कैसे डूबा अमेरिका का सिलिकॉन वैली बैंक? भारत पर क्या होगा इसका असर
Silicon Valley Bank Collapse
Silicon Valley Bank Collapse: बीते शुक्रवार को अमेरिका में बैंकिंग रेगुलेटर ने सिलिकॉन वैली बैंक(Silicon Valley Bank) को बंद करने का आदेश दे दिया और इसी के साथ अमेरिका में तो हड़कंप मचा ही, भारत के स्टार्टअप्स भी चिंता में आ गए. बैंक के डूबने के साथ ही इसके खाताधारकों का हाल बुरा हो गया. बैंक में मुख्य तौर पर टेक कंपनियों, वेंचर कैपिटलिस्ट और खास तरह के स्टार्टअप्स का पैसा लगा था और बैंकों से जुड़े हुए निवेशकों, जमाकर्ताओं को अपनी रकम के लिए भारी चिंता सवार हो गई है. हालांकि बैंक के डूब जाने से पहले ये (SVB) सिलिकॉन वैली बैंक अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक था.
बैंक के लिए की गई नई व्यवस्था (New arrangement made for the bank)
फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉपोरेशन को बैंक का रिसीवर बनाया है. इसे ग्राहकों के पैसों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी दी गई है. इसी के मद्देनजर फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉपोरेशन ने एक टीम का गठन भी किया है.
अमेरिकी बैंकिंग रेगुलेटर ने एक और बैंक सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लटकाया (US banking regulator also locked another bank Signature Bank)
ध्यान रखने वाली बात ये है कि एक और ऐसा बैंक भी इसके बाद सामने आ गया है जिसके ऊपर अमेरिकी बैंकिंग रेगुलेटर का चाबुक चला है. कल यानी रविवार को अमेरिकी बैंकिंग रेगुलेटर ने एक और बैंक सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लटका दिया है. इससे साफ है कि अमेरिका में बैंकिंग सिस्टम में कुछ दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि डिपॉजिटर्स का पैसा सुरक्षित है, लेकिन अमेरिका में बैंक डूबने के बाद खाताधारकों को कितना पैसा वापस मिलता है- इसको लेकर नियम भी हैं.
SVB के पास कितना पैसा था? (How much money did SVB have?)
SVB के पास इसके डूबने से पहले 209 अरब डॉलर के ऐसेट्स थे और 175 अरब डॉलर के डिपॉजिट्स थे. खास बात ये है कि यूएसए के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा बैंक है जो इस तरह बैठ गया है. इतना ही नहीं साल 2008 के भयानक आर्थिक संकट के बाद ये पहला बैंक है जिस पर ऐसे ताला लटकाया गया है.
सिलिकॉन वैली बैंक क्या है (what is silicon valley bank)
कैलिफोर्निया के सांता क्लैरा में साल 1983 में इस बैंक की शुरुआत हुई थी और ये टेक इंडस्ट्री का सबसे बड़ा समर्थक बैंक माना जाता था. साल 2021 में बैंक का दावा था कि ये अमेरिका के करीब आधे वेंचर बैक्ड स्टार्टअप्स को पैसे देने वालों में शामिल है. टेक कंपनियों के अलावा इसने मीडिया कंपनियों जैसे Vox Media के लिए भी काम किया है. बैंक के पास कई क्रिप्टोकरेंसी फर्म्स का डिपॉजिट भी था. सर्किल के मुताबिक 3.3 अरब डॉलर के रिजर्व एसवीबी के पास हैं. एसवीबी के डूबने की खबर सामने आने के बाद बिनान्स कॉइन और कॉइनबेस ने सर्किल के स्टेबलकॉइन USDC में निकासी रोक दी. अब दिवालिया क्रिप्टो लैंडर BlockFi का भी 22.7 करोड़ डॉलर एसवीबी के पास अटक गया है.
एसवीबी बैंक क्यों डूबा? (Why did SVB Bank collapse?)
कई अन्य बैंकों की तरह एसवीबी ने अपने डिपॉजिटर्स का पैसा सेफ इंस्ट्रूमेंट्स जैसे बॉन्ड्स में लगाया. 2008 की मंदी के बाद अमेरिका में ब्याज दरें लगातार कम रहीं. इसके दम पर बैंकों को सस्ते लोन मिले जिसके बाद वेंचर कैपिटल्स ने स्टार्टअप्स में जमकर पैसा लगाया. इसका फायदा एसवीबी जैसे बैंकों को मिला जिनके लिए ये बैंक भरोसेमंद साबित हो रहे थे.
असली मुश्किल तब शुरू हुई जब पिछले साल फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में इजाफा शुरू किया और बढ़ाते-बढ़ाते इसे 0.25-0.50 फीसदी से आज 4.5-4.75 फीसदी के बीच ला चुका है. इतना ही नहीं फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने तो ये कहा है कि ब्याज दरें शायद 5.75 फीसदी तक जा सकती हैं. अब इसके चलते बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न घटा और एसवीबी जैसे बैंकों के लिए मुश्किलें हो गईं. ना सिर्फ रिटर्न घटा, बल्कि बॉन्ड के मैच्योर होने की अवधि भी बढ़ गई. ऊंची ब्याज दरों के चलते स्टार्टअप्स की फंडिंग घटी तो एसवीबी के डिपॉजिट भी लगातार घट रहे हैं.
8 मार्च को बैंक ने कहा कि इसने 21 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं जिनके 1.8 अरब डॉलर के नुकसान पर बेचा गया है, हालांकि ये कदम बैंक की लिक्विडटी बनाए रखने के लिए है.साथ ही बैंक की योजना 2.2 अरब डॉलर के शेयर बेचने की भी योजना थी. मूडीज ने बैंक की रेटिंग डाउनग्रेड कर दी और Peter Thiel's के फाउंडर फंड ने अपनी कंपनियों से कहा कि वो एसवीबी से पैसा निकाल लें. कई वेंचर कैपिटलिस्ट जैसे यूनियन स्केवयर वेंचर्स (Union Square Ventures) और कोटिक मैनेजमेंट (Coatue Management) ने ऐसा ही किया.
एसवीबी इतने कम नोटिस पर इतनी भारी संख्या में पैसा निकालने की स्थिति में नहीं था और 9 मार्च को बैंक के ग्राहकों ने 42 अरब डॉलर निकालने की कोशिश की. ये बैंक के कुल डिपॉजिट्स के चौथाई हिस्से के बराबर था. वहीं शुक्रवार को बैंक के स्टॉक में ट्रेडिंग रुक गई और बैंक ने खुद बेचने की कोशिश की. इस पर बैंकिंग नियामकों ने हस्तक्षेप किया और बैंक को बंद कर दिया.
FDIC को बनाया गया रिसीवर (FDIC appointed receiver)
बैंक के डूबने के बाद फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) ने एक नया बैंक बनाया जिसे डिपॉजिट इंश्योरेंस नेशनल बैंक ऑफ सांता क्लेरा कहा गया. इसमें एसवीबी के इंश्योर्ड डिपॉजिटर्स को रखा गया जिससे उन्हें पैसा वापस मिल सके. हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक एसवीबी के 93 फीसदी डिपॉजिटर्स एफडीआईसी के साथ इंश्योर्ड नहीं हैं.
क्या ग्राहकों को उनका एसवीबी में जमा पैसा वापस मिलेगा? (Will the customers get back their money deposited in SVB?)
FDIC सुनिश्चित करता है कि बैंकों के खाताधारकों के 2.5 लाख डॉलर तक की रकम उन्हें वापस मिल जाए लिहाजा जिन खाताधारकों का 2.5 लाख डॉलर से कम का डिपॉजिट है उन्हें उनका पैसा वापस मिल जाएगा. अन्य को उनका पैसा धीरे-धीरे मिल सकेगा. रविवार को जो बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि एसवीबी बैंक से जुड़े टैक्सपेयर्स को किसी तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. एक संयुक्त बयान में FDIC, फेडरल रिजर्व और डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में कोई दिक्कत नहीं है और ये ठोस बुनियाद पर आधारित है. संयुक्त बयान में ये भी कहा गया कि डिपॉजिटर्स को उनकी जमा सारी राशि मिल जाएगी.
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