जामिया मिलिया इस्लामिया में जबरदस्ती किया जा रहा है हिंदुओं का धर्म परिवर्तन: रिपोर्ट

जामिया मिलिया इस्लामिया में जबरदस्ती किया जा रहा है हिंदुओं का धर्म परिवर्तन: रिपोर्ट

NGO कॉल फॉर जस्टिस की रिपोर्ट मैं गैर मुस्लिम छात्रों और शिक्षकों के खिलाफ भेदभाव के मामलों का विवरण दिया गया है।

Jamiya Milya Islamiya University: धर्म आज के समय में यह एक ऐसा शब्द है जिसने पूरी दुनिया में आतंक फैला दिया है। धर्म के नाम पर आजकल ऐसी चीज होती हैं, जिसकी कल्पना कर पाना भी बहुत मुश्किल है। हाल ही में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई, जिसके तहत अन जी ओ कॉल फॉर जस्टिस ने बताया कि इस विश्वविद्यालय में गैर मुसलमान के साथ गलत तरीके से भेदभाव करने और जबरन धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया गया है। यह रिपोर्ट विश्वविद्यालय में पक्षपात के पतन की ओर भी इशारा करती है।

 

रिपोर्ट में आए चौंका देने वाले खुलासे

NGO कॉल फॉर जस्टिस की रिपोर्ट मैं गैर मुस्लिम छात्रों और शिक्षकों के खिलाफ भेदभाव के मामलों का विवरण दिया गया है। उन्होंने धार्मिक पहचान में निहित व्यापक पूर्व गृह और पक्षपात के बारे में गवाही दी जिसने परिसर के जीवन को प्रभावित किया। उदाहरण के लिए एक असिस्टेंट प्रोफेसर को मुस्लिम सहकर्मियों से ताने और अपमान का सामना करना पड़ा। एक अन्य मामले में अनुसूचित जाति समुदाय के एक गैर मुस्लिम संकाय सदस्य को कार्यालय फर्नीचर जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया गया। एक सहायक परीक्षक नियंत्रक का गैर मुस्लिम होने के बावजूद वरिष्ठ प्रशासनिक पद पर आसीन होने के कारण खुलेआम मजाक उड़ाया गया। रिपोर्ट में आदिवासी छात्रों और शिक्षकों के उत्पीड़न पर प्रकाश डाला गया है, जिसके कारण कई लोग विश्वविद्यालय छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। आपको बता दें की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हिंदू छात्रों, प्रोफेसर और कर्मचारियों को धर्म परिवर्तन के प्रयासों का विरोध करने पर एसिड अटैक, और बलात्कार की धमकियां दी गई इसमें दावा किया गया है, कि हिंदू छात्रों को धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाने के लिए जानबूझकर परीक्षाओं में फेल किया गया। कथित तौर पर यह हरकतें कुछ मुस्लिम फैकल्टी सदस्यों और छात्रों द्वारा की गई है।

 

विश्वविद्यालय ने क्या कहा

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने आरोपी का जवाब देते हुए एक बयान जारी किया है जिसमें समावेश्ता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई गई और किसी भी तरह के भेदभाव की निंदा की गई है। विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया है कि पिछले प्रशासनों ने इसी तरह के मुद्दों को गलत तरीके से संभाला होगा। लेकिन इस बात पर जोर दिया कि कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ के नेतृत्व में निष्पक्ष और समावेशी माहौल बनाने के प्रयास चल रहे हैं। प्रशासन ने हास्य पर बड़े समूहों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से की गई पहलों की ओर इशारा किया जिसमें गैर मुस्लिम एससी समुदाय के सदस्य को महत्वपूर्ण भूमिका में नियुक्त करना भी शामिल है।