मैम, मुझे एकांत पसंद है; मैं खुद से ही खुश रहती हूं: एक्सट्रीम  इंट्रोवर्ट (Introvert) या एक्सट्रावर्ट (Extrovert) व्यवहार को कैसे बदलें ?

मैम, मुझे एकांत पसंद है; मैं खुद से ही खुश रहती हूं: एक्सट्रीम  इंट्रोवर्ट (Introvert) या एक्सट्रावर्ट (Extrovert) व्यवहार को कैसे बदलें ?

एक्सट्रीम  इंट्रोवर्ट या एक्सट्रावर्ट व्यवहार को कैसे बदलें ?

एक्सट्रीम  इंट्रोवर्ट (Introvert) या एक्सट्रावर्ट (Extrovert) व्यवहार को कैसे बदलें ?

एक्सट्रीम  इंट्रोवर्ट या एक्सट्रावर्ट व्यवहार को कैसे बदलें ?


प्रज्ञा अपनी समस्या बतलाते हुए बोली, 'मैम, मुझे एकांत पसंद है। मैं खुद से ही खुश रहती हूं, बल्कि बहुत ज्यादा खुश! पर ना जाने क्यूं मेरे आस-पास के लोग मुझे खुश रहने नहीं देते? वे मुझे बोर-बोर कहकर चिड़ाते हैं! 

मैंने कहा, 'शायद वे इसलिये तुम्हें बोर कहते हैं कि तुम उनके संग बोलती या मस्ती नहीं करती।क्या तुम्हें हमेेशा उन सबसे अलग रहना अच्छा लगता है? क्या तुम्हें दोस्तों की कमी कभी नहीं खलती?


'खलती है कभी-कभी, पर मुझे शोर-शराबा या हो-हल्ला बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। किंतु इस वजह से कोई मेरी खिल्ली उड़ाए, भाता नहीं।


इसके विपरीत रजनी की पीड़ा कुछ इस तरह छलकी-

'मैम, सांझ को घर में रहना अच्छा नहीं लगता। मुझे ढेर सारी दोस्त व पार्टी सा माहौल चाहिये, पर मैं क्या करूं, मेरे पति को मेरी इस खुशी से कोई सरोकार नहीं! वे अपने टीवी में ही मस्त हैं


दोस्तों, जानते हैं आप कि उपरोक्त दोनों लड़कियों की समस्याएं हमारे व्यक्तित्व के दो विपरीत किंतु मुख्य विशेषताएं को इंगित करती हैं। हम अन्तर्मुखी या बहिर्मुखी या फिर दोनों का मिश्रण होते हैं।

अंतर्मुखी लोगों को अपने अंदर से ही खुशी व संतोष मिलता है जबकि बहिर्मुखी लोग यह खुशी व संतोष बाहर तलाशते हैं। अर्थात ये अंतर्मुखी व बहिर्मुखी लक्षण दोनों एक ही सिक्के के दो विपरीत पहलु है। इनके अंतर्मन की अलग-अलग पुकार है, इनमें से कोई ज्यादा गलत या सही नहीं। हां यह अवश्य है कि पूर्णतया अंतर्मुखी या बहिर्मुखी लोग बहुत कम होते हैं। ज्यादातर लोगों में अंतर्मुखी व बहिर्मुखी दोनों ही लक्षण होते हैं। अत: किसी को अंतर्मुखी या बहिर्मुखी का लेबल लगाना आसान नहीं।


किंतु ऊपर दोनों केस पूर्ण अंतर्मुखी व बहिर्मुखी लड़कियों से संबन्ध्ति हैं। ये एक्सट्रीम लक्षण हमें हमारे काम और सामान्य सामाजिक जीवन को इन्हीं लड़कियों के जीवन की तरह दुर्भर बना देते हैं। किंतु प्रश्न है कि क्या इससे निजात पाने का का कोई मार्ग नहीं? अवश्य है! किुंतु समय रहते आप अभी भी अपने दूसरे विपरीत पक्ष को बाहर निकालना सीख सकते हैं, देखिये कैसे?


* स्वयं को जानने-पहिचानने व समझने का प्रयास करें :

ध्यान रहे कि अंतर्मुखी या बहिर्मुखी होना कोई समस्या नहीं, अपितु इनके अपने-अपने गुण व विशेषताएं हैं। अंतर्मुखी लोग अच्छे श्रोता होने की वजह से ज्यादा और जल्दी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं; जबकि बहिर्मुखी लोगों को इसी ज्ञान के लिये किसी बाहरी स्त्रोत पर निर्भर रहना पड़ता है। अब अगर आप अपनी इस विशेषता को पहिचान सकें तो अपने और दूसरे के व्यव्हार को भली-भांति व बेहतर समझ सकते हैं। साथ ही अपनी विपरीत विशेषताओं वाले व्यवहार का अभ्यास कर अपनी क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं।


* स्वीकारना व अपनाना सीखें :

निसंदेह ऐसा गुण अपनाना बहुत कठिन है जिसे आप गलत या गैर-ज़रूरी समझते है, क्योंकि प्राय: अंतर्मुखी लोग बहिर्मुखी लोगों को खोखले या उपद्रवी की संज्ञा देंगे तो बहिर्मुखी लोग अपने अंतर्मुखी समकक्षों को बोरिंग, सडिय़ल या घमंडी के रूप में ताना देंगे। अब चूंकि आपके मन में अपने विपरीत लक्षण वाले लोगों के लिये ऐसी स्टीरियो-टाईप धरणाएं बनी हुई हैं, इसीलिये आप अपने कम प्रभावी या विपरीत पक्ष को उजागर या विकसित करने से डरते हैं। परंतु अपनी इस विशेषता को स्वीकारने से आप स्वयं को बदलने की दिशा में पहला कदम उठा पाएंगे।


