Parshuram Jayanti 2023: इस बार जानें परशुराम जयंती कब मनाई जाएगी और इसके महत्व,पूजा विधि का समय यहां देखें
- By Sheena --
- Tuesday, 18 Apr, 2023
Kab hai Parshuram Jayanti 2023 Know Significance Date and Puja Vidhi
Parshuram Jayanti 2023: पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम को विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। इनका जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। इस साल भगवान परशुराम की जयंती 22 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन मनाई जाएगी। इसी दिन अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता है। भगवान परशुराम ने सनातन धर्म को बढ़ाने का काम किया था। मान्यता है कि परशुराम का जन्म धरती पर राजाओं द्वारा किए जा रहे अधर्म, पाप को समाप्त करने के लिए हुआ था। इस दिन विष्णु जी की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। परशुराम जी महादेव के परम उपासक होने के कारण ही उन्हें रुद्र शक्ति भी कहा जाता है।
परशुराम जयंती का महत्व
ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु स्वयं भगवान परशुराम के रूप में पृथ्वी से बुरी शक्तियों को खातमा करने के लिए पहुंचे थे। भगवान परशुराम अपने दिव्य फरसे से लड़े और कई राक्षसों को खत्म करने में सफल रहे। उन्होंने दुनिया में शांति बहाल की और न्याय किया। निर्भीक ब्राह्मण योद्धा अत्याचार करने वाले क्षत्रियों को दंड देने के लिए जाना जाता है और इसलिए यह दिन हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व रखता है। इस दिन भक्त अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भगवान परशुराम की पूजा करते हैं। वे भगवान विष्णु से धन, समृद्धि और सफलता की प्रार्थना भी करते हैं। भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए दिन भर उपवास भी रखते हैं। उनमें से कुछ पास के मंदिर में भी जाते हैं और विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं। इस शुभ दिन पर लोग गरीबों को अनाज भी दान करते हैं।
कब है परशुराम जयंती और पूजा विधि
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी।जिसका समापन अगले दिन 23 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार इस बार परशुराम जयंती 22 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर और सबसे पहले भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रणाम करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर नवीन वस्त्र पहनें। इसके बाद सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें और भगवान परशुराम की पूजा उपासना करें। भगवान को पीले रंग के पुष्प और पीले रंग की मिठाई अर्पित करें। अंत में आरती कर परिवार के कुशल मंगल की कामना करें। इस दिन व्रत करने वाले साधक को निराहार रहना चाहिए। संध्या काल में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ के पश्चात भोजन ग्रहण करें।
जानिए भगवान परशुराम के जन्म की कहानी
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अत्याचार और अधर्म के प्रतीक बने राजा कार्त्तवीर्य सहस्त्रार्जुन के दुष्कर्मों से आतंकित धर्मशील प्रजा का उद्घार करने के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने छठें अवतार परशुराम के रूप में जन्म लिया था। हरि वंश पुराण के अनुसार, कार्तवीर्य अर्जुन नाम का एक राजा था जो महिष्मती नगर पर शासन करता था। इसके अलावा वह और अन्य क्षत्रिय कई विनाशकारी कार्यों में लिप्त थे जिसकी वजह से अन्य प्राणियों का जीवन कठिन हो गया था। जिसके बाद भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में रेणुका और जमदग्नि के पुत्र बनकर अवतार लिया और कार्तवीर्य अर्जुन तथा सभी क्षत्रियों का पृथ्वी से उनकी हिंसा और क्रूरता से मुक्त करने के लिए वध कर दिया था।