भारत पर कर्ज का बोझ बढ़ा; IMF ने चेतावनी जारी कर कह दी ये बात, फिर सरकार ने क्या कहा? जानिए
India Debt Rised IMF Warns News Update
India Debt Rised: दुनिया में भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है लेकिन इसके साथ ही देश पर कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत पर कुल बाहरी कर्ज का बोझ बढ़कर 2.47 ट्रिलियन डॉलर या 205 लाख करोड़ रुपये हो गया है। आलम यह है कि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कर्ज को लेकर भारत को चेतावनी जारी कर दी है। आईएमएफ़ का कहना है कि, अगर भारत पर कर्ज इसी तरह बढ़ता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब यह कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 100 फीसदी स्तर को भी पार कर जाएगा। जहां ऐसे में लॉन्ग टर्म में कर्ज चुकाने में भारत को दिक्कत पेश आ सकती है।
हालांकि, IMF की चेतावनी को भारत सरकार ने दरकिनार कर दिया है। भारत सरकार ने आईएमएफ की चेतावनी पर असहमति व्यक्त की है। सरकार का कहना है कि, भारत पर जो भी कर्ज बढ़ा वो सिर्फ नोटबंदी की वजह से बढ़ा। लेकिन अब कर्ज में गिरावट आ रही है। सरकार का मानना है कि जो भी कर्ज है वो निजी नहीं सरकारी कर्ज है और इसलिए सरकारी कर्ज से जोखिम काफी कम है, और ज्यादातर कर्ज भारतीय मुद्रा यानी रुपये में ही है।
भारत पर कितना बढ़ा कर्ज
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे पहले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत पर कुल बाहरी कर्ज 2.34 ट्रिलियन डॉलर या करीब 200 लाख करोड़ रुपये था। जो मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 2.47 ट्रिलियन डॉलर पर पहुँच गया यानि 205 लाख करोड़ रुपये हो गया। कहा जा रहा है कि, डॉलर की कीमत में होनी वाली बढ़ोतरी का असर भी भारत के कर्ज पर पड़ा है, डॉलर (US Dollar) की कीमत में बढ़ोतरी ने भारत के कर्ज के आंकड़े को बढ़ाने का काम किया है। इसी वित्त वर्ष के हिसाब से आसानी से समझिए कि मार्च 2023 महीने में एक डॉलर 82.5441 रुपये के बराबर था, जो कि अब बढ़कर 83.152506 रुपये पर पहुंच चुका है। मसलन डॉलर की कीमत में इजाफा लगातार जारी है।
कर्ज में राज्यों की भी हिस्सेदारी
भारत पर जो कर्ज लदा है उसमें केवल भारत सरकार की ही हिस्सेदारी नहीं है बल्कि इस कर्ज में अलग-अलग राज्यों की भी हिस्सेदारी है। जिनहोने कर्ज ले रखा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब, एमपी, राजस्थान समेत देश के सात ऐसे राज्य हैं जिन पर जीडीपी से 30% तक का कर्ज है। बताया गया है कि भारत सरकार पर सितंबर तिमाही में 161.1 लाख करोड़ रुपये यानी कुल कर्ज का सर्वाधिक 46.04 फीसदी है। यह कर्ज मार्च तिमाही में 150.4 लाख करोड़ रुपये था। इसके अलावा कर्ज में राज्यों की हिस्सेदारी यानी 50.18 लाख करोड़ रुपये 24.4 फीसदी बैठती है।
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- 54 लाख करोड़ का कर्ज था...
भारत पर बढ़ते कर्ज को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि IMF ने चेतावनी दी है कि देश का कुल कर्ज भारत की GDP से ज्यादा होने वाला है! सुप्रिया ने कहा कि 2014 में देश पर 54 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था जो 2023 में बढ़कर 205 लाख करोड़ रुपए हो गया। सुप्रिया ने कहा कि आजादी के बाद 67 साल में 14 प्रधानमंत्रियों ने कुल 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया, PM मोदी ने अकेले ही 150 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लाद दिया।
भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य
बतादें कि, भारत पिछले काफी समय से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है और पिछले साल ही भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) एक बड़ा मुकाम हासिल किया था। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई थी। अर्थव्यवस्था के मामले में भारत ने ब्रिटेन (UK Economy) को पछाड़ दिया था। फिलहाल सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के मामले में भारत से सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी जैसे देश ही आगे रहे गए हैं। इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था का साइज पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पास है। यानि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में जापान और जर्मनी के काफी करीब पहुंच गया है। भारत सरकार भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।