छाया, सुगंध और औषधीय गुणों का खजाना है शिरीष का पेड़

Shirish tree is a treasure of shade, fragrance and medicinal properties

Shirish tree is a treasure of shade, fragrance and medicinal properties

Shirish tree is a treasure of shade, fragrance and medicinal properties- नई दिल्ली। रात के सन्नाटे में अगर आपको हल्की सी खुशबू महसूस होती है, तो यह शिरीष के फूलों का संकेत है। शिरीष का पेड़ अपने सुंदर और महकते फूलों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद में भी यह काफी उपयोगी होता है। औषधीय गुणों से भरपूर इस पेड़ को अंग्रेजी में 'लेब्बेक ट्री' कहा जाता है। इसकी छाल, फूल, बीज, जड़, और पत्तियां स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। 

शिरीष का पेड़ मध्यम आकार का, सघन छायादार और तेजी से बढ़ने वाला होता है। इसकी पत्तियां पतझड़ में गिर जाती हैं। इसकी विभिन्न प्रजातियां हैं, जिनमें लाल शिरीष, काला शिरीष और सफेद शिरीष प्रमुख हैं।

'अल्बिजिया लेब्बेक' 16 से 20 मीटर ऊंचा होता है। इसके सफेद-पीले रंग के सुगंधित फूल होते हैं। इसका फल कड़ा और पतला होता है, जो पकने पर भूरे रंग का हो जाता है।

'अल्बिजिया अमारा' 15 मीटर ऊंचा होता है। इसके फूल का रंग पीला होता है।

'अल्बिजिया जूलिब्रिसिन' की ऊंचाई लगभग 12 मीटर होती है। इसके हल्के गुलाबी फूल होते हैं और इसका फल छोटा तथा चपटा होता है।

'अल्बिजिया प्रोसेरा' की ऊंचाई 30 मीटर तक हो सकती है और इसके फूल सफेद-पीले रंग के होते हैं।

भारत में शिरीष को केवल एक छायादार वृक्ष के रूप में ही नहीं उगाया जाता, बल्कि इसके औषधीय गुणों के कारण यह आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस वृक्ष के विभिन्न अंगों का उपयोग कई प्रकार के रोगों के उपचार में किया जाता है, जो इसे प्राकृतिक चिकित्सा का एक अनमोल खजाना बनाता है।

माइग्रेन के दर्द से राहत पाने के लिए शिरीष की जड़ और फल के रस को नाक में डाला जाता है, जिससे तुरंत आराम मिलता है। शिरीष के पत्तों का रस आंखों में लगाने से आंखों की समस्याओं में लाभ होता है। दांतों के रोगों से निजात पाने के लिए शिरीष की जड़ से तैयार काढ़े से कुल्ला करना प्रभावी सिद्ध होता है। इसके अलावा, सांसों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए शिरीष के फूलों का रस और पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने की सलाह दी जाती है। चर्म रोगों, जैसे खुजली या कुष्ठ में भी शिरीष का तेल लगाने से काफी हद तक राहत मिलती है। इसके अलावा, शिरीष का उपयोग पाचन, कफ और पित्त असंतुलन, बवासीर, ट्यूमर, विष के प्रभावों और यहां तक कि शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी किया जाता है।

शिरीष न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है, बल्कि यह मानसिक और तंत्रिका तंत्र के लिए भी लाभकारी हो सकता है। इसके बीज, फूल और पत्ते मनोवैज्ञानिक रोगों जैसे मैनिया, उन्माद, और जहर के प्रभावों को भी नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, शिरीष के प्रयोग से शरीर में शुद्धि और शक्ति का संचार होता है।

जहां शिरीष के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, वहीं इसके अत्यधिक उपयोग से कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। जैसे कि रक्त शर्करा का बढ़ना, शुक्राणुओं की कमी, गर्भपात की संभावना और कुछ अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इसे संतुलित मात्रा में और चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करना चाहिए।

शिरीष के वृक्ष भारत में समुद्र तल से 2,700 मीटर की ऊंचाई तक पाए जाते हैं। यह न केवल जंगली क्षेत्रों में, बल्कि बागानों में भी उगाया जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह तेजी से बढ़ता है और कम देखभाल में भी जीवित रह सकता है।