Incidents of grenade attacks in Punjab are worrying
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Editorial: पंजाब में ग्रेनेड हमले की वारदातें चिंताजनक, कड़ी कार्रवाई जरूरी

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Incidents of grenade attacks in Punjab are worrying, strict action is necessary

Incidents of grenade attacks in Punjab are worrying, strict action is necessary: पंजाब के जालंधर में पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के आवास पर ग्रेनेड हमला गंभीर मामला है। इस हमले में कालिया और उनके परिवार एवं सुरक्षा कर्मियों का बचाव हो गया लेकिन यह कौन जानता है कि अपराधी का मकसद पूरा हो गया है? इसकी आशंका से कैसे इनकार किया जा सकता है कि अपराधी फिर हमले को दोहराए। ऐसा तब है, जब पंजाब भर में अनेक ऐसी वारदातें लगातार घट रही हैं, जिनमें हत्याएं बढ़ रही हैं, वहीं उपद्रवियों के द्वारा थाने और चौकियों पर हमले किए जा रहे हैं। जालंधर में पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के आवास पर रात के सवा बजे ग्रेनेड हमला किया गया।

इस हमले से आवास को भारी नुकसान पहुंचा वहीं इस हमले की जद में अगर कोई इंसान आ जाता तो उसे भी भारी क्षति पहुंचनी तय थी। इस बीच  बटाला में थाने पर रॉकेट लांचर से हमले की सूचना है। इस हमले की जिम्मेदारी बब्बर खालसा ने ली है। दरअसल, पंजाब में इस प्रकार की घटनाएं बीते दो-तीन वर्षों में काफी बढ़ गई हैं। पंजाब पुलिस ने इन हमलों में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की है, लेकिन इसके बावजूद अपराधी बाज नहीं आ रहे।

पंजाब में बीते चार महीने के अंदर पुलिस चौकियों और थानों पर ग्रेनेड हमलों के बाद अब आतंकियों ने धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना शुरू किया है। पुलिस चौकियों और थानों पर हमले की वजह की प्रदेश में कानून और व्यवस्था को क्षति पहुंचाना है, वहीं अब धार्मिक स्थलों पर हमले की वजह प्रदेश के सामाजिक सौहार्द और इसकी शांति को नुकसान पहुंचाना है। अमृतसर में मार्च में ठाकुरद्वारा मंदिर पर दो आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका। इसके बाद जो धमाका हुआ, उसने आसपास के लोगों को दहशत में ला दिया।

राज्य में जब से नशे के सौदागरों के खिलाफ युद्ध छेड़ा गया है, तब से राज्य में दहशतगर्दों और पाकिस्तान आदि देशों में बैठे उनके आकाओं को परेशानी होनी लगी है। उनकी बेचैनी इस कदर सामने आ रही है कि वे अब थानों, पुलिस चौकियों, धार्मिक स्थलों को अपना निशाना बना रहे हैं। पंजाब एक समय आतंकवाद की तपिश झेल चुका है और अब खुफिया एजेंसियां इसकी रिपोर्ट जाहिर कर रही है कि राज्य से आतंक का खतरा टला नहीं है, जबकि और बढ़ रहा है। पंजाब पहले से विदेश में बैठे खालिस्तानी सोच के लोगों के टारगेट पर है और अब नशे के कारोबार के जरिये जब उनकी दुकानों पर ताले लगने शुरू हुए हैं तो वे बेबस हो रहे हैं।

पंजाब में बीते वर्षों में कई हिंदू नेताओं की हत्याएं हो चुकी हैं। राज्य में वर्ष 2016 और 2017 में छह हिंदू और एक ईसाई नेता की हत्याएं की जा चुकी हैं। साल 2022 में भी दो हिंदू नेताओं की हत्याएं की गई हैं। राज्य में खालिस्तान समर्थकों की अब भी बड़ी तादाद है, जोकि हिंदुओं की बढ़ती संख्या से परेशान है। बेशक, किसी धर्म के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी करना अनुचित है लेकिन पंजाब के माहौल को खराब करने के लिए अगर पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई को जिम्मेदार ठहराया जाता है तो फिर इससे खालिस्तान समर्थकों को क्यों तकलीफ होती है? जाहिर है, आईएसआई की योजना पंजाब में फिर से अव्यवस्था पैदा करके अपने नापाक इरादों को पूरा करने की है। दरअसल, सुरक्षा के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। विपक्ष की ओर से मान सरकार पर तमाम आरोप लगाए जा रहे हैं, हालांकि राज्य सरकार ने पुलिस बलों के जरिये अपराध की रोकथाम के लिए तमाम प्रयास किए हैं और पहले की तुलना में पुलिस अब ज्यादा जवाबदेह तरीके से काम कर रही है।

ग्रेनेड हमले की वारदातों में संलिप्त आरोपियों की पहचान करके उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है। यह भी समझा जाना चाहिए कि राज्य में इस प्रकार की वारदातें आखिर क्यों बढ़ रही हैं, इनके पीछे कौन है। जो छिपकर इन वारदातों को करवा रहा है, उसकी पहचान और उसकी धरपकड़ भी जरूरी है।  पंजाब देश का सबसे अहम और संवेदनशील राज्य है, अगर यहां पर माहौल बिगड़ता है, तो इससे पूरा देश प्रभावित होता है। सरकार को अतिवादी ताकतों पर अंकुश लगाने की सख्त जरूरत है, जोकि किसी दूसरे देश में बैठे दहशतगर्दों के इशारे पर यहां की शांति और खुशहाली को पलीता लगा रहे हैं। 

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