वो IPS अफसर, जिसने मार गिराया था पान सिंह तोमर; फूलन देवी और मलखान सिंह भी हो गए थे साइलेंट, अब जिंदगी की जंग हार गया
IPS Vijay Raman Passes Away Dacoit Paan Singh Tomar Encounter Story
IPS Vijay Raman Passes Away: मध्य प्रदेश कैडर से 1975 बैच के पूर्व आईपीएस अफसर विजय रमन का महाराष्ट्र के पुणे में निधन हो गया है। विजय रमन ने कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझते हुए 72 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। विजय भले ही अब इस दुनिया में न रहे हों लेकिन उनके साहस और कार्यों को कभी भूला नहीं जा सकता। वह एक ऐसे पुलिस ऑफिसर रहे जिनके सामने चंबल घाटी के चर्चित डकैत भी साइलेंट हो गए थे। अपराध के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशंस में विजय रमन की लीडरशिप रही। इन्हीं ऑपरेशंस में एक ऑपरेशन नामी बागी डकैत पान सिंह तोमर का भी था।
बताते हैं कि, 80 के दशक में विजय रमन की पोस्टिंग एसपी के तौर पर भिंड जिले में की गई। उस समय जिले की चंबल घाटी में अपना अड्डा बनाए बागी पान सिंह तोमर का खौफ बड़े स्तर पर बढ़ रहा था। लोग पान सिंह तोमर का नाम सुनते ही थरथरा उठते थे। वहीं पान सिंह तोमर अपने साथियों के साथ खूब आतंक मचाये हुए थे। लेकिन जब विजय रमन ने भिंड जिले की कमान संभाली तो मन बना लिया कि पान सिंह तोमर का खौफ अब किसी भी तरह से खत्म करना है।
फिर क्या था विजय इस काम में जुट गए और आखिर में वो समय आ गया जब पान सिंह तोमर के खिलाफ ऑपरेशन शुरू हो गया। विजय रमन ने अपनी लीडरशिप में भारी पुलिस फोर्स के साथ पान सिंह तोमर और उसके साथियों को घेर लिया। बताया जाता है कि, करीब 10 घंटे से ज्यादा समय तक पान सिंह तोमर और और पुलिस के बीच एनकाउंटर चला और इस एनकाउंटर में एथलीट से बागी बना पान सिंह तोमर मार गिराया गया। पान सिंह तोमर के अलावा एक और नाम बागी डकैत फूलन देवी और मलखान सिंह को लेकर भी विजय रमन का नाम चर्चा में रहता है।
बताया जाता है कि, विजय रमन ने अपनी समझदारी से डकैत फूलन देवी और मलखान सिंह के आत्मसमर्पण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विजय रमन को उनके साथी 'ऑपरेशन मैन' कहते थे। क्योंकि विजय हमेशा आगे बढ़कर टीम को लीड ही किया करते थे। उनकी निर्णय लेने की क्षमता बहुत तेज थी। संकट के समय वह हमेशा टीम के आगे ही खड़े दिखे।
विजय रमन ने 1984 में भोपाल में स्पेशल ब्रांच एसपी के रूप में उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी के दौरान पीड़ित नागरिकों को बचाने और उनके पुनर्वास में सक्रिय भूमिका भी निभाई। साथ ही 1985 से 1995 तक, सहायक निदेशक और उप निदेशक, एसपीजी, दिल्ली के रूप में उन्होंने राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर और पीवी नरसिम्हा राव सहित चार प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा संभाली।
इसके अलावा विजय रमन ने सीआरपीएफ, बीएसएफ और रेलवे पुलिस सहित कई विभागों में अपनी सेवाएं दीं। सीआरपीएफ, बीएसएफ में रहते वह कई आतंकवाद विरोधी और नक्सल विरोधी अभियानों का हिस्सा रहे। 2003 में बीएसएफ में आईजी श्रीनगर रहते हुए, उन्होंने एक चुनौतीपूर्ण एनकाउंटर को लीड किया था, जिसमें संसद हमले के पीछे के मास्टरमाइंड खूंखार आतंकवादी गाजी बाबा को मार गिराया था।
2011 में रिटायर हुए
विजय रमन 2011 में रिटायर हो गए थे। उनकी आखिरी पोस्टिंग सीआरपीएफ के विशेष महानिदेशक पद पर हुई थी। वहीं रिटायरमेंट के बाद विजय पुणे में बस गए। इस साल फरवरी में कैंसर का पता चलने के बाद से पुणे में ही उनका इलाज चल रहा था।