आखिर कैसे हुआ 10 साल बाद इस धोखाधड़ी का खुलासा, जिसपर अब हुआ केश दर्ज
आखिर कैसे हुआ 10 साल बाद इस धोखाधड़ी का खुलासा, जिसपर अब हुआ केश दर्ज
नई दिल्ली। अमेरिका जाने की धुन एक शख्स पर इस कदर सवार हुई कि उसने धोखाधड़ी कर दूसरे के पासपोर्ट का इस्तेमाल तक कर लिया। लेकिन, 10 साल बाद जब वह भारत लौटा तब यहां एयरपोर्ट पर उसकी करतूत इमिग्रेशन अधिकारियों को पता चल गई। अब इमिग्रेशन विभाग की शिकायत पर आइजीआइ थाना पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपित गुजरात के अहमदाबाद का रहने वाला है।
31 जनवरी का है मामला
जानकारी के अनुसार आरोपित छोटेलाल 31 जनवरी की रात को अमेरिका से आइजीआइ एयरपोर्ट पर उतरा। जब वह इमिग्रेशन से जुड़ी कार्रवाई पूरी करने पहुंचा तो अधिकारियों ने पाया कि उसके पासपोर्ट पर अंतिम यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यानि कि आरोपित अमेरिका कब गया। जब अधिकारियों ने उससे इसका कारण पूछा तो पहले तो बातों को उलझाने की कोशिश की लेकिन अंत में उसने सच बयां करना शुरू कर दिया।
10 साल पहले गया था अमेरिका
उसने अधिकारियों को बताया कि करीब 10 वर्ष पहले वह अमेरिका गया था। अधिकारियों का कहना है कि उसकी बातों से पता चल रहा है कि उसने अमेरिका जाने के लिए किसी दूसरे के पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था। अब यह पता करने का प्रयास किया जा रहा है कि 10 साल पहले उसकी यह करतूत एयरपोर्ट पर तैनात अधिकारी क्यों नहीं पकड़ सके। पूछताछ के बाद इमिग्रेशन अधिकारियों ने इस पूरे मामले की शिकायत आइजीआइ थाना में दर्ज कराई। अब आइजीआइ थाना पुलिस के अधिकारी इस मामले की छानबीन में जुटे हैं।
इस माह के कुछ मामले
- 11 जनवरी को एक मामले में एक यात्री जार्डन की राजधानी अम्मान से 11 जनवरी को आइजीआइ पर उतरा। यहां इमिग्रेशन क्लीयरेंस के दौरान जब अधिकारियों ने उसके दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि आरोपित यात्री ने दूसरे के पासपोर्ट का इस्तेमाल कर विदेश यात्र की थी।
- 11 जनवरी को ही दूसरे मामले में अमेरिका के नेवार्क एयरपोर्ट से एक यात्री को डिपोर्ट किया गया। यहां आइजीआइ एयरपोर्ट पर जब इमिग्रेशन अधिकारियों ने जानकारी एकत्रित की तो पता चला कि यात्री के पासपोर्ट पर आखिरी प्रस्थान के बारे में जानकारी नहीं है। यानि इस यात्री ने भी किसी अन्य के पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था।
- 30 जनवरी की रात आइजीआइ एयरपोर्ट के काउंटर नंबर 23 पर इमिग्रेशन के लिए जब एक यात्री पहुंचा तो अधिकारियों ने पाया कि उसके पास सुखवंत सिंह के नाम से पासपोर्ट और वीजा था। यहां जब इमिग्रेशन अधिकारी उसके कागजात जांच रहे थे तो पाया कि पासपोर्ट पर लगी फोटो से प्रदीप के चेहरे का मिलान नहीं हो रहा। पासपोर्ट की जांच करने पर पता चला कि इस पासपोर्ट व वीजा पर सुखवंत नाम का व्यक्ति नौ दिसंबर को ही अमृतसर एयरपोर्ट से इटली के लिए प्रस्थान कर चुका है।