ब्रह्माकुमारीज़ की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी का 101वीं साल में निधन

Dadi Ratan Mohini Passed Away

Dadi Ratan Mohini Passed Away

सिरोही : Dadi Ratan Mohini Passed Away: जिले के आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका (चीफ) दादी रतन मोहिनी का सोमवार रात 1.20 बजे अहमदाबाद के निजी अस्पताल में देहवसान हो गया. दादी के निधन से अनुयायियों में शोक को लहर दौड़ गई. वे पिछले माह ही 100 साल पूरे किए थे.

संस्थान के पीआरओ बीके कोमल ने बताया कि मंगलवार को उनकी पार्थिव देह अहमदाबाद से आबूरोड ब्रह्माकुमारी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय लाई जाएगी. यहां अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. पार्थिव देह का अंतिम संस्कार कब होगा, इस बारे मे संस्थान पदाधिकारी बाद में जानकारी देंगे.

13 साल की उम्र में ज्ञान में आई: दादी रतन मोहिनी का जन्म का नाम लक्ष्मी था. उनका जन्म हैदराबाद सिंध (तत्कालीन भारत और अब पाकिस्तान में है) के प्रसिद्ध व धार्मिक परिवार में 25 मार्च, 1925 को हुआ. जैसे दादी वर्णन बताती थी कि वे काफी शर्मीली थीं, लेकिन अच्छी छात्रा थीं. अधिकांश समय शिक्षा को समर्पित करती थी. जब वह ज्ञान में आई (ब्रह्माकुमारी के संपर्क में आई), तब उनकी उम्र केवल 13 वर्ष थी. बचपन से ही उनका झुकाव अध्यात्मिकता व पूजा-पाठ की तरफ था. यही कारण था का 13 वर्ष की उम्र में ब्रह्माकुमारी के संपर्क मे आने के बाद वे लगातार जुड़ी रही और संस्थान की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाई.

70 हजार किमी पदयात्रा: दिवंगत रतन माेहिनी जीवन के आखिरी समय तक सक्रिय रहीं. सवेरे साढ़े तीन बजे से दिनचर्या शुरू करती थी. रात दस बजे तक ईश्वरीय सेवाओं की गतिविधियां चलती थी. दादी के निर्देशन में कई विशाल पदयात्रा, रैलियां हुई. वे 70 हजार किमी की पदयात्रा कर चुकी थीं. वर्ष 2006 में 31 हजार किमी पदयात्रा की. इसके अलावा 1985 में करीब 40 हजार किमी की 13 यात्राएं की.

युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहीं: उन्होंने संस्थान में आने वाली बहनों के प्रशिक्षण और नियुक्ति का कार्यभार भी देखा. ब्रह्मा-कुमारीज संस्थान को समर्पित होने से पहले दादी के सान्निध्य में युवा बहनों का प्रशिक्षण चलता था. इसके बाद ही बहनें ब्रह्माकुमारी कहलाती हैं. वे देश के 4600 सेवा केंद्रों की 46 हजार से अधिक बहनाें काे प्रशिक्षण दे चुकी हैं. युवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रही थीं.