ख़ुफ़िया तरीकों से ईरान ने चुना अपना सर्वोच्च नेता, पूर्व नेता भी थे इस योजना में शामिल
Ayatollah Ali Khamenei: ईरान में एक सर्वोच्च नेता होता है, जिसे अयातुल्लाह कहते हैं, और जिसके हाथों में पूरे ईरान की बागडोर होती है। अब तक इस सर्वोच्च पद पर अली खामनेइ थे, लेकिन काफी समय से बीमार होने के कारण अब ईरान ने अपने मुल्क के लिए नया अयातुल्लाह का चयन कर लिया है, जिसकी भनक तक पूरी दुनिया को न लग पाई। तो आइए जानते है यह नया नेता क्यों और कब चुना गया।
कौन है ईरान का नया अयातुल्लाह
तेहरान ने खामनेई के दूसरे बेटे मोजतबा खामनेई को अपना अगला नेता चुना है। कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया की खामनेई की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण वैसे भी वह जल्द ही अयातुल्लाह की पद से इस्तीफा देने वाले थे, उसके पहले ही तेहरान ने अपना नया नेता चुन लिया। यह चुनाव बड़े ही गुप्त तरीके से किया गया क्योंकि ईरान को बाहरी हमलों का खतरा था, इसलिए चुपचाप बड़े ही साधारण तरीके से ईरान ने अपना नया अयातुल्लाह नियुक्त कर लिया।
खामनेई थे इस योजना में शामिल
आपको बता दे की ईरान के तत्कालीन अयातुल्लाह की मौजूदगी में और उनके कहने पर ही ईरान के विशेषज्ञ सभा के 60 सदस्य की बैठक 26 सितंबर को हुई थी। यह बैठक बड़ी असामान्य और गोपनीय बैठक थी और इसका उद्देश्य सर्वोच्च नेता के उत्तराधिकारी पर फैसला करना था। इस बैठक में विचार विमर्श किया गया और अंत में सर्व सम्मानित तरीके से मोजतबा को उत्तराधिकारी के रूप में चुनने का फैसला किया गया। आपको बता दें कि यह फैसला तत्कालीन अयातुल्लाह के कारण ही लिया गया था और उनके आग्रह करने के कारण ही उनके दूसरे बेटे को यह पद सौंप दिया गया।
क्यों गुप्त रखी गई बैठक
इस बैठक में सभी सदस्यों को यह कहा गया था कि अभी इस चुनाव को गुप्त रखा जाए, क्योंकि उन्हें सार्वजनिक विरोध का डर था। सदस्यों को बताया गया कि किसी भी तरह की लीक के परिणाम सबको भुगतने होंगे। खामनेई काफी समय से अपने दूसरे बेटे को यह पद सौंपने की योजना बना रहे थे ताकि सुचारू परिवर्तन सुनिश्चित हो सके। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा था, ताकि उनके निधन के बाद किसी भी तरह के विरोध को रोका जा सके। सूत्रों के मुताबिक मोजतबा का चयन किसी आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि उन्हें काफी समय से नेतृत्व के लिए तैयार किया जा रहा था। इसराइल के साथ संघर्ष और इस बात के खुलासे के बाद कि इसराइली जासूसों ने इस्लामी गणराज्य की सख्त खुफिया और सुरक्षा संरचना में घुसपैठ की है, उत्तराधिकारी का चुनाव प्राथमिकता बन गया था। अतः अपने देश की आंतरिक सुरक्षा और इजराइल से अपने देश के लोगों को बचाने के लिए यह चुनाव गुप्त रखा गया था।