दरारों से दर्द में जोशीमठ...क्या सचमुच NTPC की टनल है मुसीबत की जड़?हमेशा विवादों में रहा प्रोजेक्ट
Joshimath in Pain Due to Cracks
जोशीमठ: Joshimath in Pain Due to Cracks: जोशीमठ का पूरा इलाका अपने-आप में काफी खूबसूरत है। यहां की वादियां, पहाड़ों के बीच से बहने वाली अलकनंदा मन को मोहने वाली है। यहां रहने वाले लोगों के लिए यह किसी स्वर्ग से कम नहीं । लेकिन नए साल पर जैसे इसे किसी की नजर लग गई। 2 जनवरी से लेकर अब तक कुछ ऐसा हो रहा है जिसपर स्थानीय निवासी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। सड़कें और घरों की दरारें फटने लगी हैं। लोगों के जहन में दहशत का माहौल है। यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा कि यहां वर्षों से रहने वाले परिवार कहां जाए। अपनी यादों को समेटकर पलायन करना उन्हें गवारा नहीं है। इसलिए गुरुद्वारे और स्कूल की शरण ले रहे हैं। हमारी टीम ने जब यहां के लोगों से बात की तो उनके आंखों में आंसू थे। शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगातार लगाई जा रही है। लेकिन अचानक आई इस आपदा का कुसूरवार कौन है। सरकार से ज्यादा गुस्सा लोगों के अंदर सुरंग और एनटीपीसी को लेेकर है। स्थानीय लोगों से बात करने पर हर किसी की जबान पर एनटीपीसी की इस सुरंग का जिक्र एक बार आ ही जाता है।
सरकार से ज्यादा गुस्सा एनटीपीसी के प्रोजेक्ट्स पर / More anger than the government on the projects of NTPC
जोशीमठ जिस अलकनंदा और धौली गंगा के संगम के बाएं पहाड़ी ढलान पर बसा है। उस संगम को विष्णु प्रयाग कहते हैं। बदरीनाथ के ऊपर से आ रही अलकनंदा विष्णुप्रयाग में हल्के के दाएं कट जाती है। धौली गंगा यहां पर उससे समकोण पर मिलती है। धौली गंगा की तरफ जाने पर करीब 15 किलोमीटर ऊपर एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट है। फरवरी 2021 में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़ में यह पूरा प्रोजेट तहस नहस हो गया था। इस प्रोजेक्ट साइट के पास एक सुरंग बनाई जा रही है, जिसे अलकनंदा से कनेक्ट करने का काम चल रहा है। बांध के पानी को वैकल्पिक रास्ता देने के लिए इस तरह की सुरंगे बनाई जाती हैं। यही अधबनी सुरंग सबके निशाने पर है। स्थानीय लोगों से लेकर जोशीमठ को बचाने की मुहिम में लगे लोग इस सुरंग को कोस रहे हैं। सरकार से ज्यादा गुस्सा लोगों का इस सुरंग और एनटीपीसी पर दिख रहा है। हर किसी की जबान पर एनटीपीसी की इस सुरंग का जिक्र एक बार आ ही जाता है।
इस सुरंग में एक टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन, मेट्रो की सुरंग खोदने वाली मशीन से भी विशालकाय) दलदल में फंसी हुई है। एनटीपीसी के लिए यह मशीन गले की हड्डी की तरह बन गई है। न निगलते बन रही है, उगलते। इस सुरंग में कभी ड्राइवरी करने वाले एक गांववाले ने बताया कि इस मशीन को निकालने के लिए सुरंग के अंदर गलत तरीके से बड़े बड़े ब्लास्ट किए गए। स्थानीय ऐक्टिविस्ट भी इस सुरंग को आगे न खोदने की मांग कर रहे हैं। जोशीमठ में बढ़ती दरारों के कारण इस सुरंग का काम भी रोक दिया गया है।
जगह-जगह दरार ही दरार, जैसे कोई भूकंप आया हो / Cracks all over the place, like an earthquake
हमारी टीम जोशीमठ के सिंधार के इलाके में है। वहां स्थानीय निवासी की मदद से हमें वहां की ताजा स्थिति से रुबरू कराया गया। इस इलाके में पूरी जमीन फट चुकी है। सड़कों पर ऐसी दरारें आई हैं जैसे कोई भूकंप आया हो। उबड़-खाबड़ सी। सिंधार के इस पूरे इलाके में जगह-जगह पड़ी दरारें खौफ पैदा कर रही हैं। जो जोशीमठ काफी खूबसूरत दिखाई देता था वहां अब पूरे समय एक खौफ तैर रहा है। लोगों से बात करने पर पता चला कि हर दिन ये दरारें या तो चौड़ी हो जाती हैं या एक नई दरार किसी न किसी मकान में पैदा हो जाती है। लोगों में इसे लेकर लोगों में जबरदस्त खौफ है। यह समझना मुश्किल हो रहा है कि आखिर जोशीमठ की इस जमीन के नीचे आखिर चल क्या रहा है।
पूछने पर आ जाते हैं आंसू, घर छोड़कर यहां रहने को मजबूर / Tears come on asking, forced to leave home and live here
जोशीमठ में रह रहे लोगों को इस आपदा के बाद अपना घर-बार तक छोड़ना पड़ा है। कुछ ऐसे हैं जो अपने इस आशियाने को छोड़कर नहीं जाना चाहते। लोग घर छोड़कर प्राइमरी स्कूल, गुरुद्वारे गेस्ट हाउस को अपना अस्थाई निवास बनाया है। पूछने मात्र से कि आप स्कूल में क्यों रह रहे हैं उनके आंसू छलक जाते हैं। कहते हैं कि बेटा हम कहां जाएं। एक घर था वो भी नहीं रहा। मंदिर था जहां हम पूजा करते थे वह भी टूट गया। हमें खुद नहीं पता कि इस धरती के नीचे क्या हो रहा है। यह तो भारत माता ही बता पाएंगी कि आखिर हो क्या रहा है। हमारा तो पूरा घर क्षतिग्रस्त हो गया है।