जस्टिन ट्रुडो ने किया कनाडा में खालिस्तानी समर्थक होने की बात को स्वीकार, पीएम मोदी पर भी साधा निशाना
Justin Trudeau: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने एक बयान में खुलकर यह बात स्वीकार की है, कि कनाडा में खालिस्तानी समर्थक है। यह बात या यूं कह लीजिए कि यह स्टेटमेंट काफी बड़ा है क्योंकि भारत काफ़ी समय से कनाडा पर यह आरोप लगा रहा है, कि वहां खालिस्तानी समर्थक रहते हैं, लेकिन कनाडा ने हमेशा इस बात को नकार दिया है। भारत के द्वारा आरोप लगाने के इतने समय बाद आज खुलकर कनाडा ने यह स्वीकार कर लिया है। तो चलिए जानते हैं कि जस्टिन ट्रुडो ने और क्या-क्या कहा।
ट्रुडो ने कही यह बात
हालांकि ट्रुडो नें यह स्वीकार किया है, की कनाडा में खालिस्तान समर्थक रहते हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि कनाडा में रहने वाले खालीस्तानी समर्थक सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, ट्रुडो ने कहा कि ठीक उसी प्रकार कनाडा में पीएम मोदी के कई हिंदू समर्थक हैं मगर वह भी यहां पूरे हिंदु समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
मंदिर हमले पर जताया शोक
अभी हाल ही में 3 नवंबर को कनाडा के एक हिंदू सभा मंदिर पर खालिस्तानियों ने हमला कर दिया था। इस दौरान महिलाओं और बच्चों तक पर हमला किया गया। जब इस हमले का वीडियो सामने आया तो पूरे भारत में इसे लेकर आक्रोश फैल गया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमले की निंदा की। प्रधानमंत्री के द्वारा सवाल उठाए जाने पर जस्टिन ट्रुडो ने भी हाउस ऑफ कॉमंस में इस हादसे की निंदा की उन्होंने कहा कि इसके लिए हिंदू और सिख समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। हिंसा करने वाले लोग हिंदू और सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
कनाडा और भारत के बिगड़ते रिश्ते
कनाडा और भारत के बीच हमेशा रिश्ते खराब नहीं थे, लेकिन काफी समय से कनाडा में खालिस्तानी के द्वारा कुछ ऐसी हरकतें की जा रही हैं, जिसके बाद भारत लगातार कनाडा पर खालिस्तानियों को पनाह देने के आरोप लगाता रहा है। पिछले साल कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर कनाडा आतंकी हरदीप सिंह निज़्जर की अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, इसके बाद कनाडा ने हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया। भारत ने कनाडा के आरोपी के समर्थन में सबूतों की मांग की मगर कनाडा अभी तक भारत को सबूत नहीं सौंप सका। विवाद इतना बढ़ गया की भारत ने कनाडा से अपने राज नायकों को वापस बुला लिया और कनाडा के राजनीतिकों को देश से निकाल दिया। और तब से इन दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं है।