भारत के नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का बड़ा फैसला; CJI को मिलने वाले सरकारी बंगले में जाने से किया इंकार, जानिए वजह क्या?

Sanjeev Khanna Refused To Shift In CJI Government Bungalow

Sanjeev Khanna Refused To Shift In CJI Government Bungalow

New CJI Sanjiv Khanna: नए 'चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया' के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जस्टिस संजीव खन्ना ने पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ले ली है। बीते सोमवार को उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सीजेआई पद की शपथ दिलाई गई। जिसके बाद वह भारत के 51वें 'चीफ जस्टिस' बन गए। वहीं 'चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया' का पदभार संभालने के बाद खन्ना ने एक बड़ा फैसला लिया।

रिपोर्ट्स के अनुसार, CJI खन्ना ने उस सरकारी बंगले (5, कृष्ण मेनन मार्ग) में जाने से साफ इंकार कर दिया। जो कि परंपरा के अनुसार CJI के लिए आवंटित किया जाता है। उन्होंने इस परंपरा से हटकर मुख्य न्यायाधीश को मिलने वाले सरकारी बंगले में नहीं जाने का विकल्प चुना है। मसलन, 5, कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित CJI को मिलने वाला सरकारी बंगला खाली रहेगा, क्योंकि सीजेआई खन्ना अपने वर्तमान आवास में ही रहेंगे।

CJI के सरकारी बंगले में क्यों शिफ्ट नहीं हो रहे संजीव खन्ना?

रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके पीछे CJI खन्ना का कहना है कि उनका कार्यकाल संक्षिप्त है। ऐसे में कामकाजी व्यावहारिकता के प्रति प्रतिबद्धता और व्यस्तता के चलते शिफ्टिंग की इस उथल-पुथल से बचना ही एक अनिवार्य कारण है। यानि CJI खन्ना का उद्देश्य आवास शिफ्टिंग करने में समय गवाय बिना अपने काम को तेजी से करना और पूरी तरह से न्यायिक जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करना है।

मसलन, CJI के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल सिर्फ़ 6 महीने (मात्र 183 दिनों) का होगा। इसलिए उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के सरकारी बंगले (5, कृष्ण मेनन मार्ग) में शिफ़्ट नहीं होने का फ़ैसला किया है। संजीव खन्ना के बाद अगले CJI जस्टिस B R गवई 14 मई, 2025 को कार्यभार संभालेंगे, उनका कार्यकाल भी सिर्फ़ 6 महीने का ही होगा। इससे पहले पिछले CJI चंद्रचूड़ भी CJI के लिए निर्धारित 5, कृष्ण मेनन मार्ग में नहीं रहे। उन्होंने भी 19, अकबर रोड स्थित अपने वर्तमान आवास को चुना था।

सिर्फ 6 महीने ही CJI रह पाएंगे जस्टिस संजीव खन्ना; जानिए क्या है वजह? अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के लिए चर्चा में रहे

 

मॉर्निंग वॉक पर अकेले जाना चाहते हैं CJI खन्ना

पिछले दिनों जब संजीव खन्ना को सलाह दी गई कि वे सीजेआई बनने के बाद मॉर्निंग वॉक पर अकेले न जायें। उन्हें अपने साथ सुरक्षाकर्मियों को लेकर जाना होगा। जिसके बाद CJI खन्ना ने कहा था कि, अगर ऐसा है तो वह मॉर्निंग वॉक पर जाना छोड़ देंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस खन्ना को प्रतिदिन कई किलोमीटर पैदल चलने की आदत है। वह हमेशा अकेले ही मॉर्निंग वॉक पर निकलते थे और लोधी गार्डन में सैर करते थे।

लेकिन सीजेआई बनने के बाद उन्हें प्रोटोकॉल फॉलो करना होगा, जिसके तहत उन्हें सुरक्षाकर्मियों के साथ सैर पर जाना होगा। ऐसे में उन्होंने सैर करना ही छोड़ दिया है। रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने फैसला किया कि वे सिक्योरिटी के साथ सैर करने नहीं जाएंगे। नए CJI संजीव खन्ना शांत, गंभीर और सरल स्वभाव के माने जाते हैं और वह पब्लिसिटी से दूर रहना पसंद करते हैं।

13 मई 2025 को रिटायर हो जाएंगे संजीव खन्ना

भारत के 51वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर हो जाएंगे। क्योंकि उस दौरान वह 65 साल के हो जाएंगे। जिसके चलते उनकी सेवानिवृत्ति होगी। आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट के जज की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल होती है। डीवाई चंद्रचूड़ 65 साल के होने पर 10 नवंबर को रिटायर हुए हैं। चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली थी। चंद्रचूड़ ने तब 49वें चीफ जस्टिस यू यू ललित की जगह ली थी। जिनका सीजेआई के तौर पर 74 दिनों का छोटा कार्यकाल था जो 8 नवंबर को पूरा हो गया था। वहीं चंद्रचूड़ ने पूरे दो साल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का कार्यकाल पूरा किया।

