In thirty years old case, two policemen were punished

Mohali: तीस साल पुराने में मामले दो पुलिस कर्मियों को हुई सजा, पढ़ें क्या था मामला

In thirty years old case, two policemen were punished

In thirty years old case, two policemen were punished

In thirty years old case, two policemen were punished- सीबीआई की विशेष अदालत ने अमृतसर केंद्रीय सहकारी बैंक के मुलाजिम कुलदीप सिंह के तीस साल पुराने अपहरण, अवैध हिरासत और फिर गायब करने एक मामले में दो पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई है । इनमें मौजूदा सब इंस्पेक्ट झिरमल सिंह और पूर्व थानेदार सूबा सिंह शामिल है। अदालत ने झिरमल सिंह को पांच वर्ष व तत्कालीन पुलिस अधिकारी सूबा सिंह को तीन साल की सजा सुनाई है।

चार्जशीअ में 39 गवाहों का हवाला दिया गया। सुनवाई के दौरान 12 गवाहों की मृत्यु हो गई, जबकि कुछ गवाहों के पते गलत/अधूरे थे, जिसके कारण अभियोजन पक्ष के लिए केवल 19 गवाह पेश हुए । जबकि आरोपी पुलिस अधिकारियों के बचाव के लिए 2 गवाह पेश हुए। इस मामले में 3 कर्मचारी शामिल थे, जिनमें से तरनतारन सीआईए स्टाफ के प्रभारी गुरदेव सिंह की मौत हो चुकी है.

ग्राम कोटली सरू खान जिला तरनतारन निवासी कुलदीप सिंहअमृतसर केंद्रीय सहकारी बैंक का कर्मचारी था। उसको 1992 में इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह (तत्कालीन प्रभारी CIA स्टाफ तरनतारन) के नेतृत्व में एक पुलिस दल द्वारा हिरासत में लिया गया था । इसके बाद वह नहीं मिला था।

कुलदीप सिंह के साथ हिरासत में लिए गए सतनाम सिंह नाम के शख्स ने इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की थी। सतनाम सिंह को पुलिस ने कुलदीप सिंह के साथ अमृतसर के लॉरेंस रोड स्थित जोगिंदर सिंह के घर से हिरासत में लिया था। आयोग के दिशा-निर्देशों पर एडीजीपी अपराध, चंडीगढ़ द्वारा मामले की जांच की गई।

इसके आधार पर 25 अगस्त 1999 को पुलिस स्टेशन सिविल लाइंस, अमृतसर में आईपीसी की धारा 364,365,342 के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में 30 अप्रैल 2001 को भारत सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी ।

2 अक्टूबर 2005 को सीबीआई ने आरोपी गुरदेव सिंह (तत्कालीन प्रभारी सीआईए स्टाफ तरनतारन) को गिरफ्तार कर लिया। उनके गनमैन झिरमल सिंह व इंस्पेक्टर सूबा सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी, 344, 352, 365, 201 व 218 की चार्जशीट पेश की गई थी। आरोपी गुरदेव सिंह की सुनवाई के दौरान मौत हो गई और उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई।