IIT Bombay ने स्वीकार की अपनी गलती, प्लेसमेंट में जाति भेदभाव का लगा था आरोप IIT Bombay ने स्वीकार की अपनी गलती, प्लेसमेंट में जाति भेदभाव का लगा था आरोप
![IIT Bombay के पूर्व छात्र धीरज सिंह ने नवंबर 2023 में एक शिकायत दर्ज की थी](https://www.arthparkash.com/uploads/indian-institute-technology-bombay-entrance-gate-board-entry-iit-logo-front-view-india-s-top-engineering-264169212.webp)
Indian institute of technology bombay: जाति आधारित भेदभाव के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्था यानी आईआईटी बॉम्बे ने छात्रों की कैटेगरी की जानकारी एकत्र करने की अपनी प्रथा को छोड़ दिया है, जिसे संस्थान पीएसयू यानी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ साझा करता था। किसी भी परीक्षा में कैटिगरी वाइज यानी जाति आधारित फॉर्म फिल अप किया जाता है लेकिन जब से आईआईटी बॉम्बे पर भेदभाव के आरोप लगे हैं तब से उन्होंने इसे बंद कर दिया।
IIT Bombay पर लगे थे गंभीर आरोप
IIT Bombay के पूर्व छात्र धीरज सिंह ने नवंबर 2023 में एक शिकायत दर्ज की थी जिसमें अनुसूचित जाति के छात्रों के खिलाफ संस्थागत भेदभाव का आरोप लगाया गया था। सिंह ने दावा किया की प्लेटफार्म ने एस सी उम्मीदवारों को उनकी जाति श्रेणी और जेईई श्रेणी रैंक का खुलासा करने की आवश्यकता के कारण भर्ती में प्रोफाइलिंग और पक्षपात को सक्षम किया। सिंह ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि लगभग 380 छात्रों को प्लेसमेंट के दौरान भेदभाव का सामना करना पड़ा क्योंकि निजी क्षेत्र के भर्ती कर्ता जो आरक्षण नीतियों से बंधे नहीं है उम्मीदवारों को बाहर करने के लिए जाति डाटा का उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया की नियोक्ताओं ने छात्रों की डिग्री के दौरान उनके शैक्षणिक प्रदर्शन की तुलना में 4 साल पहले कीजिए श्रेणी की रैंक को प्राथमिकता क्यों दी यह सुझाव देते हुए कि यह आईआईटी के शैक्षणिक मानव में विश्वास की कमी को दर्शाता है।
IIT Bombay ने स्वीकार की अपनी गलती
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के नोटिस के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्था मुंबई ने एक पत्र में स्वीकार किया है कि वह अब प्लेसमेंट फॉर्म में छात्रों की जाति संबंधी जानकारी शामिल नहीं करता है। यह पत्र आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र धीरज सिंह की शिकायत के जवाब में आया जिसमें प्लेसमेंट पंजीकरण के दौरान छात्रों से बड़ा रैंक लिस्ट में उनकी जाति और सामान्य रैंक का खुलासा करने की आवश्यकता के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। इस पत्र में आईआईटीबी ने स्वीकार किया कि उनका प्लेसमेंट कार्यालय पहले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अनुरोध पर प्रदान करने के लिए श्रेणी विवरण एकत्र करता था। यह प्रथा 2024 से बंद कर दी गई है। संस्था ने स्पष्ट किया कि जब पीएसयू आरक्षित पदों के लिए छात्रों को नियुक्त करते हैं, तो उनके कर्मचारी प्लेसमेंट कार्यालय की भागीदारी के बिना सीधे जाति संबंधित दस्तावेजों का सत्यापन संभालते हैं। इसके अलावा आईआईटी बॉम्बे ने स्वीकार किया है कि वह वास्तव में 2023 24 तक प्लेसमेंट के लिए बैठने वाले सभी छात्रों की श्रेणी प्रोफाइलिंग में लगा हुआ था। यह भी एक खुला रहस्य है कि कई निजी क्षेत्र में के भारती करता साक्षात्कार के दौरान संयुक्त प्रवेश परीक्षा श्रेणी रैंक पूछना जारी रखते हैं जो चिंताजनक है क्योंकि छात्रों को उनकी जाति या श्रेणी की पृष्ठभूमि के आधार पर खारिज किए जाने का डर है।