Kejriwal resignation

Editorial: केजरीवाल के इस्तीफे ने राजनीति में उत्पन्न किया नया विमर्श  

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Kejriwal resignation

Kejriwal resignation gave rise to a new debate in politics: नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में जो बड़ा फेरबदल हुआ है, वह राजनीति और भविष्य की संभावनाओं का ऐसा समुच्चय है, जब पार्टी ने अपने विरोधियों को जवाब देने के लिए बड़ा दांव खेला है। शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ। लेकिन अब जेल से बाहर आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा और मंत्री आतिशी को मुख्यमंत्री का पद सौंपकर आप संयोजक ने जो कदम उठाया है, वह जहां आम आदमी पार्टी की भविष्य की संभावनाओं को बढ़ाएगा वहीं विपक्ष के नेताओं के सम्मुख केजरीवाल की छवि को और मजबूत करेगा।

केजरीवाल अधिकारी से राजनेता बने वे नेता हैं, जिन्होंने कुछ समय में ही भारतीय राजनीति में व्यापक बदलाव ला दिया है। यह कहने में कोई बुराई नहीं है कि आज सरकारें अगर ज्यादा जनता हितैषी होकर निर्णय ले रही हंैं तो इसके पीछे आम आदमी पार्टी ही वजह है। पार्टी की दिल्ली और पंजाब में सरकारों ने जनहित के संबंध में व्यापक निर्णय लिए हैं और उन निर्णयों से समाज के निम्न और मध्यम वर्ग का व्यापक हित हुआ है। हालांकि राजनीति कालिख से भरी ऐसी कोठरी है, जिसमें कोई बेदाग नहीं रह पाता। अरविंद केजरीवाल, उनके पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया पर जिस प्रकार के आरोप लगे हैं, वे गंभीर हैं। हालांकि यह मामला अदालत के विचाराधीन है। लेकिन राजनीतिक रूप से ऐसे आरोप प्रमुखता से लगाए जा रहे हैं, जब यह कहा गया है कि साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया। अब राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आकर जिस प्रकार के बयान दिए हैं, उससे यह साबित हो गया है कि उन्होंने राजनीतिक रूप से अपने विरोधियों से लड़ने के लिए कमर कस ली है।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी वे जमानत पर बाहर आए थे और पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया था। हालांकि पार्टी लोकसभा चुनाव में सफलता हासिल नहीं कर सकी, लेकिन इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी जमानत होना पार्टी के लिए बड़ा अवसर है।

आम आदमी पार्टी का उद्गम ऐसे राजनीतिक दल के रूप में हुआ था, जोकि देश को समस्याओं से निजात दिलाएगा। पार्टी ने देश के लोगों के दिलों में उम्मीद की ऐसी किरण जगाई थी, जोकि अभी तक ऊष्मा प्रदान कर रही है। पंजाब एवं दिल्ली जैसे राज्यों में पार्टी की सरकारों की नीतियों से जनसामान्य को फायदा पहुंचा है, इसमें कोई संशय नहीं है। हालांकि पार्टी की नीतियों पर सदैव बहस होती रही है। हरियाणा विस चुनाव के दौरान भी पार्टी के लोग उन्हीं वादों को घोषणा पत्र के रूप में पेश कर रहे हैं, जिनका जिक्र पहले से होता आया है।
पार्टी का वादा है कि उसकी सरकार आने पर पूरे देश में गरीबों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी। इसके अलावा देश के सारे सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बनाएंगे।

दिल्ली की तर्ज पर पंजाब में भी पार्टी की सरकार व्यापक स्तर पर जनहित के कार्यों को अंजाम दे रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार जिस प्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नए आयाम स्थापित कर रही है, वे प्रदेश की जनता के कल्याण की दिशा में उल्लेखनीय कदम साबित हो रहे हैं। राज्य में ऐसे स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं, जोकि अपने आप में किसी बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए कारगर साबित होने जा रहे हैं। पंजाब में शैक्षिक स्वरूप अब बदला हुआ नजर आ रहा है और नए खुल रहे एमिनेंस स्कूल और लाइब्रेरी की सुविधा से शिक्षा जगत रोशन हो रहा है। वास्तव में वह दिल्ली हो या पंजाब आम आदमी पार्टी की गारंटियों में आम आदमी की चिंता की गई है। दिल्ली में अब आप की नई सरकार के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। अगले साल यहां विधानसभा चुनाव होने हैं और इतने कम समय में दिल्ली के व्यापक विकास के लिए नई सरकार को कदम उठाने होंगे।

बेशक, मुख्यमंत्री पद की प्रस्तावित दावेदार आतिशी को सरकार में रहने का व्यापक अनुभव है, लेकिन अब नए पद को संभालते हुए उनकी चुनौतियां और बढ़ गई हैं। आम आदमी पार्टी जनसरोकार वाली पार्टी है, बदलते दौर में पार्टी को अपने अंदर व्यापक परिवर्तन लेकर आना होगा। यह निश्चित रूप से सरकार में फेरबदल की तरह ही है। देखते हैं दिल्ली की राजनीति आगे क्या करवट लेती है। 

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