जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या, देखें कैसे दिया वारदात को अंजाम
Kashmiri Pandit shot dead in Jammu and Kashmir, see how the incident was executed
Kashmiri Pandit shot dead in Jammu and Kashmir, see how the incident was executed जम्मू/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में फिर आतंकवाद ने सिर उठाना लिया है, यहां टारगेट किलिंग का एक मामला सामने आया है। आतंकियों ने शनिवार को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में कश्मीरी पंडित पर फायरिंग कर दी। इससे वह गंभीर रूप ले घायल हो गया। उसे अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान चौधरी गुंड निवासी पूरन कृष्ण भट के रूप में हुई है। वह सुबह अपने घर के पास बागान में काम के लिए जा रहा था। इस दौरान आतंकी आए और उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इसके बाद उसे तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने बताया कि हमलावरों को पकडऩे के लिए इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। फिलहाल, किसी भी आतंकी संगठन ने इस घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। पूरण कृष्ण भट के रिश्तेदारों का कहना है कि भट के परिवार ने 1989 के दौरान जब कश्मीरी पंडितों को घाटी छोडऩे के लिए मजबूर किया गया था, तब भी घाटी से पलायन नहीं किया था। भट के दो बच्चे हैं। बेटी 7वीं में और बेटा 5वीं क्लास में पढ़ता है। घाटी में बढ़ रही हत्याओं की वजह से भट अपने घर से बाहर भी नहीं निकलते थे, घर के अंदर ही रहते थे। उन्होंने बताया- इस घटना के बाद हम सभी बहुत डरे हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर के रुत्र मनोज सिन्हा ने कश्मीरी पंडित की हत्या की निंदा की। उन्होंने कहा - मैं लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि अपराधियों और आतंकवादियों को सहायता और उकसाने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। 24 सितंबर को पुलवामा के खरभातपोरा रत्नीपोरा गांव में आतंकियों ने 2 मजदूरों को गोली मार दी थी। दोनों बिहार के बेतिया जिले के रहने वाले थे। दोनों का इलाज चल रहा है। इस घटना के सुरक्षाबलों ने हमलावारों को पकडऩे के लिए सर्च ऑपरेशन भी चलाया था।
जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले के सदुनारा गांव में आतंकियों ने अगस्त में एक मजदूर की गोली मार कर हत्या कर दी थी। मोहम्मद अमरेज (19 साल) बिहार के मधेपुरा जिला का रहने वाला था। पुलिस ने बताया कि आतंकियों ने मजदूर पर गोलियां चलाईं। उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। इसी साल जून में लगातार टारगेट किलिंग के बाद कश्मीरी पंडित घाटी छोडऩे लगे थे, जिसके बाद सरकार ने सरकारी नौकरी कर रहे पंडितों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव किया था। हालांकि, पंडितों का कहना था कि उनका ट्रांसफर घाटी के बजाय जम्मू में कर दिया जाए।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, टारगेटेड किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खासतौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
कश्मीरी पंडितों ने एक बार फिर से अपनी सुरक्षा की मांग तेज कर दी है। घाटी में क्करू पैकेज के तहत नौकरी कर रहे कर्मचारियों ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन कर, सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। ये लोग खुद को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने की मांग कर रहे हैं। मई-और जून में कश्मीर में हुई टारगेट किलिंग के चलते कश्मीर पंडित पलायन कर जम्मू पहुंचे थे। 4 महीने से ज्यादा वक्त बीत गया, लेकिन अभी भी वो अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।