भारत ने बनाया लेजर हथियार, पलक झपकते ही मार गिराएगा मिसाइल और ड्रोन, DRDO का टेस्ट सफल

Laser Based Weapon
नई दिल्ली: Laser Based Weapon: भारत ने रविवार को लेजर बेस्ड वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया, जो फिक्स्ड-विंग और स्वार्म ड्रोन को डिसेबल कर सकता है. इस तरह भारत यह टेक्नोलॉजी डेवलप करने वाले केवल चार देशों में से एक बन गया. भारत के अलावा, केवल अमेरिका, चीन और रूस ही इस तकनीक का उपयोग करके हथियारों को डिसेबल कर सकते हैं.
आंध्र प्रदेश के कुरनूल में नेशनल ओपन एयर रेंज (NOAR) में Mk-II(A) लेजर-डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) सिस्टम का पहला सफल परीक्षण हुआ. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ओर्गनाइजेशन (DRDO) ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि हाई-पावर लेजर-DEW ड्रोन और छोटे प्रोजेक्टाइल को मार गिराने की तकनीक से लैस है.
किन देशों के पास है यह टेक्नोलॉजी
हैदराबाद स्थित DRDO के सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS) ने कई शैक्षणिक संस्थानों और भारतीय उद्योगों के साथ मिलकर इस प्रणाली को विकसित किया है. डीआरडीओ के चेयरमैन समीर वी कामत ने एएनआई को बताया, "जहां तक मुझे पता है, यह अमेरिका, रूस और चीन ही हैं जिन्होंने इस कैपेबलिटी का डेमोस्ट्रेशन किया है. इजराइल भी इसी तरह की क्षमताओं पर काम कर रहा है. मैं कहूंगा कि हम इस सिस्टम का डोमोस्ट्रेशन करने वाले दुनिया के चौथे या पांचवें देश हैं."
स्टार वार्स टेक्नोलॉजी
लेजर-DEW टेक्नोलॉजी लोकप्रिय फिल्म 'स्टार वार्स' में डेथ स्टार जैसी क्षमताओं को प्रदर्शित करती है. डीआरडीओ के अध्यक्ष कामत के अनुसार भारतीय सेना द्वारा ऐसी और भी तकनीकें विकसित की जा रही हैं.
उन्होंने कहा, "यह यात्रा की शुरुआत मात्र है. इस प्रयोगशाला ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, उद्योग और शिक्षाविदों के साथ जो तालमेल हासिल किया है, मुझे यकीन है कि हम जल्द ही अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे."
अध्यक्ष ने कहा, "हम हाई एनर्जी माइक्रोवेव, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स जैसे अन्य हाई एनर्जी सिस्टम पर भी काम कर रहे हैं. हम कई तकनीकों पर काम कर रहे हैं जो हमें स्टार वार्स की क्षमता प्रदान करेंगी. आज आपने जो देखा वह स्टार वार्स तकनीकों के कंपोनेंट में से एक था."
यह कैसे काम करती है?
Mk-II(A) लेजर-डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) दुनिया में सबसे शक्तिशाली काउंटर ड्रोन सिस्टम में से एक है, क्योंकि यह बिजली की गति से हमला करता है, सटीकता रखता है और कुछ सेकंड के भीतर घातक कार्रवाई करता है.लेजर सिस्टम लंबी दूरी से फिक्स्ड-विंग ड्रोन को निशाना बनाता है और एक बार में कई ड्रोन हमलों को विफल कर सकता है, निगरानी सेंसर और एंटीना को नष्ट कर सकता है.
लेजर-DEW सिस्टम के रडार या इसके इनबिल्ट इलेक्ट्रो ऑप्टिक (EO) सिस्टम द्वारा एक बार लक्ष्य की पहचान हो जाने के बाद, यह लक्ष्य को काटने के लिए शक्तिशाली प्रकाश (लेजर बीम) की तीव्र किरण का उपयोग करता है, जिससे स्ट्रक्तरल फेलियर या और भी अधिक घातक क्षति होती है. इस लेजर हथियार के डेवलपमेंट से कोलेटरल स्ट्रक्चरल रिस्क कम हो सकता है और संघर्ष के दौरान महंगे गोला-बारूद पर निर्भरता कम हो सकती है.
DEW जल्द ही अपने संचालन में आसानी और लागत-प्रभावशीलता के कारण पारंपरिक गतिज हथियारों और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की जगह ले लेगा. ऐसे विश्व में जहां युद्ध में मानवरहित हवाई प्रणालियों (UAS) और ड्रोनों का अधिक उपयोग किया जा रहा है, डीईडब्ल्यू लक्ष्य को पराजित करने के लिए एक दीर्घकालिक और कम लागत वाला विकल्प है.