भारत पर आज दुनिया की निगाहें; चंद्रयान-3 की ये खास बातें आप जरूर जानिए, मिशन में ये 'रॉकेट वुमन' कौन? ISRO के वैज्ञानिक तिरुपति मंदिर पहुंचे
India Mein Chandrayaan-3 Ki Launching
India Mein Chandrayaan-3 Ki Launching: भारत के लिए आज की तारीख बेहद अहम है। भारत ने एक बार फिर दुनिया को यह एहसास करा दिया है कि वह हार मानकर बैठ जाने वालों में नहीं हैं। वह अपनी क्षमता से फिर उठता है और आगे बढ़ता है। आज जब भारत मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग करेगा तो दुनिया की आंखें इस पल को टकटकी लगाकर देख रहीं होंगी। अब तो बस चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग की पूरी उम्मीद है। चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग हो इसके लिए आप भी अपनी शुभकामनाएं दीजिए और दुआ करिए।
बतादें कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 को लॉन्च करेगा। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को लेकर काउंटडाउन शुरू हो गया है। ISRO के वैज्ञानिकों की तैयारी पूरी है। जानकारी के मुताबिक, मिशन चंद्रयान-3 को 'रॉकेट वुमन' नाम से मशहूर स्पेस साइंटिस्ट ऋतु करिधाल श्रीवास्तव लीड कर रही हैं। लखनऊ की रहने वाली ऋतु विज्ञान की दुनिया में भारतीय महिलाओं की मिसाल हैं। इससे पहले ऋतु मंगलयान मिशन में अपनी कुशलता दिखा चुकीं हैं। ऋतु मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं।
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO वैज्ञानिकों ने पूजा-अर्चना की
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले ISRO वैज्ञानिकों ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की है। बीते गुरूवार को ISRO वैज्ञानिकों की टीम तिरुपति मंदिर पहुंची थी। जहां भगवान तिरुपति के दर्शन करते हुए मिशन चंद्रयान-3 की सफलता की कामना की। वैज्ञानिक अपने साथ तिरुपति मंदिर में चंद्रयान-3 का एक छोटा मॉडल भी साथ ले गए थे।
भारत दो बार फेल हुआ, मगर हिम्मत नहीं हारी
बतादें कि, इससे पहले भारत ने चांद पर उतरने की दो बार कोशिश की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहली बार 22 अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। जिसके बाद 8 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश किया और पानी की खोज भी की। लेकिन 28 अगस्त 2009 को अचानक चंद्रयान-1 से इसरो का संपर्क टूट गया।
इसके बाद भारत ने फिर से तैयारी की और 22 जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया। मगर चंद्रयान-2 भी चांद पर सफल लैंडिंग नहीं कर सका। दरअसल, 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. मगर बाद में चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया. लेकिन भारत ने फिर भी हार नहीं मानी और अब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के साथ इतिहास रचने को तैयार है। भारत का अधूरा सपना पूरा करने के लिए चंद्रयान-3 चांद के लिए उड़ान भरेगा।
चंद्रयान-3 भारत के लिए गेम चेंजर होगा
ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने चंद्रयान-3 को भारत के लिए गेम चेंजर बताया है। नंबी नारायणन ने कहा, चंद्रयान-3 निश्चित रूप से भारत के लिए गेम चेंजर साबित होगा और उन्हें उम्मीद है कि यह सफल होगा और इसके बाद भारत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा। नंबी नारायणन ने कहा कि, चंद्रयान-3 की चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग से भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की क्षमता बढ़ेगी। अभी तक अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ ने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग की महारत हासिल की है।
मिशन चंद्रयान-3 की खास बातें
चंद्रयान-3 को लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल हैं। जैसे कि, चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद क्या होगा?, चंद्रयान-3 कैसे काम करेगा?, चंद्रयान-3 कैसे बना?, चंद्रयान-3 को बनाने में लागत क्या आई?, चंद्रयान-3 चांद की किस जगह पर उतरेगा? चंद्रयान-3 कितनी दूरी तय करेगा?
आइए हम आपको चंद्रयान के बारे में खास बातों की जानकारी देते हैं। जानकारी के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन की एक सबसे खास बात यह है कि अब तक दुनिया के जितने भी देशों ने चांद पर अपने यान भेजे हैं, उनकी लैंडिंग नॉर्थ पोल पर हुई है। लेकिन भारत का यह चंद्रयान-3 पहला ऐसा मिशन होगा जो चांद के साउथ पोल पर उतरेगा। चांद का साउथ पोल नॉर्थ पोल से ज्यादा बड़ा है। यहां पानी होने की संभावना है। यहीं पर शैडो एरिया भी दिखता है। इसलिए अगर चंद्रयान-3 चांद के नॉर्थ पोल पर उतर जाता है तो विश्व में भारत के लिए यह ऐतिहासिक पल होगा। यह क्षण सभी भारतीयों को गौरवान्वित करेगा।
अगर चंद्रयान-3 को बनाने में आई लागत की बात करें तो जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत करीब 75 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 615 करोड़ रुपए है। कई देशों ने कम लागत पर चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की लेकिन हमने ये पहले करके दिखाया है। चंद्रयान-3 मिशन के तीन अहम हिस्से हैं। प्रपल्शन, लैंडर और रोवर। इसका कुल खर्च 600 करोड़ रुपये ज्यादा आया है। इस मिशन में इसरो के अलग-अलग विभाग के सैकड़ों वैज्ञानिक जुटे थे।
वहीं अगर चंद्रयान-3 के रॉकेट लॉन्चर के बारे में बात करें तो जानकारी के अनुसार चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाला रॉकेट 43.5 मीटर लंबा है। 'फैट ब्वॉय' के नाम से मशहूर LVM3-M4 के जरिए चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में जाएगा। चंद्रयान-3 पृथ्वी से चांद तक करीब 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 क्या करेगा?
जानकारी के अनुसार, लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 रॉकेट से इजेक्ट होके अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में घूमेगा। इसके बाद फिर धीरे-धीरे चांद की कक्षा में स्थापित होने की ओर बढ़ेगा। बताया जा रहा है कि , करीब 42 दिनों में चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर पहुंचेगा। वहीं चंद्रयान-3 का रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद अपना काम शुरू करेगा। ये रोवर इसरो में बैठे वैज्ञानिकं को चांद की सतह से जुड़ी जानकारियां भेजेगा। रोवर चांद की सतह की बनावट से लेकर पानी की मौजूदगी के बारे में बताएगा।