शक्ति की उपासना ही महामाया की आराधना है

Worship of Shakti is the worship of Mahamaya

Worship of Shakti is the worship of Mahamaya

नई शुरुआत के लिए जगा रहा नया साल- पंडित रवि दत्त  शास्त्री 

Worship of Shakti is the worship of Mahamaya: भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार विक्रमी संवत का बदलाव ही नववर्ष का आगमन है। हमारा नववर्ष विक्रमी सम्वत के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। उस समय शीत बिदा ले लेता है और ऋतुराज वसन्त का आगमन हल्की सी गर्मी लेकर होता है। एक बदलाव स्पष्ट दिखाई देता है. हम जनवरी में जिस वदलाव की बात करते हैं, वह कहीं दिखाई नहीं देता है। मानसिक गुलामी के कारण हम भी नाच कूद कर लेते हैं  
अपनी यशस्वी परम्परा और उत्कृष्ट संस्कृति की रक्षा के लिए हमें अपने अतीत की ओर देखना चाहिए। अत: आपसे विनम्र अनुरोध है कि 30 मार्च 2025 को अपने नववर्ष को पूरे जोश  खरोश से मनाने की योजना अभी से बनायें। इस प्रकार की सोच आपको भी गौरवान्वित करेगी और अपनी संस्कृति की भी रक्षा होती रहेगी।

नया संवत 2082 आ रहा है हमारी परंपरा में चेतना का नवीन वर्ष अपने साथ अनगिनत स्वप्न, असंख्या इच्छाएं लिए साम ने खड़ा है मां दुर्गा आपके सभी स्वप्न ,इच्छाएं और  प्रतिबद्धताएँ पूर्ण करें शुभ कर्मों में वृद्धि हो ,आपकी चेतना शक्ति जागृत रहे, ज्ञान और भक्ति का समन्वित रूप जीवन में उतरे, यही शुभकामना हैl  नवसंवत ऐसा महान एवं पावन दिवस है जो हमारे मन में नई प्रेरणा उत्पन्न कर अपने राष्ट्र के स्वाभिमान और शौर्य परंपराओं को स्मरण करवाता है नववर्ष के आगमन पर अपने घरों और प्रतिष्ठानों को बंदनवार, रंगोली  से सजाएं ,रोशनी करें ,घर में मिष्ठान बनाएंl इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी lसम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया, इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत का पहला दिन प्रारंभ होता हैl प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन भी यही है lशक्ति और भक्ति के 9 दिन अर्थात नवरात्र का पहला दिन यही हैl स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में  चुनाl

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 30 मार्च 
प्रात:काल 06:13 से 10:22 तक अभिजीत मुहूर्त12:01 से 12:50 तक

पंडित रविदत्त शास्त्री ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा धरती पर ही निवास करती हैं और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।


विधिपूर्वक पूजा करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। चैत्र नवरात्रि में मां की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियों स मुक्ति मिलती है, वहीं सुख, समृद्धि और जीवन में शांति बनी रहती है।
पंचांग के अनुसार  30 मार्च  रविवार को चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपक्ष की तिथि से नवरात्रि का पर्व शुभारंभ होगा और नवमी की तिथि 06  अप्रैल को पड़ेगी। धार्मिक पुराणों में मां के नौ रूपों का वर्णन है।
माता शैलपुत्री : 30 मार्च को माँ के
प्रथम रूप की पूजा की जाएगी। मां के प्रथम रूप को माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशुल रहता है और बाएं हाथ में मां ने कमल धारण किया हुआ है। मां का वाहन बैल है।
माता ब्रह्मचारिणीः 31 मार्च को मां के दूसरे रूप की पूजा की जाएगी। मां के दूसरे रूप को देवी ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी दएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए हुई हैं।
माता  चंद्रघंटा: 31 मार्च  को मां के तीसरे रूप की पूजा की जाएगी। तीसरे रूप को मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। मां के दस हाथ हैं और मां अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित है। मां चंद्रघंटा के
मस्तक पर घंटे के आकार का अर्थ चंद्रमा विराजमान है। जिस वजह से मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा है।
माता कूष्मांडा : 01 अप्रैल को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप की पूजा की जाएगी। मां के चौथे स्वरूप को माता कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और मां सिंह की सवारी करती हैं। मां के हाथों में चक्र गदा, धनुष, कमंडल, कलश, बाण और कमल सुसज्जित हैं।
माता स्कंदमाता: 02 अप्रैल को पांचवें स्वरूप की पूजा की जाएगी। मां के पांचवें स्वरूप को माता स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। मां की चार भुजाएं हैं और मां ने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। माँ स्कंदमाता का वाहन सिंह है।

माता कायारानी : 03 अप्रैल को मां दुर्गा के छठे स्वरूप की पूजा की जाएगी। माता के छठे स्वरूप को मां कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां का रंग स्वर्ण की भांति अत्यंत चमकीला है और इनकी चार भुजाएं हैं। मां कात्यायनी का वाहन भी सिंह ही है।
माता कालरात्रि : 04 अप्रैल को मां के सातवें स्वरूप की पूजा की जाएगी। मां के सातवें स्वरूप को माता कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कालरात्रि तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाली हैं। मां के चार हाथ और तीन नेत्र हैं।

माता महागौरी :05 अप्रैल को मां के आठवें स्वरूप की पूजा की जाएगी। मां के आठवें स्वरूप को मां महागौरी के नाम से जाना जाता है। मां का वाहन बैल और इनके चार हाथ हैं। मां का वर्ण सफेद है और इनके आभूषण भी श्वेत रंग के ही है।
माता  सिद्धिदात्री : 06 अप्रैल को मां नौवें स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाएगी। मां के नौवें स्वरूप को मां सिद्धियत्री के नाम से जाना जाता है। मां का वाहन सिंह है और इनके चार हाथ हैं। मां कमल पुष्प पर विराजमान हैं।