निवर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने ही अपने उत्तराधिकारी यानि देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की केंद्र सरकार को सिफारिश की थी। चंद्रचूड़ ने 16 अक्टूबर को केंद्र को लिखे गए पत्र में कहा था कि उनके पद छोड़ने के बाद सीनियर मोस्ट जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस का पदभार संभालेंगे। जिसके बाद महामहिम राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर को जस्टिस संजीव खन्ना को भारत का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया था।

केंद्र की ओर से आधिकारिक तौर पर नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी कर दी गई थी। वहीं 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में बतौर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का आखिरी वर्किंग डे था। इसके बाद उन्हें विदाई दी गई थी। इस दौरान शीर्ष अदालत के तमाम न्यायाधीशों, वकीलों और कर्मचारियों ने उन्हें जोरदार विदाई पार्टी दी। इस दौरान बतौर CJI अपने 2 साल के सफल कार्यकाल और यहां तक की अपनी यात्रा को लेकर चंद्रचूड़ भावुक भी हुए और अपने विदाई भाषण में कई अहम और बड़ी बातें कहीं। इस दौरान डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने ट्रोलर्स को भी करारा जवाब दिया था। अपनी रिटायरमेंट के बाद उन्हें बेरोजगार बताया था।

कई बड़े फैसलों का हिस्सा रहे संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना को स्पष्ट फैसले लिखने के लिए जाना जाता है और उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े और चर्चित मामलों में फैसले सुनाए हैं। जस्टिस खन्ना साल 2019 से सुप्रीम कोर्ट के जज की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। SC में जस्टिस खन्ना ने अपने अब तक के कार्यकाल के दौरान कई राजनीतिक मामलों की सुनवाई की और उनसे जुड़े फैसलों का हिस्सा रहे। वो 'वन रैंक वन पेंशन', RTI, आर्टिकल 370 की याचिकाओं को निरस्त करने, चुनावी बॉन्ड स्कीम रद्द करने, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT के 100% वैरिफिकेशन के जैसे कई बड़े मामलों के फैसलों का हिस्सा रहे हैं।

इसके अलावा वह हाल ही में तब और ज्यादा चर्चा में आए थे। जब उन्होंने दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े PMLA केस में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया था। इस केस में जस्टिस खन्ना ने केजरीवाल को दो बार जमानत दी थी। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की जमानत याचिकाओं की सुनवाई भी जस्टिस खन्ना कर चुके हैं। जस्टिस खन्ना की बेंच से ही संजय सिंह को भी जमानत मिली थी। जस्टिस संजीव खन्ना बिलकिस बानो केस में फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे।

कौन है जस्टिस संजीव खन्ना?

जस्टिस संजीव खन्ना भी मुख्य न्यायाधीश रहे डीवाई चंद्रचूड़ की तरह ही जजों की फैमिली से आते हैं। उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। इसके अलावा उनके चाचा एचआर खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के चर्चित जज रह चुके हैं। इस तरह दो पीढ़ियों की न्यायिक विरासत जस्टिस संजीव खन्ना के साथ है। जस्टिस खन्ना को जनवरी 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था।

जस्टिस खन्ना उन जजों में से हैं, जिन्हें किसी भी हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत कर दिया गया था। बता दें कि, जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई के बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया था। शुरुआत के दिनों में उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस की और फिर हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।

जस्टिस खन्ना लगभग 14 साल तक दिल्ली हाई कोर्ट में जज रहे हैं। 2005 में वो दिल्ली हाई कोर्ट के एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत हुए और 2006 में स्थायी जज बनाए गए। जस्टिस खन्ना 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य के रूप में भी कार्य किया है। इसके अलावा दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के शराब घोटाले मामले में उन्हें जमानत देने को लेकर भी जस्टिस खन्ना चर्चा में रहे हैं।

कैसे होती है नए CJI की नियुक्ति?

आइए यह जानते हैं कि, आखिर कैसे होती है नए CJI की नियुक्ति? व्यवस्था के मुताबिक, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अपने रिटायरमेंट से लगभग एक महीना पहले नए मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजते हैं। परंपरा के मुताबिक़, सीनियर मोस्ट जज के नाम की सिफारिश केंद्र को भेजी जाती है। इसके बाद केंद्र के कानून मंत्रालय से इस सिफारिश पर महामहिम राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाती है। मंजूरी मिलते ही केंद्र की तरफ से नियुक्ति अधिसूचना जारी कर दी जाती है।

भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस संजीव खन्ना; राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने CJI पद की दिलाई शपथ, डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली