कुत्ते दुखी होकर भौंकते हैं, बेचैनी में अपना रवैया बदलने लगते हैं जानवर, पक्षियों में छा जाता है सन्नाटा... ग्रहण में क्यों होता है ऐसा?
How Do Animals React On Grahan
How Do Animals React On Grahan : आज मंगलवार को साल 2022 का आखिरी सूर्य ग्रहण पड़ रहा है| दोपहर 2.30 बजे के करीब शुरू हुआ यह सूर्य ग्रहण शाम 6.30 बजे के आसपास खत्म होगा| यानि करीब 4 घंटे सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022) रहने वाला है| वहीं आप जानते ही होंगे कि ग्रहण के दौरान शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं| मंदिरों के कपाट तक बंद रहते हैं| साथ ही इंसानों के लिए और भी कुछ नियमों के पालन की बात कही जाती है|
जैसे कि ग्रहण के बीच न खाना बनाया जा सकता है और न ही खाया जा सकता है| शोर नहीं किया जाता है| इसके साथ ही गर्भवती महिलायें बाहर नहीं निकल सकती हैं| गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से कुछ नियम बताए जाते हैं। ये तो रही इंसानों की बात| जिसके बारे में आप पहले से ही सबकुछ जानते होंगे लेकिन ग्रहण (Grahan) के समय जानवरों को लेकर क्या कहा जाता है? जानवर क्या करते हैं? आइये अब ये जानते हैं|
दरअसल, हम इंसान तो घड़ी में समय देकर अपनी सारी क्रियाओं को निर्धारित कर लेते हैं मगर जानवर ऐसा नहीं कर सकते| उनकी तो सारी क्रियाएं प्रकृति की घड़ी पर आधारित होती हैं| यानि सुबह-दोपहर, शाम और रात से| जानवरों के सभी काम प्रकृति रुपी रोशनी और अंधेरे से तय हो जाते हैं कि कबतक दिन की रोशनी है और उन्हें अपने भोजन के लिए कब तक घूमना है और इसके बाद अंधेरे की आहट के साथ वह जान लेते हैं कि रात आ गई है और इस बीच वह यह तय कर लेते हैं कि उन्हें कौन सी दूसरी जगह जाना है और कहां सोना है|
मगर कहते हैं कि जब ग्रहण पड़ता है तो जानवरों का सारा जीवन चक्र प्रभावित हो जाता है| ग्रहण पर वह प्रकृति के समय को नहीं समझ पाते और इससे उनमें कन्फ्यूजन बढ़ती है| वह भ्रमित होते हैं और इसके साथ फिर उनमें बढ़ती है बेचैनी और मायूसी, साथ ही घबराहट और ऐसे में फिर जानवरों का रवैया बदलने लगता है|
बतादें कि, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है यानी चांद के पीछे सूर्य कुछ समय के लिए छिप जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है। चांद के आगे आने से सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पहुंच नहीं पाती है और कुछ देर के लिए जानवरों समेत सभी को अंधेरा दिखाई देने लगता है।
बताया जाता है कि, जानवरों की आंखों की रोशनी ज्यादा होती है और ऐसे में जब सूर्य की रोशनी के साथ दिन में सक्रिय रहने वाले जानवरों को ग्रहण के दौरान सूर्य की रोशनी थमती हुई दिखाई देती है तो वह यह सोचकर हैरान रह जाते हैं कि रात जल्दी कैसे हो गई और वह समय से पहले ही अपने आराम की ओर प्रस्थान करने लगते हैं| वैसे भी ब्रह्मांड की घटनाओं का सबसे ज्यादा असर जानवरों पर ही होता है।
ग्रहण पर जानवरों और पक्षियों को लेकर ये बातें
कहते हैं कि, शोर मचाने वाले जानवर खामोश हो जाते हैं और कई जानवर चीखने भी लगते हैं। ग्रहण के दौरान कुत्ते दुखी होकर भौंकते हैं, कई जानवर को खुद को थका हुआ महसूस करते हैं| मकड़ी अपना जाला तोड़ने लगती है, पालतू जानवरों को अंदर कर लिया जाता है| पक्षी अपना शोर बंद कर लेते हैं| पानी में ऐक्टिव रहने वाली मछलियां शांत हो जाती हैं| दरियाई घोड़े नदियों से दूर जाने जाने लगते हैं|