केजरीवाल प्रो. दविंदरपाल सिंह भुल्लर की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करें: सरदार सुखबीर सिंह बादल
केजरीवाल प्रो. दविंदरपाल सिंह भुल्लर की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करें: सरदार सुख
दिल्ली के मुख्यमंत्री से मामले के तथ्यों के बारे में सही संदर्भ के बारे सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को अवगत कराएं तथा कहा कि प्रो. भुल्लर की त्वरित रिहाई से पंजाब में शांति और साम्प्रदायिक सदभाव मजबूत होगा
चंडीगढ़/21अप्रैल: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से हस्तक्षेप करने और दिल्ली सरकार के सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (एसआरबी) को केंद्र सरकार द्वारा प्रो. दविंदरपाल सिंह भुल्लर को दी गई विशेष छूट के बारे में अवगत कराने का अनुरोध किया ताकि उनकी जेल की सजा से तत्काल रिहाई सुनिश्चित की जा सके।
अकाली दल अध्यक्ष ने इस मुददे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हएु कहा है कि यह चिंता का विषय है कि दिल्ली राज्य के एसआरबी ने प्रो. भुल्लर के प्रस्ताव को बार बार खारिज कर दिया । ‘‘ आपने हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान कहा था कि आपने एसआरबी को प्रो. भुल्लर की रिहाई को रोकने के अपने पहले के फैसले पर मीटिंग करेन और पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था। तथ्य यह है कि 3 मार्च को एसआरबी की मीटिंग के दौरान इसके विपरीत हुआ, इस संदर्भ में आपके द्वारा की गई प्रतिबद्धता पर सवाल लग गया है।
सरदार सुखबीर सिंह बादल ने यह भी कहा कि प्रो. भुल्लर की रिहाई को एसआरबी द्वारा बार बार रोका जा रहा है, इस तथ्य के बावजूद कि बंदी को विशेष छूट देने का केंद्र का निर्देश राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी था। दुनिया भर के सिखों के साथ साथ सभी पंजाबियों की ओर से मुख्यमंत्री से इन तथ्यों पर ध्यान देने और मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए सरदार बादल ने कहा, ‘‘ इन तथ्यों को सही परिपेक्ष्य एसआरबी के सामने प्रस्तुत करने की आवश्यकता है’’।
यह कहते हुए कि सिख बंदी की शीघ्र रिहाई पंजाब में शांति और साम्प्रदायिक सदभाव को मजबूत करेगी, सरदार बादल ने कहा कि इस रिहाई में अत्यधिक देरी ने सिख समुदाय के साथ साथ पंजाबियों की भावनाओं को आहत किया है। ‘‘ समुदाय के साथ साथ पंजाबियों की ओर से भी मंाग बढ़ रही है कि प्रो. भुल्लर , जिन्हे 26 साल से अधिक समय से जेल में रखा गया है, को उनके बिगड़ते मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मानवीय आधार पर रिहा करते हुए उनकी भावना का सम्मान किया जाना चाहिए।
मामले के तथ्यों को सूचीबद्ध करते हुए सरदार बादल ने कहा कि दिल्ली सरकार अकेले सिख बंदी की रिहाई के रास्ते में अकेली खड़ी है। उन्होने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रो. भुल्लर की मौत की सजा को उनकी दया याचिका पर फैसला करने में अत्यधिक देरी के आधार पर आजीवन कारावास में बदल दिया था। ‘‘ इसके बाद अक्टूबर 2019 में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर केंद्र सरकार ने आठ अन्य सिख बंदियों के साथ उनकी रिहाई को मंजूरी देने के साथ साथ प्रो. भुल्लर की रिहाई के लिए रास्ता साफ कर दिया था। केंद्र ने संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र से परामर्श से छूट देने का भी निर्देश दिया था’’।
सरदार बादल ने कहा कि जब दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन की अध्यक्षता में एसआरबी की मीटिंग के दौरान दिल्ली सरकार ने प्रो. भुल्लर की स्थायी रिहाई के प्रस्ताव को खारिज कर दिया , तो पूरा समुदाय हैरान रह गया ’’।