सेम सेक्स मैरिज पर मामला गर्म; केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कह दी यह बात, उधर कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी बड़ा बयान दे डाला
Kiren Rijiju On Same Sex Marriage in Supreme Court
Same Sex Marriage Updates: सेम सेक्स मैरिज यानि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस पूरे मुद्दे को सुन रही है। सुप्रीम कोर्ट के सामने एक तरफ सेम सेक्स मैरिज पर याचिकार्ताओं की कई दलीलें हैं तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने पूरे मुद्दे पर अपना विरोधी रुख स्पष्ट कर रखा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के सामने भी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन हो गया है।
दरअसल, बुधवार को हुई सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से यह कह दिया कि इस पूरे मुद्दे को संसद पर छोड़ दिया जाए। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सेम सेक्स मैरिज का मुद्दा बहुत जटिल है। इसका समाज पर गहरा असर पड़ेगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे की सुनवाई पर विचार कर लेना चाहिए।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी बड़ा बयान दे डाला
सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज पर जारी सुनवाई के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी बड़ा बयान दे डाला है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पर बोलते हुए कहा कि अदालत में इस तरह के मुद्दे नहीं सुलझाए जा सकते हैं और न ही उनपर कोई निष्कर्ष दिया जा सकता है। बेहतर होगा कि, संसद, विधायिका या विधानसभा जैसे मंचों पर ऐसे मुद्दों पर चर्चा हो और उनपर आगे के कदम उठाये जाएं।
हालांकि, इस बीच किरेन रिजजू ने कहा कि, वह सरकार बनाम अदालत नहीं बनना चाहते, बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि सेम सेक्स मैरिज का मुद्दा अदालत और सरकार के बीच का नहीं है। ये एक ऐसा मुद्दा है जो भारत के प्रत्येक नागरिक से संबंधित है और उसे गहरे ढंग से प्रभावित करेगा। ये लोगों की इच्छा से जुड़ा है। इसलिए इस प्रकार का महत्वपूर्ण मुद्दा देश के लोगों द्वारा तय किया जाना है और लोग संसद, विधायिका या विधानसभाओं में अपने विचारों को परिलक्षित करते हैं। किरेन रिजजू ने कहा कि देश का एक बड़ा तबका जब ऐसा नहीं चाहता है तो आप उसपर ये चीजें थोप नहीं सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पास शक्ति है लेकिन...
केंद्रीय कानून मंत्री ने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट के अगर पांच बुद्धिमान लोग कुछ तय करते हैं जो उनके अनुसार सही है तो वह उनके खिलाफ किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट के पास निश्चित रूप से किसी भी निर्देश को जारी करने की शक्ति है। धारा 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट कानून भी बना सकता है। लेकिन वह इस पर बार-बार जरूर जोर देंगे कि जब किसी मुद्दे पर देश के प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करने की बात आती है तो सुप्रीम कोर्ट ऐसे मुद्दों को मंच नहीं है।
ध्यान रहे कि, इससे पहले भी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने सेम सेक्स मैरिज पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था- समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध स्पष्ट रूप से अलग-अलग हैं जिन्हें किसी भी तरह से समान नहीं माना जा सकता है।
केंद्र का कहना था कि सेम सेक्स संबंध पति-पत्नी और उनसे पैदा होने वाले बच्चों की फैमिली की अवधारणा पर आधारित नहीं है। ऐसे संबंध की तुलना खासतौर पर एक भारतीय फैमिली से बिलकुल भी नहीं की जा सकती। वहीं केंद्र ने कहा कि, प्रारंभ से ही भारतीय विवाह की धारणा अनिवार्य रूप से विपरीत सेक्स के मिलन को मानती है। विपरीत सेक्स के दो व्यक्तियों का मिलन ही विवाह है। इसलिए सेम सेक्स संबंध यानि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती| केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि ऐसी याचिकाओं को खारिज किया जाए।
समलैंगिक संबंध पर सुप्रीम कोर्ट दे चुका है बड़ा फैसला
मालूम रहे कि, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से समलैंगिक संबंध पर बड़ा फैसला दिया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंध को मंजूरी दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सहमति से समलैंगिक संबंध को अपराध से श्रेणी से बाहर माना है। यानि एक ही लिंग के दो लोग सहमति से समलैंगिक संबंध रख सकते हैं। यह अपराध नहीं है। लेकिन अब समलैंगिक संबंध में विवाह की मान्यता को लेकर मंजूरी मांगी जा रही है।