अब टाइप-एक मधुमेह से पीडि़त बच्चों को बार-बार इंसुलिन के इंजेक्शन नहीं लगाने पड़ेंगे:इंसुलिन पंप देगा राहत
- By Arun --
- Monday, 17 Apr, 2023
Insulin pump introduced for type-a diabetes
शिमला:हिमाचल प्रदेश में अब टाइप-एक मधुमेह से पीडि़त बच्चों को बार-बार इंसुलिन के इंजेक्शन नहीं लगाने पड़ेंगे। केलांग में दस हजार फीट ऊंचाई पर रहने वाली बच्ची पर पहली बार इसका सफल प्रयोग हुआ है। इस बालिका का मधुमेह अब नियंत्रण में आ गया है। यह 500 से घटकर 100 तक पहुंच गया है। इस बच्ची के पिता ने रेडक्रास की मदद लेकर दो लाख रुपये में यह पंप खरीदा था, लेकिन अब मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बजट में एलान किया है कि राज्य सरकार इस मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इंसुलिन पंप निशुल्क उपलब्ध करवाएगी।
मधुमेह के मरीज दो तरह की बीमारी से पीड़ित होते हैं। 90 फीसदी मरीजों में टाइप-दो मधुमेह होता है, जबकि 10 प्रतिशत रोगियों में यह टाइप-एक होता है। टाइप एक मधुमेह से पीड़ित मरीजों में इंसुलिन के दिन में तीन से पांच बार टीके लगाने पड़ते हैं। इसके बावजूद मधुमेह नियंत्रण में नहीं आता है। ऐसे मरीजों में बच्चे भी होते हैं। बच्चों में एबडोबिनल वाॅल में पंप फिट करके लगाया जाता है। इससे लगातार इंसुलिन की आपूर्ति होती है और इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती है। पश्चिमी देशों में इसका इस्तेमाल खूब हो रहा है।
अब तक 11 बच्चों को लगाए गए इंसुलिन पंप
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल शिमला में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र मोक्टा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अब तक 11 बच्चों को इंसुलिन पंप लगा दिए गए हैं। टाइप वन मधुमेह वाले बच्चे जो स्कूल जाते हैं, उनके लिए मुश्किल हो जाती है। अधिकतम पीड़ित 25 से 30 साल की उम्र में किडनी फेल होने से बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। उन्होंने पहली बार विश्व में ऐसी किसी बच्ची को सफलता से यह पंप लगाया है, जो 10 हजार फीट की ऊंचाई पर लगाया गया है।
सरकार उपलब्ध करवाएगी इंसुलिन पंप
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बजट में एलान किया था कि टाइप-एक मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं और बच्चों को प्रतिदिन इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। इससे उनकी किडनी और अन्य अंगों में गंभीर संक्रमण का खतरा बना रहता है। इन गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सरकार की ओर से इंसुलिन पंप मुफ्त उपलब्ध करवाए जाएंगे।
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