ideological differences remain

Editorial: वैचारिक मतभेद अपनी जगह, पर हिंसा करना अक्षम्य अपराध

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Ideological differences are one thing, but violence is an unpardonable crime: देश के दो कोनों पर हुए दो अपराधों ने राजनीति में बढ़ते अपराध के आरोपों को साकार रूप दे दिया है। पंजाब और तमिलनाडु के बीच हजारों किलोमीटर का फासला है, लेकिन दोनों राज्यों में दो विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों पर हमला और उनकी हत्या एवं हत्या के प्रयास के मामले बेहद संगीन हैं। पंजाब में बीते काफी समय से ऐसे अराजक तत्वों की संख्या काफी बढ़ गई है, जोकि पंथ के नाम पर हिंसा एवं आतंकी वारदात करने से बाज नहीं आ रहे। अपराध चाहे कहीं हो और उसमें चाहे कोई भी संलिप्त मिले, उसका विरोध होना चाहिए और उस पर विधि सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए।

पंजाब के लुधियाना में शिवसेना राष्ट्रवादी के एक नेता पर निहंगों का जानलेवा हमला शर्मनाक है और इसकी घोर भत्र्सना की जानी चाहिए। बेशक, वैचारिक मतभेद हो सकते हैं और लोकतंत्र में ऐसा होना सामान्य बात है, लेकिन अगर विचारों की भिन्नता का प्रतिफल सरे राह रोक कर तलवारों के दर्जनों वारों से मिले तो यह व्यवस्था पर सवाल उठाता है। शिवसेना राष्ट्रवादी के नेता संदीप थापर जिस स्कूटर पर सवार थे, उनके साथ उनका पुलिस सुरक्षाकर्मी भी बैठा था। यह कितना हैरतनाक है कि हमलावर आरोपियों ने उस सुरक्षा कर्मी को वहां से हटने को कहा। इसके बाद उन्होंने संदीप थापर पर तलवारों के वार किए। आखिर जब पहले से इसकी आशंका थी कि संदीप थापर पर हमला हो सकता है तो उनकी सुरक्षा इतनी ढीली क्यों रखी गई थी। वहीं उस सुरक्षा कर्मी की आखिर ड्यूटी क्या थी, जोकि हमले के वक्त संदीप थापर को नहीं बचा सका।

इसी बीच तमिलनाडु में बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आर्मस्ट्रॉन्ग की कुछ लोगों ने हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि बीते वर्ष हुई एक आपराधिक वारदात की कड़ी में यह वारदात अंजाम दी गई है। अब चाहे पुलिस के पास कोई भी थ्योरी हो, लेकिन एक परिवार का मुखिया और एक पार्टी का नेता तो जीवन से चला ही गया। तमिलनाडु आदि राज्यों में राजनीतिक हिंसा अब बहुत आम बात हो गई है। विरोधियों को यह बहुत सामान्य लगता है कि किसी को अपने रास्ते से हटवाने के लिए चंद पैसे देकर उसकी हत्या करवा दी जाए।

बेशक दक्षिण में बहुजन समाज पार्टी का कोई वर्चस्व नहीं है, लेकिन एक राजनीतिक दल के मुखिया के तौर पर आर्मस्ट्रॉन्ग अपनी पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे थे। अब पार्टी सुप्रीमो मायावती अगर तमिलनाडु में संबंधित परिवार से मिल रही हैं तो यह जरूरी भी है। यह पार्टी के मनोबल पर आघात है। हालांकि यह आवश्यक है कि राज्य पुलिस इस संबंध में त्वरित कार्रवाई को अंजाम दे। निश्चित रूप से इस हत्या के पीछे पुरानी रंजिश या फिर झगड़ा रहा होगा। यह सब जांच का विषय है।

पंजाब में भी निहंगों के हमले के बाद कानून और व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। यह अपने आप में हैरतनाक है कि बीच बाजार आरोपियों ने संदीप थापर को रोक लिया और उनके सिर पर तलवारों से 11 बार वार किए। इतने वारों का एकमात्र औचित्य उनकी हत्या करना हो सकता है। अब सबसे गंभीर बात यह सामने आ रही है कि थापर पर हमला इसलिए हुआ क्योंकि उनकी ओर से कथित रूप से ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जोकि आरोपियों को पसंद नहीं थे। उन्होंने बाद में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर इसकी चेतावनी भी दी है कि अगर ऐसा होता रहा तो सभी का हाल संदीप थापर जैसा ही होगा। कहा गया है कि संदीप थापर राज्य में गर्मख्यालियों और आतंकियों के प्रति तीखे बयान देते रहे हैं। इससे बेचैनी महसूस कर रहे आरोपियों ने इस वारदात को अंजाम दिया। वास्तव में इस प्रकार की वारदातें पंजाब के भाईचारे और शांति के लिए बेहद घातक हैं।

राज्य में आतंकी वारदातों में शामिल कई लोगों के संपर्क पाकिस्तान से जाहिर हो चुके हैं। वैसे राज्य में मान सरकार अपने तौर पर बेहतर प्रयास कर रही है, लेकिन कानून और व्यवस्था का मामला हमेशा संवेदनशील रहता है। कभी भी और कहीं भी हालात ऐसे बन सकते हैं, जोकि चिंताजनक हो जाएं। यह मामला किसी राजनीतिक दल का नहीं अपितु कानून और व्यवस्था का है। निश्चित रूप से पंजाब पुलिस इस मामले में भी कड़ी कार्रवाई करेगी, इसकी उम्मीद है। वैसे यह भी आवश्यक है कि वैचारिक मतभेद की स्थिति में भी कानून एवं व्यवस्था का पालन हो। अगर सच्चाई को सामने लाया जा रहा है तो इसका अभिप्राय यह नहीं हो सकता कि किसी का जीवन बलि चढ़ जाए। अराजक तत्व कहीं भी हों, उनकी रोकथाम जरूरी है। समाज को भयमुक्त और शांतिप्रिय बनाया जाना चाहिए, यही सरकार का दायित्व भी है।

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