Agneepath Scheme

Editorial: अग्निपथ योजना के प्रति दृष्टिकोण को बदलना है जरूरी

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Agneepath Scheme

It is necessary to change the attitude towards the Agnipath scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कारगिल दिवस पर यह स्पष्टीकरण कि अग्निपथ योजना देश की सेनाओं को युवा एवं हर वक्त युद्ध के लिए तैयार करने की योजना है, विपक्ष के उन आरोपों का जवाब है, जिसमें इस योजना को गलत ठहराते हुए इसे अपनी सरकार आने पर खत्म किए जाने की बात कही जा रही है। प्रधानमंत्री का यह आरोप गंभीर है कि विपक्ष ने अपनी सरकार के रहते कभी भी सेना के विकास एवं उसके सशक्तीकरण के लिए काम नहीं किया। हालांकि देश ने देखा है कि मोदी सरकार के आने के बाद सेना के तीनों अंगों का जहां विकास हुआ है, वहीं उनके पास अब नई सैन्य सामग्री एवं फाइटर प्लेन हैं।

एक देश की सुरक्षा उसके हाथ ही होती है, कोई अन्य आकर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता। ऐसे में मोदी सरकार की ओर से सेना के संबंध में जो व्यापक सुधार शुरू किए गए हैं, उनका स्वागत होना चाहिए। यह भी गौरतलब है कि अग्निपथ जैसी योजना को सरकार लेकर नहीं आई है, अपितु सेना के विशेषज्ञों की ओर से इस संबंध में सरकारों से आग्रह किया जाता रहा है।

हालांकि ऐसे आरोप हैं कि पूर्व की सरकारों ने इस पर गंभीरता से काम नहीं किया, इसकी वजह वोट बैंक भी हो सकता है। क्योंकि इस समय जिस प्रकार भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों की अग्निपथ योजना को लेकर आलोचना हो रही है, इसी आलोचना के डर से विपक्ष के दलों ने अपनी सरकार रहते योजना को आगे नहीं बढ़ाया। अगर ऐसी योजना को आगे नहीं बढ़ाया तो संभव है, अनेक ऐसी योजनाएं होंगी, जिन्हें जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। क्या इस प्रकार से देश का विकास हो सकता है?

गौरतलब है कि जब बीते कार्यकाल में मोदी सरकार ने सेनाओं में भर्ती की अग्निपथ योजना को आरंभ किया तो देशभर में कैसा कोहराम मचा था। बिहार जैसे पिछड़े राज्य में ट्रेनें फूंक दी गई, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। वहीं हरियाणा, पंजाब और दूसरे राज्यों में भी लोगों ने इस योजना का विरोध करके जैसे विरोध के अपने संवैधानिक दायित्व की पूर्ति की। हालांकि अब इस योजना के संबंध में जिस प्रकार से रिकॉर्ड रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं, उसे देखकर यह लगता है कि यह सब विपक्ष का प्रोपेगेंडा था, विपक्ष ने न जाने कितनी प्रकार से इस योजना को गलत ठहराया है। पंजाब विधानसभा ने तो इस योजना के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित कर दिया था। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान अग्निपथ योजना आम चुनाव में मुद्दा थी, अब कांग्रेस समेत दूसरे दल इसकी आलोचना करते हुए अपनी सरकार आने पर इस योजना को बंद करने की बात कह रहे हैं। हालांकि इस दौरान भाजपा शासित राज्यों की सरकारों की ओर से इस योजना को जिस प्रकार प्रोत्साहित करते हुए राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण की घोषणा की जा रही है, उससे यह योजना कामयाब होती भी नजर आ रही है। इस समय बड़ी संख्या में युवा अग्निपथ योजना के लिए नामांकन करवा रहे हैं।

केंद्र सरकार के इस योजना को लागू करने के बाद से देश में जैसा माहौल बना था, उसके बाद ऐसा लगने लगा था कि इस योजना का परिणाम भी कृषि कानूनों के समान ही होगा। हालांकि केंद्र सरकार के मंत्रियों ने जहां मोर्चा संभाला वहीं भाजपा ने अपनी राज्य इकाइयों को भी सक्रिय किया। बेशक, सरकारों को अपनी योजनाओं के लिए विरोध का सामना करना ही पड़ता है। लेकिन जब जनता उसे समझती है तो उसके फायदे भी सामने आते हैं। एक जमाने में सरकारी बैंकों के राष्ट्रीयकरण का भी विरोध हुआ था, हालांकि आज देश में आर्थिक उदारीकरण की वजह से ही जहां तरक्की हो रही है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर अग्रसर है। अग्निपथ योजना के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने इसे वापस लेने से पूरी तरह इनकार  किया  था।

अब प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद यह तय है कि यह योजना एनडीए सरकार के रहते वापस नहीं होगी। हालांकि निकट भविष्य में क्या हो, इसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता। वैसे विपक्ष को चाहिए कि केंद्र की योजनाओं के संबंध में सार्थक बातें भी सामने लेकर आए। यह मुश्किल कार्य है, क्योंकि ऐसा हुआ तो फिर राजनीति नहीं हो सकेगी। बीते लोकसभा चुनाव में कई मुद्दों को लेकर देश की जनता गुमराह हो गई। गुमराह होने से देश का विकास नहीं नुकसान ही होता है। वास्तव में यह समय सख्त और अनुशासित निर्णय लिए जाने का है और यही देश के लिए आवश्यक है। 

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