‘राजनीतिक प्रचार के लिए डिजिटल रणनीति कैसे तैयार करें?’ – असीम मंगल
‘राजनीतिक प्रचार के लिए डिजिटल रणनीति कैसे तैयार करें?’ – असीम मंगल
बहुमुखी प्रतिभा के धनी-असीम मंगल कॉरपोरेट क्षेत्र में विभिन्न स्तर पर 13 वर्षों से भी ज़्यादा समय तक कार्यरत रहे हैं।
ऑनलाइन मीडिया से जुड़े अभियानों के अन्तर्गत उन्होंने ‘टाइम्स मोबाइल’ और ‘एनडीटीवी कन्वर्जेन्स’, जैसी नामी कंपनियों के साथ काम किया है. 2019 से ‘बोल7 टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड’, के साथ राजनीतिक सलाहकार के तौर पर जुड़कर, ऑनलाइन और मोबाइल मार्केटिंग में उन्होंने एक नई पारी की शुरुआत की।
एक गहन और अनुभवी सोशल कैंपेन विशेषज्ञ के तौर पर उन्होंने न केवल प्रभावशाली राजनीतिक पार्टियों, बल्कि कई राजनीतिक संस्थाओं के साथ सफल सहभागिता स्थापित की है। पिछले लोकसभा चुनावों के अलावा – कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, आंध्र प्रदेश के चुनावी अभियानों में अपनी व्यवहार कुशलता और सृजनात्मकता का परिचय देते हुए उन्होंने सफलता के कई परचम लहराए। पंजाब के मुख्यमंत्री के पिछले लगभग तीन वर्षों के सोशल मीडिया अभियानों की ज़िम्मेदारी के साथ-साथ देश भर के सांसदों का 90% जीत प्रतिशत हासिल करना- उनकी योग्यता का प्रमाण है। दिल्ली, झारखण्ड और बिहार के विधान सभा चुनावी अभियान, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव भी इस सफलता की सूची में शामिल हैं।
“सोशल मीडिया की बढ़ती पहुँच और सफल राजनीतिक प्रचार अभियान के लिए उसका उपयोग”
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों सेभारत में राजनीतिक प्रचार एवं प्रसार के एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। इन चुनावों में, सोशल मीडिया का भारी प्रभाव साफ़ तौर पर दिखाई दिया. गौर करने पर सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग की बात उजागर होती है। न सिर्फ़ राष्ट्रीय राजनीतिक दल, बल्कि क्षेत्रीय पार्टियों ने भी अपनी छवि सुधारने और मतदाताओं तक अपनी बात पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया।
इंटरनेट की बढ़ती पहुँच की बदौलत भारत में विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म का प्रयोग करने वालों की संख्या साल 2020 में 52 करोड़ तक पहुँच गई और 2021 तक इस संख्या के 63 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है। अगले लोकसभा चुनावों तक भारत में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का आँकड़ा लगभग 90 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है।
“मतदाताओं तक पहुँचने के लिए बहुआयामी प्रक्रिया”
सुगमता और कुशलता से संदेश के वितरण की उपलब्धता के कारण, सोशल मीडिया बहुत कम समय में ही प्रचार–प्रसार का एक अतिप्रभावी माध्यम बन गया है। राजनीतिक पार्टियाँ, सोशल मीडिया की मदद से अपनी उपलब्धियों का ब्यौरा और भविष्य में आने वाली योजनाओं को मतदाताओं के साथ आसानी से साझा कर सकती हैं।
खर्चों का लाभ और सूचनाओं का वितरण अधिकतम मतदाताओं तक पहुंचे, उसकी प्रक्रिया और नीति के अंतर्गत निम्न पहलू शामिल है:
