"कलयुग की दिव्य शक्ति है भैरवदेव, जिनकी भक्ति शीघ्र दिलाती है दुख संकटों से मुक्ति"

Bhairavdev is the Divine Power of Kaliyug

Bhairavdev is the Divine Power of Kaliyug

परमात्म स्वरुप गुरु के प्रति पहाड़ सरीखे दृढविश्वास से कृपा निश्चित : जगद्गुरुदेव श्री वसंत विजयानंद गिरी जी महाराज 

मातृछाया में नौ दिवसीय श्री भैरव पद्मावती हवन महायज्ञ की सम्पन्नता से पूर्व आशीर्वाद लेने पहुंचे चोपड़ा, मरलेचा सहित श्री नाकोड़ा जैन कॉन्फ्रेंस की टीम 

बेंगलूरु। Bhairavdev is the Divine Power of Kaliyug: परमहंस परिव्राजकाचार्य अनन्त श्री विभूषित कृष्णगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु 1008 परम पूज्यपाद श्री वसन्त विजयानन्द गिरी जी महाराज ने कहा कि भक्त बनना बड़ी बात नहीं है, प्रभु अथवा गुरु के प्रति विश्वास अधिक होना बड़ी बात है। मनुष्य का स्वभाव है उसमें दुख परेशानी के समय उतावलापन आ जाता है, यह समस्या ही है। वे बोले, गुरु नहीं करते गुरु के प्रति पहाड़ जितना विश्वास व्यक्ति को तार देता है अर्थात् परमात्म स्वरुप गुरु के प्रति दृढ़ विश्वास से कृपा निश्चित प्राप्त होकर दुख परेशानी मिटती ही है। यहां योगा अंजनैया स्वामी टेंपल के समीप मातृछाया में नौ दिवसीय जाप साधना आराधना श्री भैरव पद्मावती हवन महायज्ञ महा महोत्सव के विराम दिवस पर उन्होंने अपने आशीर्वचनों में प्रसंगवश मय उदाहरण के कहा कि जिस प्रकार छलकते पानी में चांद नहीं देखा जा सकता वैसे ही गुरु भक्ति की शक्ति प्राप्त करने के लिए तन मन का एकाग्र होना आवश्यक है। लोक कल्याण के लिए इस धरा पर अवतरित हुए जगत गुरुदेव आध्यात्मिक योगीराज श्री वसंत विजयानंद गिरि जी महाराज ने शनिवार को अष्टमी तिथि विशेष त्रिकालदर्शी श्री भैरव देव की महिमा का व्यापक स्तर पर गुणगान करते हुए कहा कि सात्विक, राजसिक एवं तामसिक यानि तीनों गुणों के धनी कलयुग के राजाधिराज भैरवदेव की भक्ति की दैवीय शक्ति व्यक्ति के दुख मुक्ति की ओर बढ़ने के मार्ग को शीघ्रता से प्रशस्त करती है।

Bhairavdev is the Divine Power of Kaliyug

जगत गुरुदेवश्री ने कहा कि संतों के पास व्यक्ति को भक्ति के लिए ही पहुंचना चाहिए। श्रद्धा पूर्ण भक्ति की शक्ति पूर्ण विश्वास से श्रद्धावान के मनोरथ के सभी कार्य स्वत: कर देती है। उन्होंने कहा कि परमात्मा की पूजा में विधि भले ही कम हो मगर श्रद्धा में कमी नहीं होनी चाहिए। आध्यात्म योगीराज वचन सिद्धसंतश्री वसंत विजया नन्द गिरी जी महाराज ने कहा कि भक्ति में प्रभु को अपना बनाने व उनका बन जाने की जरूरत है। भगवान को रिझाने की नहीं, बल्कि अपना बनाने की सीख देते हुए वे यह भी बोले कि व्यक्ति को अपने शरीर की शक्ति का एहसास ही नहीं है। मनुष्य जन्म को उन्होंने दुर्लभ भी बताया। ब्रह्मांड की समस्त शक्तियां व ऊर्जा प्राप्त करने की ताकत 84 लाख योनियों में सिर्फ सीधा चलने वाले मनुष्य शरीर के पास ही है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड की एक करोड़ अस्सी लाख तरंगों से मनुष्य सुखी और दुखी होता है। इस मौके पर उन्होंने धन, समृद्धि, यश–कीर्ति आकर्षित करने वाली विभिन्न योगिक क्रियाओं का अभ्यास भी उपस्थित श्रद्धालुओं को करवाया। उन्होंने कहा कि स्वार्थ छोड़ें तथा ईश्वर के हो जाएं यदि उनके बन गए तो उनकी अथाह संपत्ति के मालिक भी बन जाओगे। लोहित सी गांधी ने बताया कि कार्यक्रम में दुबई, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्य शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालू जगत गुरुदेव का दर्शन वंदन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। चंदूलाल गांधी ने बताया कि इस दौरान परम गुरु भक्तों में शांतिलाल चोपड़ा, मोहनलाल मर्लेचा, रमेश धोका, कीर्तिभाई जैन, सुनील लोढ़ा, अश्विन सेमलानी, गौतम वाणीगोता, सज्जन कोठारी, श्री नाकोड़ा जैन कॉन्फ्रेंस कर्नाटक के अध्यक्ष वंशराज बोहरा, समन्वयक सुशील बाफना, महामंत्री रोहित नाहटा, सहित भैरव गुरु भक्त मंडल के अनेक सदस्यों में कन्हैयालाल ओस्तवाल, किरण जैन आदि ने आशीर्वाद प्राप्त किया।