खूब लाभ होता है। इसके अलावा इस आयोजन में लाखों लोगों के आने से एयरलाइन रेलवे बस ऑपरेटर की आय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। साथ ही लॉजिस्टिक्स पंजीकरण और वर्चुअल भागीदारी के प्रबंधन के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे से 1000 करोड रुपए प्राप्त होने की भी उम्मीद है साथ ही निर्माण स्वच्छता खाद्य सेवा सुरक्षा और रसद में अस्थाई नौकरियां लाखों लोगों को आगे का आजीविका प्रदान करती है।

 

उद्योगों पर प्रभाव

महाकुंभ के लिए बुनियादी ढांचे में भारी निवेश की आवश्यकता होती है सड़कों फूलों स्वच्छता सुविधाओं और सार्वजनिक स्थानों को ले लोगों की आमद को ध्यान में रखते हुए विकास किया जाता है यह परियोजनाएं क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक लाभ पैदा करते हैं जिससे आयोजन के बाद भी कनेक्टिविटी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए महाकुंभ अक्सर भारत का प्रवेश द्वार होता है 1.5 मिलियन विदेशी पर्यटकों के आने की उम्मीद के साथ वाराणसी आगरा और ऋषिकेश जैसे आसपास के आकर्षणों में भी पर्यटन में उछाल देखने को मिलता है इसका असर त्यौहार के मैदाने से कहीं आगे जाकर आर्थिक लाभ को बढ़ाता है। छोटे विक्रेताओं और स्थानीय कार्यक्रम को जीवन में एक बार मिलने वाला व्यावसायिक अवसर दिखाई देता है चाय की दुकानों से लेकर हस्तशिल्प विक्रेताओं तक या आयोजन जमीनी स्तर पर उधमशीलता को सशक्त बनाता है और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में धान का संचार भी करता है।