डेटाबेस तैयार करना: राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने सोशल मीडिया के प्रबंधन के लिए मिस कॉल, एसएमएस प्रचार, एसएमएस आधारित डिजिटल सर्वे जैसे तरीकों से आम जनता की संपर्क जानकारी इकट्ठी की जाती है। एसएमएस एक तेज़, सुरक्षित, कम खर्चीला और विश्वसनीय साधन है. इसका परिणाम उस राज्य या विधानसभा क्षेत्र के मतों को 3 प्रतिशत तक प्रभावित कर सकता है। इस साधन की सफलता का प्रमाण इस आंकड़े से लगाया जा सकता है कि साल 2014 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 18% मत प्राप्त हुए, जो पिछले कई सालों में मिली एक बड़ी चुनावी जीत थी।
“कोविड महामारी और नई सोच से जनित आत्मनिर्भरता”
साल 2020 से कोविड महामारी ने जीवन के सामाजिक और आर्थिक, दोनों ढांचों पर आघात किया है. सलाहकार और डिजिटल रणनीतिज्ञ असीम मंगल, भारतीय सेना के प्रसिद्ध ध्येय वाक्य “मुश्किल वक़्त, कमांडो सख्त” में पूरा विश्वास रखते हैं। उन्हें यह पूर्वाभास हो गया था कि राजनीतिक दलों के मुख्य प्रश्न “कुछ नया बताओ” में नवीन सोच से नए आयाम जोड़ने की ज़रूरत इस बदलते परिवेश में बहुत जल्दी आने वाली है।
उनका कहना है , “हम डिजिटल मार्केटिंग अभियानों के द्वारा राजनीतिक पार्टियों के लिए एक आकर्षक पहचान बनाने में मदद करते हैं और हमारा विश्वास है कि इस प्रतिस्पर्धा में विजयी बढ़त बनाए रखने के लिए – नए विचार, बारीकी से सही मतदाताओं को पहचानना और रचनात्मकता- इन तीन पहलुओं की सबसे बड़ी भागीदारी है। हमारी रणनीति, पूरी तरह से लोगों की भागीदारी पर केन्द्रित है और इस रणनीति की सफलता को हम प्रायोजित सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म के द्वारा परखते हैं. डिजिटल जानकारी और सन्देश को अपनी ज़रूरत के अनुसार ढालने के लिए आसानी से उपलब्ध साधनों की मदद से हम बेसरोकार लोगों की रुचि खींचने और उन्हें अपने नेता की विचारधारा से जोड़ने पर भी विशेष ध्यान देते हैं।
“असीम मंगल के “कुछ नया बताओ” के विचार पर कैसे होगा काम?”
क्यूआर कोड स्कैन: डेटाबेस बनाने का सबसे आसान तरीका है क्यूआर कोड स्कैन. इस महामारी के दौरान लोगों ने स्कैन का प्रयोग अच्छी तरह से सीखा लिया है, तो क्यों न इसी स्कैन के द्वारा अपनी पसंद के ग्रुप से उन्हें अपने पसंदीदा ग्रुप से जोड़ा जाए? उपयोगकर्ता द्वारा दिए हुए क्यूआर कोड स्कैन करते ही सिस्टम उसको मान्य करता है, और अपने आप उन्हें विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म से जोड़ देता है। इससे, भेजे जा रहे सन्देश पर पकड़ बनाने और मतदाताओं का मिज़ाज समझने, दोनों में ही मदद होगी।
प्रोफ़ाइलिंग: डेटाबेस को आयु, जाति, लिंग, स्थान आदि विभिन्न मापदंडों का उपयोग करके समूहों में बाँट दिया जाता है, जिसे प्रोफ़ाइलिंग कहा जाता है। सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म का चुनाव, इन मापदंडों के आधार पर किया जाता है, ताकि विभिन्न समूहों को चुनाव आयोग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए भी सबसे उचित सन्देश भेजे जा सकें। नए मतदाताओं या पहली बार मतदान करने वालों की पहचान करके, इससे किसी राजनीतिक दल की तरफ़ उनका झुकाव या उनकी पसंद को जाना जा सकता है।
सन्देश: चुने हुए सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर निश्चित सन्देश भेजे जाते हैं जिनमें पार्टी का उद्देश्य, उपलब्धियाँ, घोषणा पत्र आदि शामिल होते हैं. अभियान को ज़रूरत के अनुसार बदलने से विशेष