2025 तक यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा भारत, घरेलू जरूरतों के लिए नहीं करना पड़ेगा आयात
2025 तक यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा भारत, घरेलू जरूरतों के लिए नहीं करना पड़ेगा आयात
नई दिल्ली। 2025 के आखिर तक देश यूरिया के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। नैनो लिक्विड और परंपरागत यूरिया कारखानों में उत्पादन बढ़ने से यूरिया आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्रीय केमिकल व फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि वर्तमान में देश के विभिन्न कारखानों में कुल 260 लाख टन यूरिया का उत्पादन होता है। जबकि घरेलू जरूरतों के लिए 90 लाख टन यूरिया का आयात करना पड़ता है। इसके मुकाबले 2025 तक देश में नैनो के साथ परंपरागत इतनी यूरिया का उत्पादन घरेलू जरूरतों के मुकाबले अधिक होने लगेगा।
मांडविया ने कहा कि उस समय तक 60 लाख टन अतिरिक्त परंपरागत यूरिया का उत्पादन होने लगेगा। जबकि नैनो यूरिया का उत्पादन 44 करोड़ बोतल (500 मिलीग्राम) सालाना पहुंच जाएगा। नैनो यूरिया का यह अतिरिक्त उत्पादन 200 लाख टन परंपरागत यूरिया के बराबर होगा। मांडविया ने कहा कि नैनो (लिक्विड) यूरिया के प्रयोग से फसलों की उत्पादकता में जहां वृद्धि हो रही है, वहीं मिट्टी की सेहत में सुधार होगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नैनो यूरिया के इस उत्पादन से हर साल 40 हजार करोड़ रुपये के आयात से छुट्टी मिल जाएगी।
नैनो यूरिया से प्रदूषण नहीं
एक बोतल नैनो यूरिया का असर एक बोरी परंपरागत यूरिया के बराबर है। फसलों पर इसका प्रयोग कारगर होता है। मिट्टी, पानी और हवा में इससे कोई प्रदूषण नहीं होता है। फिलहाल देश में सालाना पांच करोड़ बोतल नैनो यूरिया उत्पादन की क्षमता है। नैनो यूरिया की खोज सहकारी क्षेत्र की कंपनी इफको ने की है। इसका कामर्शियल उत्पादन एक अगस्त 2021 को गुजरात के कलोल स्थित इफको के संयंत्र में किया गया। नैनो यूरिया की मांग के मद्देनजर कुल 3.90 करोड़ बोतल यूरिया की सप्लाई विभिन्न राज्यों को की जा चुकी है। इसमें से 2.87 करोड़ बोतल से अधिक की बिक्री भी हो चुकी है। लगभग साढ़े तीन लाख बोतल नैनो यूरिया का निर्यात भी किया जा चुका है।
यूरिया पर 2300 रुपये बोरी की सब्सिडी
मंत्रालय के मुताबिक, वैश्विक बाजार को देखते हुए फर्टिलाइजर सब्सिडी 2.5 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो पिछले साल 1.62 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें यूरिया सब्सिडी 70 हजार करोड़ रुपये है। यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य 267 रुपये प्रति बोरी (45 किग्रा) है और इस पर कुल 2300 रुपये प्रति बोरी की सब्सिडी दी जाती है। जबकि इफको ने नैनो यूरिया का मूल्य 240 रुपये प्रति बोतल (500 ग्राम) निर्धारित किया है।