हरियाणा में कांग्रेस की संजीवनी में कुमारी शैलजा का अहं योगदान
Haryana Politics
Haryana Politics: हाल ही में हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन बताता है कि पार्टी में कांग्रेस के परंपरागत यानी दलित वोट की जबरदस्त वापसी हुई है। इसी के चलते कांग्रेस संसदीय चुनाव में हरियाणा की पांच सीट जीत पाई और हरियाणा में कांग्रेस को संजीवनी मिली। सरकार के प्रति किसानों की नाराजगी के साथ-साथ इसका मुख्य कारण कांग्रेस की महिला नेत्री कुमारी शैलजा की बढ़ती लोकप्रियता का रहा है, जो किसान, मजदूर और दलित वोट को साधने में कामयाब रही हैं।
हरियाणा में मतदाताओं की कुल संख्या 1 करोड़ 97 लाख है, जिसमें जाट मतदाता 25% है। इस प्रकार से जाट मतदाताओं की संख्या लगभग 50 लाख है। प्रदेश में दलित समुदाय यानी अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 21% है इस प्रकार से प्रदेश में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 40 लाख से अधिक मानी जा सकती है। इन नब्बे लाख मतदाताओं का सामंजस्य आगामी विधानसभा चुनाव में क्या रंग लाएगा है। यह तो इन मतदाताओं को इकट्ठा रखने से ही पता चल पाएगा।
किसान और दलित वर्ग को आगामी विधानसभा चुनाव तक कुमारी शैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा साधे रख पाएंगे, यह भी एक यक्ष प्रश्न है। दलित, किसान, जाट व पिछड़ा वर्ग के वोटो की कांग्रेस के पक्ष में इस जुगलबंदी से भारतीय जनता पार्टी भलि-भांति परिचित है।
भारतीय जनता पार्टी ने रोहतक में आयोजित अपने संगठन की बैठक में इन समुदायों के वोट अपने पक्ष में करने की रणनीति भी तैयार कर ली है।
जिन परिस्थितियों में किरण चौधरी व श्रुति चौधरी को पार्टी छोड़नी पड़ी है ,यह हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं है। किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के कांग्रेस छोड़ने की बात कुमारी शैलजा के मुंह से बार-बार आ चुकी है। खैर छोड़िए, यह तो कांग्रेस हाईकमान और कांग्रेस नेताओं के बीच का मामला है।
लोकसभा चुनाव में परंपरागत वोटों की वापसी से कुमारी शैलजा के आत्मविश्वास और उत्साह में और ज्यादा हिज़ाफा हुआ है। इसी वजह से उनकी एक दबंग नेता के रूप में पहचान बनी है। वह मुख्यमंत्री के पद की दावेदारी की सार्वजनिक रूप से ताल ठोकने लगी हैं । ताल भी क्यों ना ठोके, उन्होंने लोकसभा चुनाव में सिरसा जिले के साथ-साथ अंबाला व हिसार संसदीय क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाया है। अंबाला संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद रही हैं ।उन्होंने अंबाला में वरुण चौधरी के पक्ष में प्रचार करके उनकी जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अंबाला की सीट कांग्रेस के खाते में गई। इसी प्रकार से उनका पैतृक गांव प्रभुवाला जो उकलाना विधानसभा के अंतर्गत आता है और उचाना विधानसभा क्षेत्र में जहां उनके पूर्वजों का पालवां गांव पड़ता है, के लोगों ने उनको सिर माथे पर बैठाया। उचाना विधानसभा के अंतर्गत आने वाले दाड़न खाप के लोग कुमारी शैलजा को अपनी बहन मानते हैं। और वहां के किसानों ने यहां तक कहा कि बहन शैलजा आरक्षित सीट (अंबाला व सिरसा) छोड़कर अगर हिसार से चुनाव लड़े तो उन्हें भारी मतों से चुनाव जीतवाएंगे। उचाना और उकलाना विधानसभा क्षेत्र से भारी जीत ही हिसार से कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश की जीत का कारण बनी। इस तरह से कुमारी शैलजा की विशेषत: चार सीटों सिरसा, हिसार ,अंबाला व सोनीपत के अलावा हरियाणा के दलित वोटों पर जबरदस्त पकड़ बनी है। इस बात की तसदीक तो कुलदीप शर्मा ने सोनीपत में आयोजित भूपेंद्र सिंह हुड्डा की उपस्थिति में भी की कि इस बार हरियाणा में दलित वोटों के जुड़ने से कांग्रेस में नहीं जान आई है और कांग्रेस पार्टी पांच सीटें जीतने में कामयाब रही है।।गौरतलब है कि पिछले लंबे समय से हरियाणा में ही नहीं पूरे भारत में दलित वर्ग में लीडरशिप का वैक्यूम बना हुआ था ।अब इस कमी को कुमारी शैलजा ने भर दिया है। इस समय न केवल दलित समुदाय में बल्कि एक सर्व समाज के नेता के रूप में उन्होंने अपनी पहचान कायम की है। चुनाव से पूर्व कुमारी शैलजा की सिरसा के साथ-साथ अंबाला लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की भारी मांग रही है। इसी के चलते उन्होंने सिरसा से चुनाव लड़ा और भारी मतों यानी 268497 मतों से चुनाव जीता। इस चुनाव में उन्हें 7 लाख 33823 वोट मिले। इतना ही नहीं चुनाव अभियान के दौरान वे अपना चुनाव क्षेत्र छोड़कर अंबाला में वरुण चौधरी के चुनाव में गई सिरसा संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले सभी विधानसभा क्षेत्र चाहे शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण बाहुल्य हो, सभी क्षेत्रों में भारी जीत दर्शाती है कि उनको अब 36 बिरादरी के लोगों ने अपना नेता मान लिया है। इसी वजह से कुमारी शैलजा आजकल जबरदस्त उत्साह से लबरेज हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के पद की ताल ठोकी है। वरिष्ठता के आधार पर उनका यह दावा बनता भी है। अगर कुमारी शैलजा अपनी इस रेपो को विधानसभा चुनाव तक बनाए रख पाती हैं तो शायद हरियाणा में पहली महिला मुख्यमंत्री का ताज भी उनके सिर पर सजेगा। कांग्रेस पार्टी के पास एक मौका भी है कि प्रदेश में महिला मुख्यमंत्री बनाकर अपनी धुर विरोधी भारतीय जनता पार्टी की कथित महिला हितैषी होने की काट भी ढूंढ पाएगी। वैसे भी कांग्रेस पार्टी इस मुहाने पर खड़ी है कि उसे पूरे देश में अपने परंपरागत कोर्ट को फिर से पार्टी के साथ जोड़ना है। दक्षिण में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस कार्य को बखूबी किया है। उत्तर भारत में कांग्रेस नेत्री कुमारी शैलजा के प्रभाव से और ज्यादा प्रभावी ढंग से हो पाएगा। इसके लिए पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस को महिलाओं और दलित वोटों का लाभ मिलेगा।
सतीश मेहरा
पूर्व उपनिदेशक (प्रेस)
हरियाणा राज भवन