'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर आज JPC की पहली अहम बैठक; कांग्रेस की तरफ से सांसद प्रियंका गांधी शामिल, पीपी चौधरी हैं अध्यक्ष
First JPC Meeting on One Nation-One Election Bill Priyanka Gandhi News
One Nation-One Election Bill: 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की पहली बैठक आज दिल्ली में हो रही है। जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे से बैठक शुरू हुई। इस बैठक में जेपीसी के सदस्यों के तौर पर बीजेपी से सांसद बांसुरी स्वराज, सांसद विष्णु दयाल राम, सांसद संजय जायसवाल और इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी सुखदेव भगत सहित अन्य सभी JPC सदस्य बैठक में मौजूद हैं।
समिति की इस बैठक को विधि एवं न्याय मंत्रालय (विधायी विभाग) के अधिकारी जानकारी देंगे। जिस पर बाद में विस्तार से चर्चा की जाएगी और राय बनाई जाएगी। संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा, "हमारा प्रयास रहेगा कि सबकी राय लें, उसके बाद बिल पर खुले दिमाग से समीक्षा करेंगे। इस समिति के सभी सदस्य बहुत ही प्रख्यात लोग हैं। आज पहला दिन है। आज सिर्फ ब्रीफिंग होगी और आगे कैसे बढ़ना है, ये फैसला सभी मिलकर लेंगे।''
वहीं बीजेपी सांसद और 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य विष्णु दयाल राम ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने एक नारा दिया था, वन नेशन-वन इलेक्शन का जो देशहित में है। पहले लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुआ करते थे जो देश हित में थे और इसके फायदे भी सभी को पता हैं। आज की बैठक में विधि मंत्रालय द्वारा एक प्रस्तुति दी जाएगी तथा संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा होगी।
वहीं बीजेपी सांसद और गठित JPC के सदस्य संजय जायसवाल ने कहा कि, इस देश की कैबिनेट ने 'एक देश, एक चुनाव' को मंजूरी दी है। देशवासियों को यह विचार करना चाहिए कि हम कब तक हर महीने चुनाव को झेलते रहेंगे। प्रति 3 महीने में चुनाव होने पर पूरे देश की कार्य प्रणाली अस्थिर हो जाती है। जब संविधान बना था तब भी 18 महीनों तक देश ऐसे ही चला था। पुन: इसे ठीक करने की आवश्यकता है। बहुत ही धैर्य से सभी दल इस पर विचार करेंगे।
इधर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने 'एक देश, एक चुनाव' पर संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक पर कहा, "पीएम मोदी और उनकी टीम की जिद्द के कारण यह चीजें लाई जा रही हैं और यह देश के संघीय ढ़ांचे पर प्रहार है। आज हमारी बैठक है। हमें लगता है आज चर्चाएं कम होंगी क्योंकि वे(NDA) बहुमत में हैं। बहुमत के आधार पर यह अपनी बातों को पूरे देश पर थोपने का एक प्रयास है।"
शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने 'एक देश, एक चुनाव' पर संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक पर कहा, "एक देश-एक चुनाव का जो बिल आ रहा है, भविष्य में यह 'एक पार्टी एक चुनाव' या 'एक नेता एक चुनाव' की ओर जाएगा। इसलिए हम सभी ने इस बिल का विरोध किया है जिसमें INDIA गठबंधन भी शामिल है। JPC के पास यह बिल गया है। आज उस कमिटी की पहली बैठक है और हमारे सभी सदस्य उस बैठक में शामिल होंगे।
वहीं JDU सांसद संजय कुमार झा ने 'एक देश, एक चुनाव' पर संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक पर कहा, "हमारे नेता नीतीश कुमार 'एक देश-एक चुनाव' के पक्ष में हमेशा बोलते रहे हैं... हमें भी देखना है कि क्या सुझाव दिए जाते हैं हालांकि एक देश एक चुनाव कोई नई अवधारणा नहीं है। देश में यह पहले से होता रहा है लेकिन जब से कांग्रेस ने देश में राष्ट्रपति शासन लगाना शुरु किया उसके बाद से यह स्थिति उत्पन्न हुई... जनता भी यही चाहती है कि एक साथ चुनाव हो और फिर 5 साल आप काम करें।
17 दिसंबर को संसद में पेश हुआ था 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल
17 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया। यह संविधान का 129वां संशोधन विधेयक, 2024 है। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ये विधेयक लोकसभा में रखा था। जिसके बाद लोकसभा में विधेयक के प्रस्ताव को स्वीकार करने को लेकर सदन में ई-वोटिंग हुई। जिसमें विधेयक के पक्ष में 269 वोट पड़े। जबकि विधेयक के विरोध में 198 वोट पड़े। जहां पक्ष में ज्यादा वोट पड़ने से लोकसभा में विधेयक स्वीकार कर लिया गया।
बतादें कि, लोकसभा में विधेयक के पेश होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा जोरदार विरोध किया गया। विपक्ष ने विधेयक को जेपीसी में भेजने की मांग की. जहां केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजे जाने का प्रस्ताव रखा। अर्जुन राम ने मेघवाल कहा था कि, विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाना चाहिए। सरकार की भी यह इच्छा है।
जिससे JPC में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक पर विस्तृत चर्चा और सामूहिक राय के बाद विधेयक की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। JPC में विधेयक पर विस्तार से चर्चा होगी और इसमें सभी दलों की राय ली जाएगी। विधेयक पर सामूहिक सहमति बनाने पर काम होगा। वहीं JPC अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपेगी। इसके बाद संसद में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक फिर से पेश होगा। दोनों सदनों से विधेयक पास कराया जाएगा। विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाएगी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का कानून बन जाएगा।
'वन नेशन-वन इलेक्शन' का उद्देश्य क्या?
दरअसल, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को कानून बनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि, देशभर में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें. जिससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार और खर्चों में कमी आने की बात कही गई है। इसके साथ ही यह कोशिश है कि, वन नेशन-वन इलेक्शन' माध्यम से चुनावों को स्थिर और संगठित तरीके से कराने व देशभर में चुनावी गतिविधियों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके। सरकार का कहना है कि इससे राजनीतिक स्थिरता भी बनी रहेगी। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सितंबर में कैबिनेट ने समिति का प्रस्ताव मंजूर किया था
इससे पहले इसी साल सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर गठित उच्च स्तरीय समिति (रामनाथ कोविंद कमेटी) की सिफारिशों को मंजूर किया था। यानि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर यह कदम उठाया गया है। एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का चेयरमैन बनाया गया था। समिति ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मसौदा तैयार किया और प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा।