Karni Sena president murdered

Editorial: करणी सेना के अध्यक्ष की हत्या राजस्थान में व्यवस्था पर सवाल

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Karni Sena president murdered

राजस्थान में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की उनके घर में घुसकर गोली मारकर हत्या बेहद दुखद एवं अपराधियों पर अंकुश न होने का परिचायक है। राजस्थान में पहले भी अनेक ऐसी वारदातें अंजाम दी गई हैं और कांग्रेस की हार में इन वारदातों ने बड़ी भूमिका निभाई है। गोगामेड़ी की हत्या एक सुनियोजित साजिश का परिणाम है और सीसीटीवी की फुटेज के मुताबिक जिस प्रकार से हत्यारों को गोगामेड़ी और उनके साथ पर गोली चलाते देखा गया है, वह बताता है कि अपराधी पूरी तरह से बेखौफ थे। उनमें से एक पुलिस फायरिंग में मारा गया है। निश्चित रूप से यह प्रकरण उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है और अगर एनआईए से इसकी इन्वेस्टीगेशन की मांग की जा रही है तो यह उचित ही है।

गौरतलब है कि इस प्रकरण में सेना के एक जवान का भी नाम आ रहा है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ का नितिन नामक अपराधी सेना से छुट्टी लेकर आया था और उसने इस अपराध को अंजाम दिया। यह कितनी गंभीर बात है कि अपराधी ने सेना के नाम पर भी दाग लगाया है। सेना अनुशासन सीखाती है और देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देना उसका धर्म होता है, लेकिन अपराधी ने समाज के दुश्मन होने का परिचय दिया है। बेशक, गोगामेड़ी पर भी अनेक मामले दर्ज हैं और उनके रिकॉर्ड को संदेहास्पद बताया गया है। हालांकि यह मामला अदालत का होना चाहिए कि किसी अपराधी को कानूनी तरीके से सजा दिलाई जाए। अगर कोई खुद कानून को अपने हाथ में लेता है तो यह व्यवस्था के लिए सवाल होगा।

गोगामेड़ी की हत्या के बाद राजस्थान पुलिस पर भारी दबाव है। अभी-अभी विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं और नए मुख्यमंत्री का चयन होना बाकी है। यानी अभी नई सरकार का गठन नहीं हुआ है। हालांकि राज्यपाल की ओर से इसकी व्यापक जांच के आदेश दिए गए हैं। लेकिन जिस प्रकार से इस समय इस वारदात को अंजाम दिया गया वह अनेक सवाल उत्पन्न करता है। आखिर गोगामेड़ी की हत्या क्यों करवाई गई, क्या यह राजनीतिक रंजिश की वजह से तो नहीं कराई गई है। प्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ है और कांग्रेस जिसे पूरी उम्मीद थी कि वह सत्ता में लौट रही है, को निराशा मिली। दरअसल, ऐसे आरोपों को तब आधार मिलता दिखता है जब गोगामेड़ी की पत्नी की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री का नाम भी दर्ज कराया जाता है।

बेशक, इस पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि केस दर्ज होते समय अनेक नाम जोड़े जाते हैं, लेकिन जांच में खुलासा हो ही जाता है। वास्तव में संभावना इसकी है कि गोगामेड़ी किसी राजनीतिक रंजिश का ही शिकार हुए हों। यह भी तय है कि अपराधियों का सीधे गोगामेड़ी से कोई लेना-देना नहीं था, अपितु उन्होंने किसी के इशारे पर इस वारदात को अंजाम दिया। इसका सबूत इस बात से मिलता है कि गैंगस्टर रोहित गोदारा ने हाल ही में गुरुग्राम के एक पूर्व पार्षद और पेट्रोल पंप मालिक से एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी।

इस मामले में एक गंभीर पहलू यह भी है कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पंजाब पुलिस के महानिदेशक की ओर से पत्र आया था, जिसमें गोगामेड़ी की हत्या का अंदेशा जाहिर किया गया था, लेकिन इसके बावजूद गोगामेड़ी को सुरक्षा प्रदान नहीं की गई। जबकि वे करणी सेना जोकि विभिन्न मुद्दों को लेकर हमेशा संजीदा रही है के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। तत्कालीन सरकार ने ऐसा क्यों किया, इसका जवाब दिया जाना चाहिए। आखिर किसी वारदात के घटने के बाद ही सुरक्षा एजेंसियां क्यों सतर्क होती हैं। इस हत्याकांड के बाद राजस्थान में करणी सेना की ओर से बंध का आह्वान किया गया था जोकि सफल रहा, इससे साबित होता है कि समाज के प्रत्येक वर्ग का करणी सेना को समर्थन मिला है। बुधवार को पूरा राजस्थान बंद रखा गया। न दुकानें खुली, न स्कूल खुले और न बाजार चले।

सडक़ों पर सन्नाटा पसरा रहा, पूरा प्रदेश दिन भर थम सा गया। देर शाम तक सरकारी अफसरों और धरने पर बैठे राजपूत समाज के प्रतिनिधि मंडल के बीच तीसरे दौर की वार्ता सफल रही। धरना और आंदोलन समाप्त करने की घोषणा भी कर दी गई। इस बंद के बाद प्रशासन ने एक थानेदार समेत 3 पुलिसवालों को सस्पेंड किया है वहीं 72 घंटे में हमलावरों को गिरफ्तार करने का आश्वासन भी देना पड़ा। निश्चित रूप से भावी मुख्यमंत्री के लिए यह सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा कि वे अपराधियों को गिरफ्तार करवा कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भिजवाएं। प्रदेश में कानून और व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नई सरकार को पुरजोर तरीके से काम करना होगा। 

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