* अपने पसंदीदा नेताओं, नायकों या अन्य प्रभावशाली लोगों की सूचि बनाएं :  

इन सभी के उन गुणों की लिस्ट बनाएं जिनकी वजह से आप उनका सम्मान करते हैं। आपको लगेगा कि उनकी विशेषताओं का काफी ज्यादा भाग उनके व्यक्तित्व के उस प्रभावी पक्ष के परिणामस्वरूप ही है, जिसे आप नकारते रहे। इस प्रक्रिया से ही आप समझ पाएंगे कि अंतर्मुखता या बहिर्मुखता समस्या नहीं, वरण एक-दूजे के पूरक हैं।


* अपनी मुख्य विशेषताओं के विपरीत व्यवहार करने का अभ्यास करें :

अपने स्वभाव के विपरीत कोई भी व्यवहार हम यकदम तो नहीं बदल सकते। किंतु धीरे-धीरे इसका अभ्यास अवश्य कर सकते हैं, जैसे इंट्रोवर्टस (introverts) अपने वातावरण और वर्क-स्पेस को लुभावनी बनाने के लिये अपने डैस्क पर आकर्षक पेंटिंग, चित्रा या फूलों का गुलदस्ता रख सकते हैं और सप्ताह में एक-दो बार कुछ अपने पसंदीदा लोगों के संग हल्की-फुल्की गैट-टुगैदर में शामिल हो सकते हैं। इसी तरह एक्सट्रावर्टस (extroverts) सप्ताह में एक दिन अपनी पसंदीदा भड़कीली, फेशनेबल डे्रस के बजाए सौम्य सी डे्रस पहन सकते हैं या शोर-शराबे वाले संगीत के बजाए मन को सकून देने वाला संगीत सुनने का अभ्यास कर सकते हैं।


* रोल-प्ले करें :

आप जानते हैं कि बहुत से एक्टर और कलाकार वास्तव में इंट्रोवर्टस होते हैं, पर जब वे किसी एक्सट्रावर्ट टाईप के व्यक्ति का रोल करते हैं तो वे उस रोल में बिल्कुल परफेक्ट लगते हैं। इसी तरह एक्सट्रावर्टस एक्टर इंट्रोवर्टस का रोल बखूबी निभा पाते हैं। इसी तरह आप भी समय-समय पर अपने से ठीक विपरीत रोल अदा करने का अभ्यास करते रहें तो आपको एक-दूजे के साथ निभाने और खुशी प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता।


* दोनो तरह के लोगों की एप्रोच व तरीकों को नोट करें :

यदि आप एक्सट्रावर्टस (extroverts) व इंट्रोवर्टस (introverts) को एक ही प्रोजैक्ट करतें हुए ध्यान से देखें तो आपको इन दोनों तरह के लोगों की एप्रोच व तरीके में ज़मीन-आसमान का अंतर दिखाई देगा। जहां एक्सट्रावर्टस बड़े ही अव्यवस्थित ढंग से इधर-उधर खड़े होकर एक-दूसरे से बातें करते, सलाह करते या बोर्ड पर कुछ लिखते नजऱ आएंगे वंही इंट्रोवर्टस अनुशासित ढंग व शांति से अपने-अपने कार्य में मग्न या ध्यान से कुछ सुनते, निरीक्षण करते या नोट लेते नजऱ आएंगे। हम आमतौर पर इन एक्सट्रीम छोरों को दूसरे संदर्भों में नोटिस नहीं कर पाते क्योंकि लोगों के अधिकतर समुह एक्सट्रावर्टस और इन्ट्रोवर्टस का मिश्रण होता है। अपने घर-परिवार में हो या किसी भी अन्य सोशल ग्रुप में; ऐसे लोग ज़रूर होंगे जो आपसे बिल्कुल विपरीत है। इसलिये वे आपसे क्या अलग और प्रभावशाली ढंग से करते हैं, यह सीखने और करने का लगातार अभ्यास करते रहें।


* रहस्यों की गहराई में झॉंकने का प्रयास करें :

क्या हुआ अगर आप एक्सट्रीम एक्सट्रावर्ट या इन्ट्रोवर्ट नहीं भी हैं, पर एक टीम के सदस्य या कहीं पर कार्यरत तो हैं। अगर आप टीम-लीडर हैं तो आपको प्रयास करना चाहिये कि जो सदस्य इन्ट्रोवर्ट होने की वजह से बोल नहीं पाते, उन्हें प्ररित कर उनकी भागीदारी हासिल करें क्योंकि वे जानते हुए भी खुद से नहीं बोलेंगे।


और हां! एक प्रभावशाली लीडर इन्ट्रोवर्ट सदस्यों को सुरक्षा प्रदानकर एक्सट्रावर्ट सदस्यों को संयम बरतने को कहेगा। इन्ट्रोवर्टस को बोलने के लिये प्ररित करें और एक्सट्रावर्टस को अधिक सुनने के लिये इस तरह प्रोत्साहन दें कि अगली बार कोई एक्सट्रावर्ट बीच में बोलने का प्रयास करे तो उन्हें प्रतीक्षा करने को कहकर इन्ट्रोवर्ट को बालने के लिये प्रोत्साहित करें। इससे इन्ट्रोवर्ट भी धीरे-धीरे अपना संकोच भूल सबके साथ ज्यादा घुल-मिलने का प्रयास करेंगे।


हम सब ये उपाय अपनाकर अपनी व दूसरों की एक्सट्रीम व्यवहार से निज़ात पा सकते हैं।