पत्नी पहनती है जींस-टॉप-टी शर्ट, बच्चे को उसके पास न रखा जाये, जानिए पति की इस दलील पर हाईकोर्ट क्या बोल पड़ा?
Husband reached High Court due to wife weared jeans-top-t-shirt
आजकल वैवाहिक रिश्ते टिक नहीं रहे हैं| झटके में तलाक हो जा रहा है| वहीं, जब तलाक ऐसे समय पर होता है जब बच्चे का जन्म हो गया हो तो इस बीच मामला बड़ा पेचीदा हो जाता है| पति कहता है बच्चा मेरे पास रहेगा तो पत्नी कहती है मेरे पास रहेगा| लेकिन क्या पत्नी इस आधार पर ही बच्चे को अपने पास रख सकती है कि वह जींस-टॉप-टी शर्ट न पहने| दरअसल, एक मामला छत्तीसगढ़ से सामने आया है| जहां एक पति ने तलाक के बाद पत्नी से बच्चे की मांग इस आधार पर की क्योंकि वह जींस-टॉप-टी शर्ट पहनती है| इसके लिए पति फैमिली कोर्ट से लेके हाईकोर्ट तक गया| और फिर हुआ क्या? आइये जानते हैं....
मिली जानकारी के अनुसार, दोनों की शादी 2007 में हुई थी और उसी साल दिसंबर में बच्चे का जन्म हुआ| लेकिन यह रिश्ता टिक नहीं पाया| 2013 में आपसी सहमति से दोनों का तलाक हो गया| जिसके बाद बच्चे की कस्टडी उसकी मां को ही दे दी गई। लेकिन कुछ समय बाद पति बच्चे की कस्टडी को लेकर फैमिली कोर्ट पहुंच गया और वहां यह दलील दी कि उसकी तलाकशुदा पत्नी काम के सिलसिले में पुरुषों के साथ बाहर आना-जाना करती है साथ ही वह जींस-टॉप-टी शर्ट पहनती है| इससे उसका चरित्र ठीक नहीं लगता| इसलिए अगर बच्चे को उसकी कस्टडी में रखा गया, तो उसके दिमाग पर बुरा असर पड़ेगा। गुजारिश है कि बच्चे की कस्टडी उसे दे दी जाए| बतादें कि, जिसके बाद फैमिली कोर्ट ने भी बच्चे की कस्टडी पति यानि बच्चे के पिता को सौंप दी|
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अब तलाकशुदा पत्नी पहुंची हाईकोर्ट .....
तलाकशुदा पति ने जब इस आधार पर बच्चे को ले लिया तो तलाकशुदा पत्नी ने सीधा हाईकोर्ट का रुख किया और मामले में अपनी तरफ से दलीलें रखीं| हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और इसके बाद फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया| हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई महिला अपने पति की इच्छा के अनुसार खुद को नहीं ढाल पाती है तो बच्चे की कस्टडी से उसे वंचित करने का कदम निर्णायक नहीं माना जा सकता| हाईकोर्ट ने कहा समाज के सदस्यों की मानसिकता को किसी महिला का चरित्र तय करने का अधिकार नहीं है।
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हाईकोर्ट ने तलाकशुदा पति की दलील पर कहा कि ऐसा लगता है कि अपनी राय और सोच के मुताबिक उनकी ओर से ऐसा बयान दिया गया है| हाईकोर्ट ने कहा कि हमें डर है कि अगर इस तरह के गैर-कल्पित मानसिकता को स्पॉटलाइट किया गया तो महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक लंबी कठिन लड़ाई होगी। फ़िलहाल हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी। हालांकि, तलाकशुदा पति यानि बच्चे के पिता को उससे मिलने और संपर्क करने का अधिकार भी दिया|