Jet Airways को मिला सिक्योरिटी क्लियरेंस, अगले कुछ महीनों में शुरू करेगी कॉमर्शियल फ्लाइट
Jet Airways को मिला सिक्योरिटी क्लियरेंस, अगले कुछ महीनों में शुरू करेगी कॉमर्शियल फ्लाइट
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने आगामी कुछ महीनों में फिर से कमर्शियल फ्लाइट्स के संचालन (Commercial Flight Operation) की योजना बना रही एयरलाइन जेट एयरवेज को सुरक्षा मंजूरी दे दी है। एक अधिकारिक दस्तावेज से इसकी जानाकरी मिली है। जालान-कलरॉक कंसोर्टियम (संघ) वर्तमान में जेट एयरवेज का प्रवर्तक (Jet Airways Promoter) है। अपने पुराने अवतार में एयरलाइन का स्वामित्व नरेश गोयल के पास था जिसने 17 अप्रैल, 2019 को अपनी अंतिम उड़ान संचालित की थी। बीते गुरुवार को एयरलाइन ने हैदराबाद हवाई अड्डे से परीक्षण उड़ान (Test Flight) संचालित करके ‘हवाई संचालक’ (Air Operator) प्रमाणपत्र प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया था। नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा 6 मई को एयरलाइन को भेजे गए एक पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा मंजूरी देने की जानकारी दी गई थी।
इस पत्र में सुरक्षा मंजूरी मिलने की पुष्टि करते हुए यह भी कहा गया है कि भविष्य में गृह मंत्रालय को प्रतिकूल जानकारी मिलने पर सुरक्षा मंजूरी को किसी भी समय वापस लिया जा सकता है। यह पत्र विमानन नियामक डीजीसीए और विमानन सुरक्षा नियामक बीसीएएस को भी भेजा गया है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के समक्ष यह साबित करने के लिए पिछले बृहस्पतिवार को परीक्षण उड़ान संचालित की गई थी कि विमान और उसके घटक सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।
परीक्षण उड़ान के बाद एयरलाइन को ‘साबित’ उड़ानें संचालित करनी होती हैं, जिसके बाद डीजीसीए ‘एयर ऑपरेटर’ प्रमाणपत्र प्रदान करता है। वित्तीय संकट ने दो दशकों से अधिक समय तक उड़ानें संचालित करने वाली जेट एयरवेज को 17 अप्रैल, 2019 को परिचालन निलंबित करने के लिए मजबूर किया था। इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में ऋणदाताओं के एक संघ ने 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया वसूली के लिए जून 2019 में एक दिवाला याचिका दायर की। अक्टूबर 2020 में, एयरलाइन की लेनदारों की समिति (सीओसी) ने ब्रिटेन की कलरॉक कैपिटल और संयुक्त अरब अमीरात स्थित उद्यमी मुरारी लाल जालान के संघ (कंसोर्टियम) द्वारा प्रस्तुत समाधान योजना को मंजूरी दी। जून 2021 में इस समाधान योजना को राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) ने भी मंजूरी दे दी थी।